जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम के तहत गिरफ़्तारी, संपत्ति की कुर्की और ज़ब्ती से संबंधित ईडी की शक्तियों को बरक़रार रखा था. इसकी समीक्षा के लिए दायर कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम की याचिका की सुनवाई में सीजेआई एनवी रमना की पीठ ने माना कि दो मुद्दों पर पुनर्विचार की आवश्यकता है.
अहमदाबाद पुलिस की क्राइम ब्रांच में दर्ज हुई एफआईआर में सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ पर आरोप है कि उन्होंने 2002 के गुजरात दंगों को लेकर तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ-साथ अन्य मंत्रियों, अफसरों और राज्य सरकार को बदनाम करने की साज़िश रची थी. बीते 30 जुलाई को हाईकोर्ट उन्हें ज़मानत देने से इनकार कर चुका है.
वरिष्ठ अधिवक्ता और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने एक कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसलों को लेकर कहा कि यदि आपको लगता है कि जज हमेशा क़ानून के अनुसार निर्णय लेते हैं, तो आप ग़लत हैं. राजनीतिक तौर पर संवेदनशील मामले कुछ चुनिंदा जजों को दिए जाते हैं और निर्णय का क्या होगा, यह कोई भी बता सकता है.
वीडियो: पिछले कुछ दिनों से देश में हो रही पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारियां और इन मामलों पर अदालतों के रवैये पर सुप्रीम कोर्ट के वकील और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल से द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
उत्तर प्रदेश प्रशासन ने जेएनयू की छात्रा आफ़रीन फ़ातिमा के पिता और वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया के नेता जावेद मोहम्मद के इलाहाबाद स्थित घर को बुलडोज़र चलाकर जमींदोज कर दिया था. यह क़दम पुलिस द्वारा जावेद को 10 जून को शहर में हुए प्रदर्शनों का ‘मास्टरमाइंड’ बताए जाने के बाद उठाया गया था. पैगंबर मोहम्मद के बारे में भाजपा नेताओं के बयानों के बाद उक्त प्रदर्शन हुए थे.
पूर्व कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने बताया कि वह क़रीब 10 दिन पहले 16 मई को कांग्रेस से इस्तीफ़ा दे चुके हैं. उन्होंने कहा कि 30-31 साल के रिश्ते को छोड़ना आसान नहीं होता. विभिन्न राज्यों से कांग्रेस नेताओं के इस्तीफ़ा देने का सिलसिला जारी है. इससे पहले हार्दिक पटेल, सुनील जाखड़, अश्विनी कुमार, आरपीएन सिंह और अमरिंदर सिंह जैसे नेता पार्टी का साथ छोड़ चुके हैं.
कांग्रेस की ओर से चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को पार्टी के 'विशेषाधिकार प्राप्त कार्य समूह-2024’ का हिस्सा बनकर दल में शामिल होने की पेशकश की गई थी, जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस को पार्टी की ढांचागत समस्याओं को दूर करने के लिए उनसे ज़्यादा ज़रूरत नेतृत्व और सामूहिक इच्छाशक्ति की है.
कांग्रेस के ‘जी 23’ समूह के प्रमुख सदस्य गुलाम नबी आजाद ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने के बाद कहा कि फिलहाल नेतृत्व परिवर्तन कोई मुद्दा नहीं है, उन्होंने सिर्फ संगठन को मज़बूत बनाने तथा आगे के विधानसभा चुनावों की तैयारियों को लेकर अपने सुझाव दिए हैं.
कांग्रेस के ‘जी 23’ समूह के नेताओं ने कहा कि पार्टी समान विचारधारा वाली सभी ताक़तों के साथ संवाद की शुरुआत करे ताकि 2024 के लिए विश्वसनीय विकल्प पेश करने का एक मंच बन सके. उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग हालिया चुनावी हार की पटकथा लिखने के ज़िम्मेदार हैं, उन्हें ही चुनाव बाद के हालात के आकलन के लिए नियुक्त किया गया है.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के इस निर्देश के कुछ देर बाद ही उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गणेश गोदियाल, पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू और उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने अपने त्याग-पत्र की घोषणा की है. हालांकि, पार्टी ने इन पांच चुनावी राज्यों के महासचिवों और प्रभारियों को इस्तीफ़ा देने के लिए नहीं कहा है.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद ने ख़ुद को पद्म भूषण सम्मान मिलने की घोषणा के बाद उनके भविष्य की राजनीतिक योजनाओं को लेकर चल रहीं अटकलों को लेकर यह टिप्पणी की है. माकपा के वरिष्ठ नेता बुद्धदेव भट्टाचार्य द्वारा पद्म भूषण सम्मान को अस्वीकार किए जाने को लेकर आज़ाद पर कटाक्ष करते हुए कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा था कि वह आज़ाद रहना चाहते हैं, ग़ुलाम नहीं.
धर्म संसद की प्रवक्ता पूजा शकुन पांडेय ने बताया कि प्रस्तावित कार्यक्रम को कोविड महामारी और राज्य में जारी विधानसभा चुनावों के कारण स्थगित किया गया है. उन्होंने कहा कि धार्मिक संस्था की प्रमुख मांग देश के हर ज़िले में धर्म गुरुओं की नियुक्ति का प्रावधान करना है, जो सरकार में सलाहकारों के रूप में काम करेंगे.
22-23 जनवरी को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में ‘सनातन धर्म संसद’ के आयोजन का ऐलान किया गया है. बीते दिसंबर महीने में हरिद्वार और दिल्ली में आयोजित ऐसे ही धर्म संसद कार्यक्रमों में मुस्लिमों के ख़िलाफ़ कथित तौर पर नफ़रत भरे भाषण देने के साथ उनके नरसंहार का आह्वान किया गया था.
दिल्ली हाईकोर्ट ने कांग्रेस नेता सलमान ख़ुर्शीद की हालिया किताब की बिक्री और प्रकाशन पर प्रतिबंध लगाने के लिए केंद्र व दिल्ली सरकार को निर्देश देने के अनुरोध वाली याचिका पर विचार करने से मना करते हुए कहा कि यह 'एक मौक़ापरस्त याचिकाकर्ता' हैं जिन्होंने प्रचार के लिए याचिका दायर की.
कोई नहीं कह सकता कि नेता के तौर पर मनीष तिवारी या सलमान ख़ुर्शीद की कोई महत्वाकांक्षा नहीं है या उसे पूरा करने के लिए वे किताब लिखने समेत जो करते हैं, उसे लेकर आलोचना नहीं की जानी चाहिए. लेकिन उससे बड़ा सवाल यह है कि क्या कांग्रेस के नेताओं के रूप में उन्हें अपने विचारों को रखने की इतनी भी आज़ादी नहीं है कि वे लेखक के बतौर पार्टी लाइन के ज़रा-सा भी पार जा सकें?