अपने ही अधिकारी के ख़िलाफ़ गई दिल्ली पुलिस, ‘संवेदनशील’ बताकर दंगों की सूचना देने से इनकार

उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे को लेकर द वायर द्वारा दायर किए गए आरटीआई आवेदन पर अपीलीय अधिकारी द्वारा आदेश देने के बाद भी दिल्ली पुलिस ने जानकारी देने से मना कर दिया. पुलिस ने सिर्फ़ गिरफ़्तार किए गए लोगों, दर्ज की गई एफआईआर, मृतकों एवं घायलों की संख्या की सूचना दी है.

कोर्ट ने 10 दिन में केंद्र से विवादित पर्यावरण अधिसूचना को 22 भाषाओं में प्रकाशित करने को कहा

दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कहा गया था कि पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना, 2020 सि​र्फ़ अंग्रेज़ी और हिंदी में प्रकाशित किया गया है, जबकि इसका असर पूरे देश पर और कई उद्योगों पर होगा और पूरे देश से राय मांगी गई है. पर्यावरण कार्यकर्ताओं का कहना है कि नई अधिसूचना पर्यावरण विरोधी और हमें समय में पीछे ले जाने वाला है.

अदालत ने पर्यावरण संबंधी विवादित अधिसूचना पर सुझाव देने की समयसीमा बढ़ाकर 11 अगस्त की

इस विवादास्पद अधिसूचना में कुछ उद्योगों को सार्वजनिक सुनवाई से छूट देना, उद्योगों को सालाना दो अनुपालन रिपोर्ट के बजाय एक पेश करने की अनुमति देना और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों में लंबे समय के लिए खनन परियोजनाओं को मंज़ूरी देने जैसे प्रावधान शामिल हैं. सरकार ने सुझाव के लिए 30 जून तक का समय दिया था.

दिल्ली दंगों के 19 मामलों में पुलिस की दलील, आरोपी को ज़मानत देने से ग़लत संदेश जाएगा: रिपोर्ट

बीते 29 मई को दिल्ली हाईकोर्ट ने दंगे के एक आरोपी को ज़मानत देते हुए पुलिस की इस दलील को ख़ारिज कर दी थी कि ज़मानत देने से समाज में गलत संदेश जाएगा. हाईकोर्ट ने कहा था कि अदालत का काम क़ानून के मुताबिक न्याय देना है, न कि समाज को संदेश देना.

पर्यावरण प्रभाव आकलन पर आपत्ति लेने के लिए समय बढ़ाने की मांग, कोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा

याचिकाकर्ता ने कहा है कि चूंकि कोविड-19 महामारी के चलते अभी भी बड़े शहरों में लॉकडाउन है, जिसके कारण यहां कि जनता अधिसूचना पर राय नहीं भेज पा रही है. इसके अलावा पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना को सिर्फ़ अंग्रेज़ी भाषा में प्रकाशित किया गया है, जिससे एक बड़ी आबादी वैसे ही राय देने के दायरे से बाहर हो जाती है.

ज़्यादातर लोगों ने मोदी सरकार से नए पर्यावरण क़ानून को वापस लेने की मांग की है: दस्तावेज़

प्रस्तावित पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना में जिन विवादास्पद संशोधनों का प्रस्ताव किया गया है, उनमें कुछ उद्योगों को सार्वजनिक सुनवाई से छूट देना, उद्योगों को सालाना दो अनुपालन रिपोर्ट्स के बजाय एक रिपोर्ट देने की अनुमति देना और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों में लंबे समय के लिए खनन परियोजनाओं को मंज़ूरी देने जैसे प्रावधान शामिल हैं.

नए पर्यावरण क़ानून पर जनता से राय लेने की समयसीमा बढ़ाने के मांग जावड़ेकर ने ख़ारिज कर दी थी

आरटीआई के तहत प्राप्त किए गए दस्तावेज़ों से पता चलता है कि जनता द्वारा भेजे गए सुझावों के आधार पर पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारियों ने टिप्पणियां भेजने की समयसीमा 60 दिन बढ़ाने की मांग की थी, लेकिन केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इसे सिर्फ 20 दिन बढ़ाया.

जवानों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की अनुमति न मिलने संबंधी दस्तावेज़ सार्वजनिक करने से सीआईसी का इनकार

जम्मू कश्मीर सरकार ने 2001 से 2016 के बीच कथित फ़र्ज़ी एनकाउंटर, बलात्कार, हिरासत में मौत जैसे 50 मामलों में आरोपित सेना के जवानों के ख़िलाफ़ मुक़दमा चलाने के लिए केंद्र सरकार से इजाज़त मांगी थी, जिसे स्वीकृति नहीं मिली. आरटीआई के तहत इसकी वजह जानने के लिए किए गए आवेदन के जवाब में केंद्रीय सूचना आयोग ने कहा है कि वह सेना से जुड़े दस्तावेज़ों के निरीक्षण का आदेश नहीं दे सकता.

पीएमओ ने हाईकोर्ट से कहा, पीएम केयर्स को आरटीआई के दायरे में लाने पर विचार नहीं किया जा सकता

दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर प्रधानमंत्री कार्यालय के उस जवाब को चुनौती दी गई है, जिसमें उसने कहा था कि पीएम केयर्स फंड आरटीआई एक्ट के तहत पब्लिक अथॉरिटी नहीं है.

स्वास्थ्य मंत्रालय कोरोना अस्पतालों के बारे में सभी जानकारी 15 दिन के भीतर अपलोड करे: सीआईसी

सीआईसी ने कहा कि इस मामले के तथ्यों और सभी स्टेकहोल्डर्स द्वारा आयोग के सामने पेश किए गए जवाबों से पता चलता है कि कोरोना महामारी से संबंधित बेहद जरूरी जानकारी को मंत्रालय के किसी भी विभाग द्वारा मुहैया नहीं कराया जा सका है.

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