तालिबान ने महिला न्यूज़ एंकर्स को हटाया, पत्रकारों से मारपीट की: सीपीजे

दुनियाभर में मीडिया के अधिकारों के लिए काम करने वाली अमेरिका की संस्था कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (सीपीजे) ने तालिबान से मीडिया, विशेष रूप से महिला पत्रकारों को अपना काम बेरोक-टोक करने देने की अपील की है. सीपीजे के एशिया समन्वयक स्टीवन बटलर ने महिला समाचार प्रस्तुतकर्ताओं को हटाने को अशुभ संकेत बताया है.

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(फोटोः रॉयटर्स/अहमद मसूद)

दुनियाभर में मीडिया के अधिकारों के लिए काम करने वाली अमेरिका की संस्था कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (सीपीजे) ने तालिबान से मीडिया, विशेष रूप से महिला पत्रकारों को अपना काम बेरोक-टोक करने देने की अपील की है. सीपीजे के एशिया समन्वयक स्टीवन बटलर ने महिला समाचार प्रस्तुतकर्ताओं को हटाने को अशुभ संकेत बताया है.

(फोटोः रॉयटर्स/अहमद मसूद)

नई दिल्लीः दुनियाभर में मीडिया के अधिकारों के लिए काम करने वाली अमेरिका की संस्था कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (सीपीजे) ने तालिबान से मीडिया, विशेष रूप से महिला पत्रकारों को अपना काम बेरोक-टोक करने देने की अपील की है.

सीपेजी ने 19 अगस्त को जारी बयान में कहा है कि 15 अगस्त को काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद से बीते चार दिनों में दो महिला पत्रकारों को ‘रेडियो टेलीविजन अफगानिस्तान’ (आरटीए) में समाचार प्रसारित करने से रोका गया है. सीपीजे का कहना है कि तालिबान ने पूर्वी नंगरहार प्रांत में प्रदर्शन को कवर कर रहे प्रेस के दो सदस्यों पर भी हमला किया है.

सीपीजे के एशिया समन्वयक स्टीवन बटलर ने महिला समाचार प्रस्तुतकर्ताओं को हटाने को अशुभ संकेत बताते हुए कहा कि तालिबान की यह कार्रवाई संकेत है कि अफगानिस्तान के तालिबान शासकों की महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करने के अपने वादे को पूरा करने की कोई इच्छा नहीं है.

काबुल में 17 अगस्त को अपने पहले आधिकारिक समाचार कॉन्फ्रेंस में तालिबान ने ऐलान किया था कि वे अन्य देशों के साथ शांतिपूर्ण संबंध चाहते हैं और इस्लामिक कानून के दायरे में ही महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करेंगे.

तालिबान के मुख्य प्रवक्ता जबिहुल्लाह मुजाहिद ने कहा था कि महिलाओं को काम करने और पढ़ने की मंजूरी दी जाएगी और समाज में उनकी भूमिका सक्रिय रहेगी, लेकिन इस्लाम के ढांचे के भीतर.

हालांकि, काबुल में पझवोक समाचार चैनल के संपादक ने पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया, ‘तालिबान के अधिकारियों ने उनकी 18 महिला पत्रकारों को घर से काम करने की सलाह दी है, जब तक कि महिलाओं के काम करने को लेकर नई सरकार के नियम तय नहीं हो जाते.’

सीपीजे ने न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के हवाले से बताया कि तालिबान के सदस्य सरकारी रेडियो टेलीविजन अफगानिस्तान (आरटीए) के स्टेशन पहुंचे और एक तालिबानी अधिकारी ने यहां की एक महिला समाचार प्रस्तुतकर्ता खदिजा अमीन की जगह ले ली.

अमीन ने सीपीजे को बताया कि चैनल ने उन्हें कुछ दिनों के लिए घर से काम करने को कहा है. चैनल का संचालन अब एक नए तालिबानी प्रमुख के तहत हो रहा है.

सीपीजे के मुताबिक, ‘रेडियो टेलीविजन अफगानिस्तान की ही एक और महिला समाचार प्रेजेंटर शबनम दवरान से कहा गया कि अब शासन बदल चुका है और उन्हें घर चले जाना चाहिए.’

बता दें कि 1996 से 2001 के बीच सत्ता में तालिबान के काबिज रहने तक मीडिया में महिलाओं के कामकाज पर प्रतिबंध लगा हुआ था.

रॉयटर्स के मुताबिक, आरटीए में प्रेजेंटर सहर नसारी ने 19 अगस्त को पश्तो भाषा में फेसबुक पर पोस्ट कर कहा था, ‘अब यह स्पष्ट हो गया है कि तालिबान की कथनी और करनी में बहुत अंतर है.’

नसारी ने कहा कि जब वह गुरुवार (19 अगस्त) को काबुल में एक स्टोरी कवर कर रहे थे तो तालिबान के सदस्यों ने उनका कैमरा छीन लिया और उनके एक सहयोगी से मारपीट की.

सीपीजे के सूत्रों के मुताबिक, ‘रेडियो टेलीविजन अफगानिस्तान में काम करने वाले पुरुषों को काम करने की मंजूरी है. ’

17 अगस्त से तालिबान द्वारा नियुक्त एक न्यूज एंकर तालिबान के बयानों को प्रसारित कर रहा है.

जलालाबाद में दो रिपोर्टर एक निजी समाचार एजेंसी पझवोक के वीडियो रिपोर्टर बबराक अमीरजादा और एक निजी समाचार एवं मनोरंजन ब्रॉडकास्टर एरियाना न्यूज के कैमरा ऑपरेटर महमूद नईमी को विरोध प्रदर्शन कवर करने के दौरान पीटा गया.

पत्रकारों का कहना है कि उन्हें हर कहीं रायफल के पिछले हिस्से से बुरी तरह से पीटा गया.

सीपीजे के बयान में जर्मनी के मीडिया संस्थान डॉयचे वेले के पत्रकार के एक रिश्तेदार की तालिबान द्वारा की गई हत्या की जांच का भी जिक्र है. बयान में कहा गया कि कम से कम चार मीडियाकर्मियो के घरों पर छापेमारी की गई.

अफगानिस्तान के सबसे बड़े निजी प्रसारक टोलो न्यूज को चलाने वाले मोबी समूह के प्रमुख साद मोहसेनी ने बताया, ‘तालिबान के सत्ता में काबिज होने के बाद से उनके पत्रकारों को अभी तक किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचा है और उनकी महिला पत्रकार भी काम कर रही हैं.’

इस हफ्ते टोलो न्यूज की एक महिला पत्रकार को तालिबान के एक अधिकारी ने साक्षात्कार भी दिया था, जो तालिबान के पूर्व के शासन के दौरान शायद अकल्पनीय था.

साद मोहसेनी फिर भी कह रहे हैं कि भविष्य अभी भी अनिश्चितता से भरा हुआ है.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

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