गणतंत्र दिवस समारोह के लिए केरल की झांकी का प्रस्ताव भी ख़ारिज, मंत्री बोले- राजनीति से प्रेरित

पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और बिहार के बाद केरल चौथा राज्य है, जिसकी झांकी को गणतंत्र दिवस समारोह के लिए ख़ारिज किया गया है. केरल के क़ानून मंत्री एके बालन ने केंद्र के इस फ़ैसले की आलोचना करते हुए कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है.

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साल 2016 के गणतंत्र दिवस समारोह में केरल की झांकी. (फोटो साभार: सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय)

पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और बिहार के बाद केरल चौथा राज्य है, जिसकी झांकी को गणतंत्र दिवस समारोह के लिए ख़ारिज किया गया है. केरल के क़ानून मंत्री एके बालन ने केंद्र के इस फ़ैसले की आलोचना करते हुए कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है.

साल 2016 के गणतंत्र दिवस समारोह में केरल की झांकी. (फोटो साभार: सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय)
साल 2016 के गणतंत्र दिवस समारोह में केरल की झांकी. (फोटो साभार: सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय)

नई दिल्लीः पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और बिहार के बाद केंद्र सरकार ने गणतंत्र दिवस परेड के लिए केरल की झांकी को भी मंजूरी नहीं दी है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, केरल के कानून मंत्री एके बालन ने शुक्रवार को केंद्र के इस फैसले को राजनीति से प्रेरित बताते हुए इसकी आलोचना करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने राज्य के सांस्कृतिक सार को दर्शाने वाले  विजुअल को नकार दिया है.

पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और बिहार के बाद केरल चौथा राज्य है, जिसकी झांकी को केंद्र ने खारिज कर दिया है.

बालन ने आगे कहा, ‘केरल की झांकी को खारिज करने का फैसला राजनीति से प्रेरित है. मैं नहीं समझ पाता कि कथकली, मोहिनीअट्टम, चेंदा (ड्रम) से नफरत क्यों हैं? क्या कभी ऐसी केंद्र सरकार देखी है, जो देश के संघीय विचार के खिलाफ हो, जो मलयाली लोगों पर निशाना साधती हो और केरल के नाम से ही आवेश में आ जाती है? केंद्र के एक नेता ने यह भी पूछा कि क्या मलयालियों के दो सींग होते हैं. यह हमारे देश की मौजूदा दशा बताता है.’

उन्होंने कहा, ‘क्या इसमें कोई राजनीति है? ‘यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है और झांकी को खारिज करना इसी दिशा में उठाया गया कदम है. हम पानी, हाथी, नाव, मोहिनीअट्टम और कथकली नहीं दिखा सकते.’

इससे पहले केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और बिहार की झांकियों के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था, जिसके बाद तृणमूल कांग्रेस, महाराष्ट्र की शिवसेना-एनसीपी सरकार और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा था.

तृणमूल कांग्रेस ने गुरुवार को कहा था कि राज्य की झांकी का प्रस्ताव ठुकराना मोदी सरकार द्वारा राज्य के लोगों का अपमान है. संसदीय मामलों के राज्यमंत्री तपस रॉय ने कहा, ‘सिर्फ इसलिए कि पश्चिम बंगाल भाजपा सरकार की जन विरोधी नीतियों का विरोध कर रही है, पश्चिम बंगाल के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है. हमने नागरिकता कानून जैसी जन  विरोधी कानूनों का विरोध किया है तो केंद्र ने हमारे झांकी के प्रस्ताव को खारिज कर दिया.’

एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने भी केंद्र सरकार पर पूर्वाग्रह से ग्रस्त होने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि दोनों राज्यों ने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और उनकी झांकियों को अनुमति नहीं देना लोगों के ‘अपमान’ जैसा है.

सुले ने ट्वीट किया, केंद्र ने गणतंत्र दिवस पर परेड के लिए महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल की झांकियों को अनुमति नहीं दी है. यह देश का पर्व है और केंद्र से सभी राज्यों को प्रतिनिधित्व देने की उम्मीद है. लेकिन सरकार पक्षपातपूर्ण तरीके से व्यवहार कर रही है और विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों से सौतेला व्यवहार कर रही है.’

सुले के अलावा शिवसेना के राज्यसभा सदस्य संजय राउत ने एक मराठी समाचार चैनल से कहा, ‘आपको बताना होगा कि दो राज्यों की झांकियों को मंजूरी क्यों नहीं दी गयी. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को मामले की जांच करानी चाहिए. पता लगाना चाहिए कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है. क्या ऐसे तत्व हैं जिनकी पिछली सरकार के प्रति निष्ठा बनी हुई है?’

वहीं, बिहार की जिस झांकी को खारिज किया गया है, उसे राज्य की नीतीश कुमार सरकार ने बीते अक्टूबर महीने में बड़े जोर-शोर से लागू किया था. बिहार की ‘जल जीवन हरियाली मिशन’ योजना के झांकी के रूप में पेश करने के प्रस्ताव से राज्य को झटका लगा है.

इससे पहले रक्षा मंत्रालय ने उन राज्यों की सूची जारी की थी, जो गणतंत्र दिवस के अवसर पर राजपथ पर अपनी झांकी पेश करेंगे. इनमें छह विभागों व मंत्रालयों और 16 राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेशों की झाकियां हैं.

जिन 16 राज्यों का चुनाव किया गया है, उनमें आंध्र प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, मेघालय, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश हैं.

वहीं, उद्योग विभाग, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग, वित्तीय सेवा विभाग, गृह मंत्रालय का एनडीआरएफ मंत्रालय, आवास एवं शहरी मामलों के सीपीडब्ल्यू मंत्रालय और जहाज एवं पोतरानी मंत्रालय है.

भाजपा ने हालांकि इससे इनकार किया है कि राजनीतिक प्रतिशोध की वजह से इन राज्यों की झांकी के प्रस्ताव को खारिज किया गया. वहीं रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि पश्चिम बंगाल के प्रस्ताव पर एक विशेषज्ञ समिति ने दो बार विचार किया था.

मंत्रालय ने बयान में कहा है, ‘पश्चिम बंगाल सरकार की झांकी के प्रस्ताव को विशेषज्ञ समिति ने दूसरी बैठक में विचार-विमर्श के बाद आगे नहीं बढ़ाया. यहां यह उल्लेख करना होगा कि पश्चिम बंगाल सरकार की झांकी इसी प्रक्रिया के परिणामस्वरूप 2019 की गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेने के लिए चयनित हुई थी.’

भाजपा के प्रवक्ता माधव भंडारी ने कहा, ‘इस साल सिर्फ 16 राज्यों की झांकियों का चुनाव किया गया है. गणतंत्र दिवस की परेड में सभी राज्यों को प्रतिनिधित्व का मौका देने के लिए रोटेशन के आधार पर राज्यों को मौका दिया जा रहा है. महाराष्ट्र की झांकी पूर्व में भी शामिल नहीं की गई. पिछले अवसरों पर दो कार्यकाल को छोड़ दें तो केंद्र और राज्य में कांग्रेस की सरकारें थीं.’

बता दें कि इस साल चुने गए राज्यों में से आठ राज्य भाजपा या एनडीए शासित हैं. चार में यूपीए का शासन है और तीन में गैर-यूपीए तथा गैर-एनडीए दलों की सरकार है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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