रिपब्लिक ने इंडियन एक्सप्रेस को भेजा क़ानूनी नोटिस, कहा- पत्रकारीय नैतिकता का हनन किया

रिपब्लिक ने इंडियन एक्सप्रेस द्वारा 25 जनवरी को प्रकाशित एक रिपोर्ट पर आपत्ति जताई है जिसमें पूरक चार्जशीट के हवाले से दावा किया गया था कि रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्णब गोस्वामी ने बार्क के पूर्व सीईओ पार्थो दासगुप्ता को टीआरपी रेटिंग में हेरफेर के लिए बड़ी धनराशि दी थी.

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(फोटो साभार: फेसबुक/रिपब्लिक टीवी)

रिपब्लिक ने इंडियन एक्सप्रेस द्वारा 25 जनवरी को प्रकाशित एक रिपोर्ट पर आपत्ति जताई है जिसमें पूरक चार्जशीट के हवाले से दावा किया गया था कि रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्णब गोस्वामी ने बार्क के पूर्व सीईओ पार्थो दासगुप्ता को टीआरपी रेटिंग में हेरफेर के लिए बड़ी धनराशि दी थी.

(फोटो साभार: फेसबुक/रिपब्लिक टीवी)
(फोटो साभार: फेसबुक/रिपब्लिक टीवी)

नई दिल्ली: समाचार चैनल रिपब्लिक टीवी ने अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस को कानूनी नोटिस भेजते हुए कहा है कि उन्हें कथित टीआरपी घोटाले के संबंध में रिपब्लिक टीवी के खिलाफ फर्जी और तथ्यहीन खबरें प्रकाशित करने से बचना चाहिए.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, प्राथमिक तौर पर चैनल ने इंडियन एक्सप्रेस द्वारा 25 जनवरी को प्रकाशित एक समाचार रिपोर्ट का विरोध किया है जिसमें दावा किया गया था कि रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्णब गोस्वामी ने बार्क के पूर्व सीईओ पार्थो दासगुप्ता को टीआरपी रेटिंग बढ़ाने के लिए घूस दी थी.

फीनिक्स लीगल के माध्यम से भेजे गए कानूनी नोटिस में कहा गया है कि ‘अर्णब गोस्वामी पेड मी 12,000 डॉलर एंड रुपीज 40 लाख टू फिक्स रेटिंग्स: पार्थो दासगुप्ता‘ शीर्षक वाली इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट रिपब्लिक टीवी की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए एक घृणित अभियान है और इसका उद्देश्य सनसनीखेज बनाकर इंडियन एक्सप्रेस के अपने व्यावसायिक और कॉरपोरेट हितों को आगे बढ़ाना है.

नोटिस में कहा गया, ‘आपकी समाचार रिपोर्ट की सुर्खियां किसी भी पाठक को गलत तरीके से यह विश्वास दिलाती हैं कि वास्तव में हमारे मुवक्किल गोस्वामी द्वारा पार्थो दासगुप्ता को भुगतान किया गया था और इस तरह की हेडलाइन निश्चित तौर पर जानबूझकर और शरारती है.’

इसमें कहा गया कि इंडियन एक्सप्रेस अपनी रिपोर्ट में लगातार यह कहने से बचता रहा कि उपरोक्त कथन मुंबई पुलिस ने पार्थो दासगुप्ता से जबरदस्ती और दबाव में स्वीकारा है जो कानूनन स्वीकार्य नहीं है और दासगुप्ता खुद इससे इनकार कर चुके हैं.

नोटिस में भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 25 का संदर्भ दिया गया है, जो इस बात को स्वीकार करता है कि पुलिस-अधिकारी को दिया गया अपराध कभी भी किसी अपराध के आरोपी व्यक्ति के खिलाफ साबित नहीं होगा और धारा 26 के तहत यह स्पष्ट है कि यह केवल तब स्वीकार्य होता है जब एक मजिस्ट्रेट की तत्काल उपस्थिति में बयान दिया जाता है तभी इसे वैध माना जा सकता है.

नोटिस में कहा गया है कि दासगुप्ता द्वारा 6 जनवरी 2021 को सत्र न्यायालय, मुंबई के समक्ष दायर जमानत याचिका में, यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क द्वारा टीआरपी में कोई हेरफेर नहीं किया गया था.

इस तरह, दासगुप्ता के परिवार द्वारा लगाए गए कई आरोपों और तलोजा जेल से जेजे अस्पताल में उनके बाद के स्थानांतरण पता चलता है कि कथित स्वीकारोक्ति जबरदस्ती और यातना के तहत कराई गई थी.

आगे यह बताया गया कि इस मामले की जांच चल रही है और यह बॉम्बे हाईकोर्ट के सामने भी विचाराधीन है और इस तरह की पक्षपातपूर्ण रिपोर्टें कोर्ट की आपराधिक अवमानना के अलावा कुछ नहीं हैं.

आपने सभी पत्रकारीय नैतिकता का हनन करते हुए और स्थापित कानूनों के खिलाफ एक जज, जूरी और जल्लाद के रूप में काम किया है. भौतिक तथ्यों को छिपाकर, हमारे मुवक्किल को टीआरपी हेरफेर का दोषी घोषित करते हैं जबकि मामला विचाराधीन है और न्यायालय के अधीन भी हैं, इसलिए आपके दावे में अदालत की आपराधिक अवमानना है.

आगे कहा गया, ‘समाचार रिपोर्ट आपके द्वारा की गई एक घृणित, निंदनीय कोशिश है और इंडियन एक्सप्रेस द्वारा एक गंभीर पूर्वाग्रहपूर्ण अभियान का हिस्सा है जिसे कार्यान्वित किया गया है और जिसका उद्देश्य रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क की प्रतिष्ठा के साथ-साथ उनकी (रिपब्लिक टीवी की) प्रतिष्ठा को नष्ट करना है.’

इसलिए रिपब्लिक टीवी ने इंडियन एक्सप्रेस से उनके खिलाफ ऐसी मानहानिकरक रिपोर्ट प्रकाशित करने से रोकने की मांग की है. उसने बिना शर्त सार्वजनिक माफी और सही तथ्यों को रखते करते हुए एक भूलसुधार जारी करने की मांग की है.

बता दें कि मुंबई पुलिस द्वारा दर्ज पूरक चार्जशीट के अनुसार ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (बार्क) इंडिया के पूर्व सीईओ पार्थो दासगुप्ता ने मुंबई पुलिस को दिए हाथ से लिखे एक बयान में दावा किया है कि उन्हें टीआरपी से छेड़छाड़ करने के बदले रिपब्लिक चैनल के एडिटर इन चीफ अर्णब गोस्वामी से तीन सालों में दो फैमिली ट्रिप के लिए 12,000 डॉलर और कुल चालीस लाख रुपये मिले थे.

क्राइम ब्रांच ने उन पर आईपीसी की धारा 409 (एक लोकसेवक द्वारा आपराधिक विश्वासघात) और 420 (धोखाधड़ी) का आरोप लगाया है.

वहीं, रिपब्लिक टीवी ने अपने खिलाफ जारी जांच पर रोक लगाने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट में एक याचिका भी दाखिल की है.

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