मीडिया परिदृश्य से खोजी पत्रकारिता गायब हो रही है: चीफ जस्टिस रमना

पेशेवर करिअर की शुरुआत एक पत्रकार के रूप में करने वाले चीफ जस्टिस एनवी रमना ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि पूर्व में हमने घोटालों और कदाचार को लेकर अख़बारों की रिपोर्ट देखी हैं, जिनसे हलचल पैदा हुई हैं, लेकिन हाल के सालों में बेमुश्किल एक या दो को छोड़कर इस तरह की कोई खोजी रिपोर्ट याद नहीं आती. 

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जस्टिस एनवी रमना. (फोटो: पीटीआई)

पेशेवर करिअर की शुरुआत एक पत्रकार के रूप में करने वाले चीफ जस्टिस एनवी रमना ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि पूर्व में हमने घोटालों और कदाचार को लेकर अख़बारों की रिपोर्ट देखी हैं, जिनसे हलचल पैदा हुई हैं, लेकिन हाल के सालों में बेमुश्किल एक या दो को छोड़कर इस तरह की कोई खोजी रिपोर्ट याद नहीं आती.

चीफ जस्टिस एनवी रमना. (फोटो साभार: यूट्यूब/सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन)

नई दिल्ली: देश के चीफ जस्टिस एनवी रमना का कहना है कि खोजी पत्रकारिता की अवधारणा दुर्भाग्य से मीडिया परिदृश्य से कम से कम भारतीय संदर्भ में गायब हो रही है.

चीफ जस्टिस ने पत्रकार सुधाकर रेड्डी उदुमुला की लिखी किताब ‘ब्लड सैंडर्स: द ग्रेट फॉरेस्ट हाइस्ट’ के विमोचन पर कहा, ‘पूर्व में हमने घोटालों और कदाचार को लेकर अखबारों की रिपोर्ट देखी हैं, जिनसे हलचल पैदा हुई हैं, लेकिन हाल के सालों में बेमुश्किल एक या दो को छोड़कर मुझे इस तरह की कोई खोजी रिपोर्ट याद नहीं आती. हमारे बगीचे में सब कुछ गुलाबी प्रतीत होता है. मैं निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए इसे आप पर छोड़ देता हूं.’

उन्होंने कहा, ‘एक ऐसे शख्स के तौर पर जिसका पहला काम पत्रकार का था. मैं यहां मीडिया की मौजूदा स्थिति को लेकर कुछ विचार पेश कर रहा हूं. खोजी पत्रकारिता की अवधारणा दुर्भाग्य से मीडिया परिदृश्य से गायब हो रही है, यह कम से कम भारतीय संदर्भ में सच है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘जब हम बड़े हो रहे थे तो बड़े-बड़े घोटालों को उजागर करने वाले समाचार-पत्रों का बेसब्री से इंतजार करते थे. समाचार-पत्रों ने हमें कभी निराश नहीं किया.’

उन्होंने कहा, ‘अतीत में हमने घोटालों के बारे में समाचार-पत्रों की रिपोर्ट देखी हैं, जिनके गंभीर परिणाम सामने आए हैं. एक या दो को छोड़कर मुझे हाल के वर्षों में इतनी महत्ता की कोई खबर याद नहीं है.’

बता दें कि सीजेआई रमना ने अपने पेशेवर करिअर की शुरुआत इनाडु अखबार में बतौर पत्रकार के रूप में की थी.

सीजेआई ने किताब के विषय पर कहा, ‘लाल चंदन के पेड़ विलुप्ति की कगार पर खड़े हैं. दुनिया में हर बेहतरीन चीज की तरह लाल चंदन भी मनुष्य के लालच की भेंट चढ़ गए.’

उन्होंने कहा कि लाल चंदन के काटने से पारिस्थितिकी विनाश के परिणाम विश्व स्तर पर देखे जा सकते हैं और इन मुद्दों से स्थानीय स्तर पर निपटना समय की मांग है.

चीफ जस्टिस ने कहा कि लाल चंदन की सुरक्षा के लिए पहले से मौजूद कानूनों को लागू करने के लिए आवश्यक इच्छाशक्ति की कमी थी.

उन्होंने कहा, ‘ऐसे में मीडिया को अपनी भूमिका निभाने की जरूरत है. रक्षकों की भूमिका निभाने वाले व्यक्तियों और संस्थानों की सामूहिक विफलताओं को मीडिया द्वारा उजागर करने की आवश्यकता है.’

उन्होंने कहा कि लोगों को इस प्रक्रिया में कमियों के बारे में जागरूक करने की जरूरत है और यह एक ऐसा काम है, जो केवल मीडिया ही कर सकता है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने लेखक सुधाकर के साथ अपने जुड़ाव को याद करते हुए कहा कि रेड्डी का परिवार आंध्र प्रदेश में एक ऐसे गांव से है, जो उनके पैतृक स्थान के पास है.

सीजेआई रमना ने तेलुगू में कहा, ‘मुझे अपने गांव की याद आती है, मैं वहां अच्छे-पुराने दिनों और बेहतरीन दोस्तों को याद कर रहा हूं. मैं लंबे समय से अपने गांव नहीं गया और वहां जाने का इच्छुक हूं. मुझे बहुत जल्द ऐसा करने की उम्मीद है.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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