अहमदाबाद नगर निगम की टाउन प्लानिंग एंड एस्टेट मैनेजमेंट कमेटी के प्रमुख देवांग दानी ने बताया कि अंडे सहित सभी मांसाहारी भोजन बेचने वाले स्टॉल को मुख्य सड़कों के अलावा धार्मिक स्थलों, उद्यानों, सार्वजनिक स्थानों, स्कूल और कॉलेजों की सौ मीटर की सीमा के भीतर भी प्रतिबंधित कर दिया गया है.
नई दिल्ली: अहमदाबाद नगर निगम ने शहर की मुख्य सड़कों से मांसाहारी भोजन बेचने वाले सभी स्टॉल हटाने का फैसला किया है. इस कदम के बाद वह ऐसा करने वाला राज्य का चौथा नगर निकाय बन गया है.
इंडियन एक्सप्रेस ने बताया है कि कैसे, पहले, राजकोट, वडोदरा और भावनगर नगर निकायों के राजनीतिक नेताओं ने मांसाहारी खाने के ठेलो आदि को हटाने के निर्देश जारी किए हैं. अख़बार की रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘अतिक्रमण विरोधी अभियान’ के हिस्से के रूप में कुछ को स्थायी समिति की अनुमति के बिना हटा दिया गया था.
स्थायी समिति इस तरह के प्रस्तावों को मंजूरी देने के लिए शीर्ष निकाय है और इसके सदस्य कॉरपोरेटर हैं.
अहमदाबाद नगर निगम की राजस्व समिति के अध्यक्ष जैनिक वकील ने कुछ दिन पहले गुजरात की ‘पहचान और परंपरा’ का हवाला देते हुए मांसाहारी गाड़ियों को हटाने के प्रस्ताव के साथ स्थायी समिति को लिखा था.
It is not a question of vegetarian and non-vegetarian. People are free to eat whatever they want. But the food being sold at stalls should not be harmful & the stalls should not obstruct traffic flow: Gujarat CM Bhupendra Patel in Anand pic.twitter.com/0839VdSjrp
— ANI (@ANI) November 15, 2021
अहमदाबाद नगर निगम की टाउन प्लानिंग एंड एस्टेट मैनेजमेंट कमेटी के प्रमुख देवांग दानी ने इस अखबार को बताया कि अंडे सहित सभी मांसाहारी भोजन बेचने वाले स्टॉल को मंगलवार से शुरू हुई जांच के बाद हटा दिया जाएगा.
इन ठेलों को मुख्य सड़कों के अलावा ‘धार्मिक स्थलों, उद्यानों, सार्वजनिक स्थानों, स्कूलों और कॉलेजों की 100 मीटर की सीमा के भीतर’ भी प्रतिबंधित कर दिया गया है.
देवांग दानी ने सुबह सैर करने आने वालों, धार्मिक स्थलों पर जाने वाले निवासियों और माता-पिता की ‘इन ठेलों से आने वाली दुर्गंध की शिकायतों का हवाला देते हुए बताया, ‘इन ठेलों को मुख्य सड़कों के अलावा ‘धार्मिक स्थलों, उद्यानों, सार्वजनिक स्थानों, स्कूलों और कॉलेजों की 100 मीटर की सीमा के भीतर’ भी प्रतिबंधित कर दिया गया है.’
उन्होंने कहा, ‘इससे छोटे बच्चों के दिमाग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है.’
"I've learnt about the ban on eggs carts, but I'm a sandwich seller & my cart was also taken," says Sundar.
Y'day Gujarat CM Bhupendra Patel had said, "It wasn't about veg or non-veg food. People free to eat whatever they want. But food stalls should not obstruct traffic flow." pic.twitter.com/sOdzal8OoI
— ANI (@ANI) November 16, 2021
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, अहमदाबाद नगर निगम के इस कदम के बाद सड़क पर ठेला लगाने वाले विक्रेताओं को आजीविका छिन जाने का डर है.
एक विक्रेता राकेश ने एजेंसी से कहा, ‘इस बात का क्या मतलब हुआ कि हम पर प्रतिबंध है और होटलों को अनुमति रहेगी. क्या वहां से दुर्गंध नहीं आती है?’
एक अन्य विक्रेता सुंदर ने बताया कि उन्होंने अंडे के स्टॉल पर बैन के बारे में सुना था लेकिन उनका अंडे का नहीं बल्कि सैंडविच का स्टॉल था, लेकिन उनके स्टॉल को भी हटा दिया गया.
गौरतलब है कि राज्य के सभी आठ नगर निगमों पर भाजपा का शासन है. हालांकि पार्टी ने इन क़दमों से दूरी बरती है.
राज्य में भाजपा प्रमुख सीआर पाटिल ने इस अख़बार से कहा था कि यह नेताओं की अपनी निजी राय थी और राज्य भाजपा का इससे कोई लेना-देना नहीं है और वे इसे पूरे राज्य में लागू नहीं करेंगे.
गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने भी कहा कि उनकी सरकार को ‘किसी के शाकाहारी या मांसाहारी खाना खाने पर कोई एतराज नहीं है.’
उन्होंने कहा, ‘इन ठेलों पर बिकने वाला खाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं होना चाहिए, और अगर ये यातायात में बाधा डालते हैं तो नगर निगम इन्हें हटा सकता है… जहां तक वेज-नॉन-वेज की बात है तो, जो भी शख्श जो खाना चाहता है, हमें उससे कोई एतराज नहीं है.’
उल्लेखनीय है कि बीते कुछ समय से मांसाहारी भोजनालयों को स्थानीय हिंदुत्व समूहों या प्रशासनिक इकाइयों के बढ़ते दबाव का सामना करना पड़ रहा है.
अक्टूबर में कर्नाटक पुलिस ने कथित तौर पर एक प्राथमिकी दर्ज करने से इनकार कर दिया था जब एक मुस्लिम परिवार ने आरोप लगाया था कि एक हिंदुत्व समूह द्वारा उनकी चिकन की दुकान में तोड़फोड़ की गई थी. बताया गया कि समूह ने मांग की थी कि दुकान को एक मंदिर के उद्घाटन के लिए बंद कर दिया जाए,
उसी महीने, कई उत्तर भारतीय शहरों से दक्षिणपंथी हिंदुत्ववादी संगठनों के सदस्यों द्वारा मांस की दुकानों को नवरात्रि के दौरान बंद करवाने के लिए दबाव बनाते कई वीडियो सामने आए थे.