‘एएमयू पर हमला करने वाले याद रखें कि सावरकर ने जिन्ना की मुस्लिम लीग के साथ गठबंधन किया था’

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में इतिहास के प्रोफेसर मोहम्मद सज्जाद का कहना है कि सरकार की तरह एएमयू इतिहास को अपने हिसाब से तोड़ने-मरोड़ने में विश्वास नहीं रखता.

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अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में इतिहास के प्रोफेसर मोहम्मद सज्जाद का कहना है कि सरकार की तरह एएमयू इतिहास को अपने हिसाब से तोड़ने-मरोड़ने में विश्वास नहीं रखता.

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एएमयू में हुआ बवाल और घायल हुए छात्र (फोटो: Special Arrangement)

अलीगढ़: बुधवार दोपहर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) में मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर हटवाने की मांग को लेकर पहुंचे हिंदू युवा वाहिनी के हथियारबंद कार्यकर्ता पुलिस के साथ कैंपस पहुंचे, जिसके बाद हुए लाठीचार्ज में यूनिवर्सिटी के ढेरों छात्र घायल हो गए हैं.

इन कार्यकर्ताओं की मांग थी कि यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट यूनियन हॉल से जिन्ना की तस्वीर हटाई जाए, जो करीब 80 साल से यहां लगी है.

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, हैदराबाद यूनिवर्सिटी, दिल्ली यूनिवर्सिटी के रामजस कॉलेज के बाद अब एएमयू हिंदुत्व समूहों के निशाने पर है, जहां उनका दावा है कि कैंपस में ‘देश-विरोधी’ गतिविधियां हो रही हैं.

मालूम हो कि जब तक मुस्लिम लीग के ‘टू नेशन थ्योरी’ (जिसके चलते विभाजन हुआ और पाकिस्तान बना) देने से पहले तक जिन्ना देश की आजादी की लड़ाई में काफी सक्रिय थे.

पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के एक कार्यक्रम में एएमयू आने से चंद घंटों पहले हिंदू युवा वाहिनी के करीब 30 कार्यकर्ता वर्दीधारी पुलिस वालों के साथ एमएमयू के मेन गेट बाब-ए-सय्यद पर पहुंचे. उन्होंने ‘हम जिन्ना को भारत में ऐसी इज्जत नहीं मिलने देंगे, ‘अगर भारत में रहना है तो वंदेमातरम कहना है’, ‘वंदेमातरम’ और ‘जय श्री राम’ के नारे लगाए गए.

इस बीच पुलिस वालों ने इस मार्च को मेन गेट से करीब 50 गज दूर रोकने का दिखावा किया. इसके बाद हिंदू युवावाहिनी के कार्यकर्ताओं ने वहां मौजूद छात्रों की जिंदगी खतरे में डालते हुए पिस्तौल और अन्य हथियार हवा में लहराए.

इसके बाद जब एएमयू छात्रसंघ के लोग अन्य छात्रों के साथ गेट पर आए तब इन सभी के बीच छोटी-सी झड़प हुई और हिंदू युवा वाहिनी के 6 कार्यकर्ताओं को पुलिस को सौंपा गया. बताया जा रहा है कि पुलिस ने इन पर कोई एफआईआर दर्ज नहीं की और आरोपियों को छोड़ दिया.

इसके बाद बड़ी संख्या में छात्र गेट पर जमा हुए. उनके अनुसार वे पुलिस के कानून के साथ न खड़े होने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के लिए आये थे.

और इसके बाद जैसा छात्रों ने बताया पुलिस और हिंदू युवा वाहिनी और ज्यादा संख्या में लौटे, उन्होंने एएमयू के लोगों पर लाठीचार्ज किया. इस बीच हिंदू युवा वाहिनी के कार्यकर्ताओं ने उन पर पत्थर फेंके.

पुलिस के पीछा करने पर छात्र भागकर कैंपस के अंदर आ गए. एएमयू छात्रसंघ के अध्यक्ष मशकूर अहमद उस्मानी, सचिव मोहम्मद फहाद और पूर्व उपाध्यक्ष मज़िन ज़ैदी समेत 65 से ज्यादा छात्र गंभीर रूप से घायल हुए हैं, जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया.

लगभग दो घंटे से ज्यादा बेहोश रहने के बाद, उस्मानी ने बताया, ‘ये संस्थान और छात्रों के खिलाफ पुलिस और संघ परिवार के सदस्यों का एक पूर्व-नियोजित और संगठित हमला था. पुलिस से हिंदू युवा वाहिनी के 30 कार्यकर्ताओं नहीं संभले लेकिन उन्होंने बेक़सूर छात्रों को बुरी तरह पीटने में कोई कसर नहीं छोड़ी.’

इसके बाद यूनिवर्सिटी ने बताया कि उन्होंने वो कार्यक्रम रद्द कर दिया है, जिसमें हामिद अंसारी को बुलाया गया था.

1938 से लगी है जिन्ना की तस्वीर

बुधवार को हुए हमले के पीछे की वजह एएमयू स्टूडेंट यूनियन के हॉल में लगी मोहम्मद अली जिन्ना की एक तस्वीर को लेकर जानबूझकर तैयार किया गया विवाद था.

न तो ये तस्वीर नई है और न ही इसे अभी लगाया गया है, जैसा कि सोशल मीडिया पर गलत जानकारी फैलाई जा रही है. ये विभाजन और पाकिस्तान बनने से भी पहले से यहां लगी है.

अलीगढ़ से भाजपा सांसद सतीश गौतम ने हाल ही में जिन्ना की तस्वीर को लेकर विवाद पैदा करने की कोशिश की, जिसके बाद इसमें संघ परिवार के अन्य नेता भी शामिल हो गए और एएमयू पर आज भी जिन्ना और पाकिस्तान के प्रति उदार होने का आरोप लगाया.

लेकिन सच क्या है ये एएमयू में इतिहास के प्रोफेसर मोहम्मद सज्जाद बताते हैं. उन्होंने बताया कि जिन्ना की ये तस्वीर स्टूडेंट यूनियन हॉल में 1938 से लगी है, जब जिन्ना को एएमयू छात्रसंघ की आजीवन सदस्यता दी गयी थी. एएमयू छात्रसंघ की आजीवन सदस्यता सबसे पहले महात्मा गांधी को दी गयी थी. इसके बाद एएमयू छात्रसंघ की आजीवन सदस्यता डॉ. बीआर आंबेडकर, जवाहरलाल नेहरू, सीवी रमन, जयप्रकाश नारायण और मौलाना अबुल कलाम आज़ाद समेत कई और लोगों को दी गयी, जिनकी भी तस्वीरें यहां लगी हैं.’

प्रोफेसर सज्जाद ने कहा, ‘जो लोग 1947 के विभाजन और जिन्ना की ‘टू नेशन थ्योरी’ के चलते इस तस्वीर को हटाने की मांग कर रहे हैं, वे ऐतिहासिक तथ्य और कलाकृतियों को न बदलने के बारे में कुछ नहीं जानते जैसा कि उनके ऐतिहासिक स्मारकों और आधुनिक सिलेबस को लेकर रवैये को लेकर पता चलता है. इस सरकार की तरह एएमयू इतिहास को अपने हिसाब से तोड़ने-मरोड़ने में विश्वास नहीं रखता.’

उस्मानी ने भी बताया, ‘जो आज एएमयू पर हमला कर रहे हैं, उन्हें याद रखना चाहिए कि आरएसएस के आदर्श वीडी सावरकर, जो सालों तक हिंदू महासभा के प्रमुख भी रहे, ने असहयोग आंदोलन का बहिष्कार किया था और विभाजन से पहले जिन्ना की मुस्लिम लीग के साथ दो प्रांतों में गठबंधन किया था.’

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