संगीत गुरुकुल ध्रुपद संस्थान के गुरु और पखावज वादक अखिलेश गुंदेचा पर उनकी छात्राओं के यौन उत्पीड़न और छेड़छाड़ के आरोपों की जांच चल रही है. ग्वालियर में होने जा रहे तानसेन समारोह में वे परफॉर्म करने वाले थे, पर कुछ कलाकारों की आपत्ति के बाद आयोजकों ने उनका नाम हटा दिया है.
भोपालः मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में होने जा रहे चार दिवसीय शास्त्रीय संगीत समारोह के आयोजकों ने यौन उत्पीड़न के आरोपी ध्रुपद संस्थान के पखावज वादक अखिलेश गुंदेचा का नाम कार्यक्रम सूची से हटा दिया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, ग्वालियर के बेहट में 16वीं सदी के संगीतकार तानसेन के मकबरे के पास होने जा रहे तानसेन समारोह के आयोजकों ने आपत्ति के स्वर उठने के बाद यह कदम उठाया.
भोपाल में ध्रुपद संस्थान चलाने वाले गुंदेचा भाइयों अखिलेश और रमाकांत गुंदेचा के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों की अक्टूबर महीने से ही आंतरिक शिकायत समिति जांच कर रही है.
इन आरोपों के बाद अखिलेश ने स्वैच्छिक रूप से ध्रुपद संस्थान की सभी गतिविधियों से खुद को दूर कर लिया था. वहीं, रमाकांत गुंदेचा का पिछले साल दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था.
बता दें कि तानसेन समारोह का आयोजन उस्ताद अलाउद्दीन खान कला एवं संगीत अकादमी और मध्य प्रदेश के संस्कृति विभाग द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया जाता है.
ध्रुपद संस्थान के छात्र इसमें 28 दिसंबर को परफॉर्म करेंगे. जयपुर की ध्रुपद गायिका मधु भट्ट तैलंग की ओर से असहजता जताए जाने के मद्देनजर अखिलेश गुंदेचा का नाम कार्यक्रम सूची से हटाए जाने का फैसला किया गया.
बता दें कि मधु भट्ट को अखिलेश गुंदेचा के साथ समारोह में परफॉर्म करना था, जिसे लेकर उन्होंने आपत्ति जताई थी.
इसके साथ ही ध्रुपद संस्थान के पूर्व और मौजूदा छात्रों और कर्नाटक शास्त्रीय गायक टीएम कृष्णा जैसे कलाकारों ने सोशल मीडिया पर गुंदेचा को लेकर आपत्ति जताई थी.
#MeToo #Metooindia accused Akhilesh Gundecha who has serious charges against him is to participate at the Tansen Samaroh in Gwalior hosted by Ustad Alauddin Khan Kala Evam Sangeet Academy and the Culture department, MP Govt @CMMadhyaPradesh what are you going to do about it ? pic.twitter.com/xW4W8qzee5
— T M Krishna (@tmkrishna) December 24, 2020
कृष्णा ने ट्वीट कर कहा था, ‘यौन उत्पीड़न के आरोपी अखिलेश गुंदेचा पर गंभीर आरोप लगे हैं और वह उस्ताद अलाउद्दीन खान कला एवं संगीत अकादमी और मध्य प्रदेश के संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित किए गए तानसेन समारोह में हिस्सा ले रहे हैं. मध्य प्रदेश सरकार, आप इस बारे में क्या करने वाले हैं?’
तैलंग ने कहा, ‘जब उन्होंने समारोह में साथी कलाकार के रूप में अखिलेश का चुनाव किया था तब वह उनके खिलाफ लगे यौन उत्पीड़न की जांच से वाकिफ नहीं थीं.’
राजस्थान यूनिवर्सिटी में संगीत की प्रोफेसर और ऑल इंडिया रेडियो में ए स्तर की कलाकार तैलंग ने पहले भी कई बार उनके साथ परफॉर्म किया है.
उन्होंने कहा, ‘मेरे अखिलेश जी के साथ हमेशा से अच्छे संबंध रहे हैं. एक अच्छे पखावज वादक के अलावा वह बहुत सम्मानित शख्स भी हैं. पिता का स्वास्थ्य खराब होने की वजह से मैं व्यस्त थी इस वजह से मैं उन (गुंदेचा) पर लगे आरोपों से वाकिफ नहीं थी. मैं एक महिला हूं और आरोपों की जांच के दौरान उनके साथ परफॉर्म करने से सही संदेश नहीं जाएगा. मैंने अकादमी को पहले ही पखावज वादक अंकित पारिख का नाम सुझा दिया है.’
इस मामले पर संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव शेखर शुक्ला, भारत भवन के ट्रस्टी सचिव और मध्य प्रदेश के संस्कृति परिषद के सचिव ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है.
वह अखिलेश गुंदेचा का नाम समारोह की कार्यक्रम सूची में शामिल करने और हटाए जाने के संबंध में तैलंग के संपर्क में थे.
तानसेन समारोह के प्रोग्राम मैनेजर नईम खान ने भी मामले पर टिप्पणी करने से इनकार किया है.
बता दें कि सितंबर महीने में ‘ध्रुपद फैमिली यूरोप’ नाम के एक फेसबुक ग्रुप की पोस्ट के बाद गुंदेचा भाइयों पर यौन उत्पीड़न के आरोप पहली बार सामने आए थे.
इसके साथ ही इन संगीतकारों के छात्रों को ईमेल किए गए थे, जिसमें इन दोनों गुरुओं द्वारा कई सालों तक यौन उत्पीड़न करने के आरोप लगाए गए.
एम्सटर्डम की एक योग शिक्षक ने यह फेसबुक पोस्ट लिखी थी, जिनका कहना है कि उन्होंने अपनी एक दोस्त की ओर से इस तथ्य को सार्वजनिक किया है, क्योंकि वह अपनी पहचान उजागर नहीं करना चाहती हैं.
गुंदेचा बंधुओं में से रमाकांत की पिछले साल दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी. उनके बड़े भाई उमाकांत गुंदेचा ध्रुपद संस्थान के प्रमुख हैं.
अखिलेश गुंदेचा इनके छोटे भाई हैं और पखावज वादक हैं. गुंदेचा बंधुओं को 2012 में पद्मश्री और 2017 में संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड से नवाजा जा चुका है.
बता दें कि ध्रुपद देश के सबसे पुराने शास्त्रीय संगीत प्रारूपों में से एक है. ध्रुपद संस्थान एक आवासीय शास्त्रीय संगीत गुरुकुल है, जिसे यूनेस्को ने अमूर्त सांस्कृतिक विरासत का दर्जा दिया है.