नए आईटी नियमों का पालन नहीं करने पर एनबीए सदस्यों के ख़िलाफ़ दंडात्मक कार्रवाई न हो: अदालत

केरल हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर न्यूज़ बॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) की याचिका पर उससे जवाब मांगा है. इस याचिका में दलील दी गई है कि नए आईटी नियम सरकारी अधिकारियों को मीडिया की अभिव्यक्ति और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को ‘अनुचित रूप से प्रतिबंधित करने’ की ‘अत्यधिक शक्ति’ प्रदान करते हैं.

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(फोटो साभार: फेसबुक)

केरल हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर न्यूज़ बॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) की याचिका पर उससे जवाब मांगा है. इस याचिका में दलील दी गई है कि नए आईटी नियम सरकारी अधिकारियों को मीडिया की अभिव्यक्ति और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को ‘अनुचित रूप से प्रतिबंधित करने’ की ‘अत्यधिक शक्ति’ प्रदान करते हैं.

(फोटो साभार: swarajyamag.com)

कोच्चि: केरल उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्र को नए आईटी नियमों का पालन न करने पर न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) के सदस्यों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया. एनबीए कई समाचार चैनलों का प्रतिनिधित्व करता है.

जस्टिस पीबी सुरेश कुमार ने केंद्र को नोटिस जारी कर एनबीए की याचिका पर उससे जवाब मांगा है. इस याचिका में दलील दी गई है कि नए आईटी नियम सरकारी अधिकारियों को मीडिया की अभिव्यक्ति और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को ‘अनुचित रूप से प्रतिबंधित करने’ की ‘अत्यधिक शक्ति’ प्रदान करते हैं.

बार और बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस पीबी सुरेश कुमार ने आदेश में कहा, ‘प्रतिवादी आईटी नियमों के भाग III में निहित प्रावधानों का अनुपालन न करने के लिए याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं करेंगे, क्योंकि याचिकाकर्ता समाचार प्रसारक हैं.’

एनबीए की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने कहा कि नए आईटी नियम के तहत एक संयुक्त सचिव निरीक्षण तंत्र का नेतृत्व करेगा, जो एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में स्व-नियामक निकाय की निगरानी करेगा. जबकि इन नियमों के तहत मीडिया घरानों या उनके संघों को स्व-नियामक निकायों का गठन करना होगा, जिसकी अध्यक्षता शीर्ष अदालत या उच्च न्यायालयों के सेवानिवृत्त न्यायाधीश या एक प्रतिष्ठित व्यक्ति करेगा.

सिंह ने दलील दी कि इस तरह संयुक्त सचिव सेवानिवृत्त न्यायाधीश के फैसलों की निगरानी करेगा.

वकील निशा भंभानी के जरिये दायर याचिका में एनबीए ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 संविधान के अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता) और 19(1)(जी) (किसी भी पेशे का अभ्यास करने, या किसी भी व्यवसाय, व्यापार या व्यवसाय को करने की स्वतंत्रता का अधिकार) के उल्लंघन के अलावा सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 से परे है.

इससे पहले न्यूज ब्रॉडकास्ट एसोसिएशन ने बीते बृहस्पतिवार को बताया था कि उसने केरल उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर नए सूचना प्रौद्योगिकी नियमों को इस आधार पर चुनौती दी है कि वे सरकारी अधिकारियों को मीडिया की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को अनुचित रूप से प्रतिबंधित करने के लिए अत्यधिक अधिकार प्रदान करते हैं.

उसने कहा था कि आईटी नियमों के भाग-III (डिजिटल मीडिया के संबंध में आचार संहिता, प्रक्रिया और सुरक्षा उपाय) को चुनौती दी गई है, क्योंकि वे ‘डिजिटल समाचार मीडिया की सामग्री को विनियमित करने के लिए कार्यपालिका को निरंकुश और अत्यधिक अधिकार देने वाला निगरानी तंत्र’ तैयार करने की शक्ति प्रदान करता है.

एनबीए ने याचिका कहा है कि नए नियम भारत के इंफॉरमेशन टेक्नोलॉजी कानून के परे जाते हैं और संविधान के अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता) और 19(1) (कोई भी पेशा चुनने या करने का अधिकार) का उल्लंघन करते हैं.

द क्विंट की रिपोर्ट के मुताबिक, एनबीए की याचिका समाचार एजेंसी पीटीआई के दिल्ली हाईकोर्ट में नए आईटी नियमों को चुनौती देने के एक दिन बाद आई है. पीटीआई ने भी लगभग इसी आधार पर नियमों को चुनौती दी है.

कई डिजिटल समाचार मीडिया प्लेटफॉर्म पहले ही विभिन्न उच्च न्यायालयों में 2021 के आईटी नियमों को चुनौती दे चुके हैं और केंद्र ने भी उच्चतम न्यायालय का रुख कर उसे सभी याचिकाओं को अपने पास स्थानांतरित करने का अनुरोध किया है.

मालूम हो कि बीते सात जुलाई को दिल्ली हाईकोर्ट ने द क्विंट, द वायर और ऑल्ट न्यूज की आईटी नियम का पालन न करने पर दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा था.

बता दें कि सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 (आईटी नियम) को चुनौती देने वाली कई याचिकाएं दिल्ली और मद्रास हाईकोर्ट सहित विभिन्न उच्च न्यायालयों में लंबित हैं.

याचिकाएं आईटी नियमों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देती हैं जिसमें विशेष रूप से नियमों के भाग III को चुनौती दी गई है, जो डिजिटल मीडिया प्रकाशनों को विनियमित करना चाहता है.

याचिकाओं का तर्क है, नियमों का भाग III आईटी अधिनियम (जिसके तहत नियमों को फ्रेम किया गया है) द्वारा निर्धारित अधिकार क्षेत्र से परे है और यह संविधान के विपरीत भी है.

कई व्यक्तियों और संगठनों- जिनमें द वायर, द न्यूज मिनट की धन्या राजेंद्रन, द वायर के एमके वेणु, द क्विंट, प्रतिध्वनि और लाइव लॉ अपने-अपने राज्यों में विशेष रूप से महाराष्ट्र, केरल, दिल्ली और तमिलनाडु के उच्च न्यायालयों का रुख कर चुके हैं.

वहीं, डिजिटल न्यूज में बड़ी हिस्सेदारी रखने वाले 13 परंपरागत अखबार और टेलीविजन मीडिया की कंपनियों ने भी डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स एसोसिएशन (डीएनपीए) के तहत मद्रास हाईकोर्ट में एक रिट याचिका दायर करते हुए इंफॉरमेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरी गाइडलाइंस एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) रूल्स, 2021 को संविधान विरोधी, अवैध और संविधान के अनुच्छेद 14, अनुच्छेद 19 (1) क और अनुच्छेद 19 (1) छ का उल्लंघन करने वाला घोषित करने की मांग की है.

मद्रास हाईकोर्ट ने 23 जून को याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था.

कर्नाटक संगीतकार, लेखक और कार्यकर्ता टीएम कृष्णा ने भी आईटी नियमों के खिलाफ एक याचिका के साथ मद्रास हाईकोर्ट का भी रुख किया है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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