वीडियो: हनुमान चालीसा और अज़ान को लेकर चल रहे विवाद पर उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने कह दिया है कि हनुमानजी जाट जाति से हैं और साथ ही कहा कि आप उनके बारे में क्या बात करेंगे, हम उनके बच्चे हैं. उनसे बड़ा कोई नहीं है. वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान का नज़रिया.
बीते दिनों कन्नड अभिनेता किचा सुदीप द्वारा हिंदी को राष्ट्रभाषा कहने के संबंध में एक बयान दिया था, जिस पर बॉलीवुड अभिनेता अजय देवगन ने पटलवार करते हुए कहा था कि हिंदी हमारी मातृभाषा और राष्ट्रीय भाषा थी, है और हमेशा रहेगी. हिंदी फिल्मों की तुलना में दक्षिण की ‘केजीएफ चैप्टर 2’ और ‘आरआरआर’ जैसी फिल्मों की सफलता ने हिंदी बनाम अन्य की बहस को फिर से तेज़ कर दिया है.
साल 1989 का एक वाकया सुनाते हुए तेलुगू अभिनेता चिरंजीवी ने बताया कि उनकी फिल्म ‘रुद्रवीणी’ को नरगिस दत्त सम्मान देने के लिए दिल्ली बुलाया गया था. उन्होंने कहा कि इससे पहले हुए एक कार्यक्रम के दौरान भारतीय सिनेमा के इतिहास को चित्रित करने वाली एक दीवार पर हिंदी सिनेमा की जानकारी भरी हुई थी, लेकिन दक्षिण भारतीय फिल्म उद्योग के बारे में बहुत ही कम जानकारी दी गई थी.
हिंदी फिल्मों की तुलना में दक्षिण भारतीय फिल्मों को मिली जबरदस्त सफलता के संदर्भ में कन्नड अभिनेता किचा सुदीप ने कहा है कि आज हम ऐसी फिल्में बना रहे हैं, जो वैश्विक स्तर पर नाम कमा रही हैं. उनका बयान ऐसे समय आया है, जब हाल में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि सरकार चलाने का माध्यम राजभाषा है और इससे निश्चित रूप से हिंदी का महत्व बढ़ेगा. समय आ गया है कि राजभाषा को देश की एकता
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बीते दिनों कहा था कि सभी पूर्वोत्तर राज्य दसवीं कक्षा तक हिंदी अनिवार्य करने पर सहमत हो गए हैं. कांग्रेस प्रवक्ता सनोउजम श्यामचरण सिंह को इसकी आलोचना पर दर्ज शिकायत के बाद उन्हें गिरफ़्तार किया गया. उधर, आठ छात्र इकाइयों के संगठन द नॉर्थ ईस्ट स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन ने कहा है कि हिंदी अनिवार्य करना पूर्वोत्तर की मूल भाषाओं के लिए अहितकर होगा और इससे सौहार्द बिगड़ेगा.
असम में विपक्षी दलों ने भी केंद्र सरकार की उस घोषणा का विरोध किया है, जिसमें कहा गया था कि पूर्वोत्तर के आठों राज्य 10वीं कक्षा तक हिंदी को अनिवार्य विषय बनाने पर सहमत हो गए हैं. उन्होंने इस क़दम को ‘सांस्कृतिक साम्राज्यवाद की ओर बढ़ाया गया क़दम’ क़रार दिया.
उत्तर प्रदेश के गोंडा ज़िले में स्थित आसाराम के आश्रम में खड़ी एक कार से बीते आठ अप्रैल को एक नाबालिग लड़की का शव बरामद किया गया था. शाहजहांपुर की बलात्कार पीड़िता के पिता ने कहा कि शव मिलने के बाद उनका परिवार और ज़्यादा भयभीत है. उन्होंने दावा किया है कि बीते 21 मार्च को आसाराम का एक अनुयायी उनके घर आया था और धमकी भरा पत्र छोड़कर गया है.
जन्मदिन विशेष: महादेवी वर्मा जीवन भर व्यवस्था और समाज के स्थापित मानदंडों से लगातार संघर्ष करती रहीं और इसी संघर्ष ने उन्हें अपने समय और समाज की मुख्यधारा में सिर झुकाकर भेड़ों की तरह चुपचाप चलने वाली नियति से बचाकर एक मिसाल के रूप में स्थापित कर दिया.
वीडियो: हाल ही में राजकमल प्रकाशन से अशोक कुमार पांडेय की किताब ‘सावरकर: काला पानी और उसके बाद’ प्रकाशित होकर आई है. इस किताब में कई ऐसी सच्चाइयों को बयान किया गया है, जिसका उल्लेख कम ही किया जाता है. लेखक का कहना है कि किसी के बारे में जानने के लिए यह नहीं पढ़ना चाहिए कि दूसरों ने उन पर क्या लिखा है, बल्कि वह पढ़ा जाना चाहिए, जो उन्होंने ख़ुद लिखा है. इससे उनके मूल विचारों का पता
विशेष: यशपाल के लिए साहित्यिकता अपने विचारों को एक बड़े जन-समुदाय तक पहुंचाने का माध्यम थी. पर इस साहित्यिकता का निर्माण विद्रोह और क्रांति की जिस चेतना से हुआ था, वह यशपाल के समस्त लेखन का केंद्रीय भाव रही. यह उनकी क्रांतिकारी चेतना ही थी जो हर यथास्थितिवाद पर प्रश्न खड़ा करती थी.
जन्मदिन विशेष: रघुवीर सहाय ने संसदीय जनतंत्र में आदमी के बने रहने की चुनौतियों को शायद किसी भी दूसरे कवि से बेहतर समझा था. सत्ता और व्यक्ति के बीच के रिश्ते में ख़ुद आदमी का क्षरित होते जाना. हम कैसे लोग हैं, किस तरह का समाज?
स्मृति शेष: मन्नू भंडारी को पढ़ते वक़्त ज़िंदगी अपने सबसे साधारण, निजी से भी निजी और सबसे विशुद्ध रूप में सामने आती है- और हम तुरंत ही उससे कुछ अपना जोड़ लेते हैं. मन्नू भंडारी की रचनाएं किसी समाज को बदलकर रख देने का वादा नहीं करती और न स्वयं लेखक ही पाठक को इस मुगालते में रखती हैं.
मन्नू भंडारी को ‘नई कहानी’ आंदोलन के अग्रदूतों में से एक माना जाता था, जो एक हिंदी साहित्यिक आंदोलन था. वह स्वतंत्रता बाद के उन लेखकों में से एक थीं, जिन्होंने महिलाओं के बारे में लिखा तथा अपने लेखन में मज़बूत और स्वतंत्र व्यक्ति के रूप में उन पर एक नई रोशनी डाली थी. अपने लेखन से उन्होंने महिलाओं के यौन, भावनात्मक, मानसिक और वित्तीय शोषण को भी चुनौती दी थी.
मिज़ोरम के मुख्यमंत्री जोरमथांगा ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखते हुए से राज्य की नवनियुक्त मुख्य सचिव को बदलने की मांग की है. उनका कहना है कि मुख्य सचिव काम चलाने लायक भी मिज़ो भाषा नहीं जानती हैं और उनकी कैबिनेट के सदस्य हिंदी नहीं समझ पाते हैं और कुछ को अंग्रेज़ी में भी मुश्किल होती है.
फैब इंडिया के एक हालिया विज्ञापन पर आपत्ति के बाद कंपनी का उसे हटाने का फ़ैसला उसी बीमारी को उजागर करता है, जिसका भारत को डटकर सामना करने की ज़रूरत है.