जनरल मनोज मुकुंद नरवाणे ने भारत के 28वें सेना प्रमुख का कार्यभार संभाला

उप सेना प्रमुख पद पर रहे जनरल मनोज मुकुंद नरवाणे ने देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत का स्थान लिया है. अपनी 37 वर्षों की सेवा में जनरल नरवाणे जम्मू कश्मीर और पूर्वोत्तर में शांति और उग्रवाद विरोधी अभियानों तथा कई कमानों में अपनी सेवाएं दे चुके हैं.

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थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवाने. (फोटो: Twitter/@adgpi)

उप सेना प्रमुख पद पर रहे जनरल मनोज मुकुंद नरवाणे ने देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत का स्थान लिया है. अपनी 37 वर्षों की सेवा में जनरल नरवाणे जम्मू कश्मीर और पूर्वोत्तर में शांति और उग्रवाद विरोधी अभियानों तथा कई कमानों में अपनी सेवाएं दे चुके हैं.

थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवाने. (फोटो: Twitter/@adgpi)
थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवाणे. (फोटो: Twitter/@adgpi)

नई दिल्ली: जनरल मनोज मुकुंद नरवाणे ने मंगलवार को 28वें थल सेना प्रमुख का कार्यभार संभाला. वह 13 लाख सैनिकों वाले बल का नेतृत्व करेंगे.

उन्होंने यह कार्यभार ऐसे समय में संभाला है जब भारत सीमा पार से आतंकवाद और सीमा पर चीन की ओर से मिल रही सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है.

उप सेना प्रमुख पद पर रहे जनरल नरवाणे ने जनरल बिपिन रावत का स्थान लिया. जनरल रावत को देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ नियुक्त किया गया है.

ऐसी संभावना है कि सेना प्रमुख के तौर पर जनरल नरवाणे की प्राथमिकताएं सेना में लंबे समय से अटके सुधारों को लागू करना, कश्मीर में सीमा पार से जारी आतंकवाद पर लगाम लगाना और उत्तरी सीमा पर सेना की संचालनात्मक क्षमताओं को बढ़ाना है जहां तिब्बत में चीन अपना सैन्य ढांचा बढ़ा रहा है.

उप सेना प्रमुख नियुक्त होने से पहले जनरल नरवाणे सेना की पूर्वी कमान का नेतृत्व कर रहे थे जो चीन के साथ लगती भारत की लगभग 4,000 किलोमीटर लंबी सीमा की रक्षा करती है.

जनरल नरवाणे के कार्यभार संभालने के साथ ही नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह और भारतीय वायु सेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया समेत सभी तीनों सेनाओं के प्रमुख राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के 56वें कोर्स से हो गए हैं.

अपनी 37 वर्षों की सेवा में जनरल नरवाणे जम्मू कश्मीर और पूर्वोत्तर में शांति और उग्रवाद विरोधी अभियानों तथा कई कमानों में अपनी सेवाएं दे चुके हैं.

वह जम्मू कश्मीर में राष्ट्रीय राइफल्स बटालियन तथा पूर्वी मोर्चे पर इंफेंट्री ब्रिगेड में भी सेवा दे चुके हैं. इसके अलावा वह श्रीलंका में भारतीय शांति रक्षा बल का हिस्सा रह चुके हैं और उन्होंने तीन साल तक म्यामां में भारतीय दूतावास में भारत के रक्षा अताशे के रूप में भी सेवा दी.

उनकी नियुक्ति जून 1980 में सिख लाइट इंफेंट्री रेजीमेंट की सातवीं बटालियन में हुई थी. जनरल एक ऐसा अधिकारी होता है जिसे ‘सेना पदक’ से सम्मानित किया गया होता है.

उन्हें नगालैंड में असम राइफल्स (उत्तर) के महानिरीक्षक के तौर पर उनकी सेवाओं के लिए ‘विशिष्ट सेवा पदक’ और प्रतिष्ठित स्ट्राइक कोर का नेतृत्व करने के लिए ‘अति विशिष्ट सेवा पदक’ भी मिल चुका है.

निवर्तमान सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने उनके कार्यकाल के अंतिम तीन वर्ष में उनको पूरा सहयोग देने के लिए सेना के सभी कर्मियों और उनके परिवारों का मंगलवार को आभार व्यक्त किया. जनरल रावत ने 31 दिसंबर 2016 को सेना प्रमुख का पद संभाला था.

विदाई सलामी गारद के बाद जनरल रावत ने उम्मीद जताई कि नये सैन्य प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवाणे के नेतृत्व में सेना नयी ऊंचाइयों को छुएगी.

उनसे जब यह पूछा गया कि क्या सेना देश के सामने खड़ी चुनौतियों का सामना करने के लिए अब ज्यादा अच्छे से तैयार है, उन्होंने कहा, ‘हां हम ज्यादा बेहतर तरीके से तैयार हैं.”

उन्होंने पत्रकारों से कहा, ‘मैं सभी सैनिकों के प्रति आभार व्यक्त करना चाहता हूं जो हमारे सशस्त्र बलों की परंपराओं के अनुरूप, चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में अटल रहते हैं और अपने कर्तव्य का निर्वाह करते हैं.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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