वित्तमंत्री अरुण जेटली बोले, विकास की रफ्तार में आई गिरावट के लिए नोटबंदी नहीं, पूरे विश्व में जारी आर्थिक मंदी और यूपीए सरकार ज़िम्मेदार है.
नोटबंदी के बाद वित्त वर्ष 2016-17 की चौथी तिमाही में देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 6.1 फ़ीसदी पर आ गई है. ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक, कृषि क्षेत्र के काफ़ी अच्छे प्रदर्शन के बावजूद वृद्धि दर नीचे आई है. देश की जीडीपी की वृद्धि दर 2016-17 में घटकर 7.1 प्रतिशत पर आ गई है.
हालांकि, सरकार इस गिरावट को स्वीकार करने को तैयार नहीं है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पेन में कहा, ‘भारत काफ़ी मज़बूत हुआ है. स्पेन की कंपनियों के लिए भारत में निवेश करने का यह बहुत अच्छा समय है. भारतीय अर्थव्यवस्था की ज़ोरदार वृद्धि से देश में स्पेन की कंपनियों के लिए वहां बुनियादी ढांचा, रक्षा, पर्यटन और उर्जा क्षेत्र में निवेश के बड़े अवसर हैं.’
दूसरी तरफ़ वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि विकास की रफ्तार में आई गिरावट के लिए पूरे विश्व में जारी आर्थिक मंदी और यूपीए सरकार ज़िम्मेदार है.
बुधवार को जारी किए गए जीडीपी आंकड़ों के अनुसार जनवरी-मार्च में जीडीपी वृद्धि दर घटकर 6.1 प्रतिशत रह गई जबकि वित्त वर्ष 2016-17 में यह 7.1 प्रतिशत थी जो पिछले तीन वर्षों का न्यूनतम स्तर है.
सरकार ने 500 और 1,000 के बड़े मूल्य के पहले से चल रहे नोटों को आठ नवंबर को बंद करने की घोषणा की थी. इस नोट बदलने के काम में 87 प्रतिशत नकद नोट चलन से बाहर हो गए थे.
नोटबंदी के तत्काल बाद की तिमाही जनवरी-मार्च में वृद्धि दर घटकर 6.1 प्रतिशत रही है. नोटबंदी 9 नवंबर, 2016 को की गई थी. आधार वर्ष 2011-12 के आधार पर नई श्रृंखला के हिसाब से 2015-16 में जीडीपी की वृद्धि दर 8 प्रतिशत रही है. पुरानी श्रृंखला के हिसाब से यह 7.9 प्रतिशत रही थी.
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के आंकड़ों के अनुसार 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष में सकल मूल्यवर्धन (जीवीए) घटकर 6.6 प्रतिशत पर आ गया, जो कि 2015-16 में 7.9 प्रतिशत रहा था.
नोटबंदी से 2016-17 की तीसरी और चौथी तिमाही में जीवीए प्रभावित हुआ है. इन तिमाहियों के दौरान यह घटकर क्रमश: 6.7 प्रतिशत और 5.6 प्रतिशत पर आ गया, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाहियों में 7.3 और 8.7 प्रतिशत रहा था.
नोटबंदी के बाद कृषि छोड़कर सभी क्षेत्रों में गिरावट
नोटबंदी के बाद कृषि को छोड़कर अन्य सभी क्षेत्रों में गिरावट आई. विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर चौथी तिमाही में घटकर 5.3 प्रतिशत रह गई, जो एक साल पहले समान तिमाही में 12.7 प्रतिशत रही थी. निर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर नकारात्मक रही.
बेहतर मानसून की वजह से कृषि क्षेत्र को फ़ायदा हुआ. 2016-17 में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 4.9 प्रतिशत रही, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 0.7 प्रतिशत रही थी. चौथी तिमाही में कृषि क्षेत्र का जीवीए 5.2 प्रतिशत बढ़ा जबकि 2015-16 की समान तिमाही में यह 1.5 प्रतिशत बढ़ा था.
आंकड़ों के अनुसार 2016-17 में प्रति व्यक्ति आय बढ़कर 1,03,219 रुपये पर पहुंचने का अनुमान लगाया गया है. यह 2015-16 में 94,130 रुपये रही थी. इस तरह प्रति व्यक्ति आय में 9.7 प्रतिशत का इज़ाफ़ा हुआ है.
आठ बुनियादी उद्योग की वृद्धि दर अप्रैल में घटकर 2.5 प्रतिशत रही
कोयला, कच्चा तेल तथा सीमेंट उत्पादन में गिरावट के चलते आठ बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर अप्रैल में घटकर 2.5 प्रतिशत रही.
इन उद्योगों ने पिछले साल अप्रैल में 8.7 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की थी. इनमें उद्योग कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट और बिजली शामिल हैं.
सरकार की ओर से जारी किए गए ताज़ा आंकड़ों के अनुसार कोयला, कच्चा तेल तथा सीमेंट उत्पादन में क्रमश: 3.8 प्रतिशत, 0.6 प्रतिशत तथा 3.7 प्रतिशत की गिरावट आई.
प्रमुख क्षेत्रों में धीमी वृद्धि से औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) पर भी असर पड़ेगा क्योंकि कुल औद्योगिक उत्पादन में इन क्षेत्रों का योगदान क़रीब 38 प्रतिशत है.
रिफाइनरी उत्पाद तथा बिजली उत्पादन की वृद्धि दर अप्रैल में कम होकर क्रमश: 0.2 प्रतिशत और 4.7 प्रतिशत रही जो पिछले साल इसी माह में क्रमश: 19.1 प्रतिशत तथा 14.5 प्रतिशत थी.
हालांकि प्राकृतिक गैस, उर्वरक और इस्पात क्षेत्र में क्रमश: 2 प्रतिशत, 6.2 प्रतिशत तथा 9.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई.
वित्त वर्ष 2016-17 में वृद्धि की रफ्तार कम रहने की वजह नवंबर 2016 में देश की 87 प्रतिशत मुद्रा को वापस लिया जाना है. नोटबंदी के बाद जनवरी-मार्च तिमाही में देश का सकल घरेलू उत्पाद जीडीपी 6.1 प्रतिशत रहा है.
मनमोहन ने की थी गिरावट की भविष्यवाणी
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बड़े करंसी नोटों के विमुद्रीकरण को वैध लूट और ऐतिहासिक विफलता करार दिया था और भविष्यवाणी की थी कि इससे जीडीपी में 2 फ़ीसदी की गिरावट आएगी. बाद में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने भी नोटबंदी की आलोचना की थी और कहा था कि इससे जीडीपी वृद्धि में गिरावट होगी.
भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद: मूडीज
मूडीज इंवेस्टर्स सर्विस ने अपनी ग्लोबल मैक्रो आउटलुक रिपोर्ट में कहा है कि मौजूदा वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है और सरकार के सुधारों को गति देने से इसे आठ प्रतिशत की दर पाने में क़रीब चार वर्ष का समय लगेगा.
मूडीज का कहना है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा की जीत यह दर्शाती है कि नोटबंदी के बावजूद सरकार की लोकप्रियता बनी हुई है.
इसमें कहा गया है, हम भारत में मामूली से अधिक वृद्धि की उम्मीद है. हमारे अनुमान के मुताबिक वित्त वर्ष 2017-18 में भारत की अर्थव्यवस्था 7.5 प्रतिशत की दर से वृद्धि करेगी और 2018-19 में यह 7.7 प्रतिशत रह सकती है. वित्त वर्ष 2016-17 में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 7.1 प्रतिशत रही.
आर्थिक वृद्धि दर को 8 प्रतिशत पहुंचने में 3-4 वर्ष लगेगा
हालांकि मूडीज का कहना है कि बैंकों के फंसे हुए क़र्ज़ की समस्या को यदि नहीं सुलझाया जाता है तो निवेश गतिविधियों पर असर पड़ेगा क्योंकि उसके लिए ऋण को संकुचित करना होगा. साथ ही यह आर्थिक वृद्धि पर भी दबाव डालेगा.
रिपोर्ट के अनुसार कुल मिलाकर भारत की आर्थिक वृद्धि दर को आठ प्रतिशत तक पहुंचने में तीन से चार वर्ष का वक्त लगेगा.
इससे पहले इसी सप्ताह में विश्व बैंक ने मौजूदा वित्त वर्ष में भारत की वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था.
विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर तीन महीने के निचले स्तर पर
विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि मई महीने में धीमी रही और यह तीन माह के निचले स्तर पर पहुंच गई. हालांकि नए ऑर्डरों और उत्पादन में हल्का सुधार हुआ है. एक मासिक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है.
कंपनियों के परचेजिंग मैनेजरों के बीच किए जाने वाले मासिक सर्वेक्षण निक्की मार्किट इंडिया मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स पीएमआई मई में घटकर तीन महीने के निचले स्तर यानी 51.6 पर रहा. विनिमार्ण गतिविधियों का यह संकेतक अप्रैल में 52.5 पर था.
पीएमआई का 50 से ऊपर रहना विनिर्माण में तेज़ी और 50 से नीचे रहना गिरावट को दर्शाता है. इस प्रकार मई में भारतीय विनिमार्ण क्षेत्र में लगातार पांचवें महीने विस्तार का रुख देखा गया है.
आईएचएस मार्किट की अर्थशास्त्री और इस रिपोर्ट की लेखिका पॉलीयाना डी लीमा ने कहा कि भारतीय विनिर्माण क्षेत्र मई में फिर सुधार की राह पर रहा. हालांकि मांग कम रही क्योंकि आउटपुट में धीमा विस्तार देखा गया लेकिन कंपनियों को नए ऑर्डर मिले हैं.
जीडीपी वृद्धि दर में गिरावट के लिए वैश्विक मंदी और यूपीए ज़िम्मेदार: जेटली
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने चौथी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद जीडीपी की वृद्धि दर में गिरावट के पीछे नोटबंदी का प्रभाव होने की बात को नकारते हुए कहा कि वैश्विक हालात समेत कई अन्य कारण भी जीडीपी वृद्धि दर में गिरावट का कारण हैं.
मोदी सरकार के तीन वर्ष पूरे होने पर जेटली ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘हमें विरासत में ख़राब अर्थव्यस्था मिली, जहां भ्रष्टाचार व्याप्त था. तीन साल पहले तक देश की अर्थव्यवस्था पर निवेशकों को भरोसा नहीं था. हमारी सरकार ने अर्थव्यवस्था की विश्वसनीयता दोबारा बहाल की है.’
जेटली ने नोटबंदी का बचाव करते हुए कहा, ‘पिछले तीन सालों में सरकार ने कड़े फ़ैसले लिए, भ्रष्टाचार रोकने के प्रयास किए. इस प्रयास में नोटबंदी एक बड़ा क़दम था.’ उन्होंने कहा कि आठ नवंबर 2016 को 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट बंद किए जाने से पहले भी अर्थव्यवस्था में मंदी के लक्षण दिखाई दिए थे.
जेटली ने कहा, सात-आठ प्रतिशत की वृद्धि दर वृद्धि का एक अच्छा स्तर है और भारतीय मानकों के हिसाब से तर्कसंगत है. जबकि वैश्विक मानकों के हिसाब से यह अच्छी वृद्धि है.
सरकार के सामने चुनौतियों की बात करते हुए जेटली ने कहा कि बैंकिंग क्षेत्र में फ़ंसे हुए क़र्ज़ की समस्या से निपटना और अर्थव्यवस्था में निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ाना बड़ी चुनौतियां हैं.
भारत की मज़बूत वृद्धि हुई है: मोदी
ताज़ा आंकड़ों में वृद्धि दर में गिरावट के बीच स्पेन दौरे पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि स्पेन की कंपनियों के लिए भारत में निवेश करने का यह बहुत अच्छा समय है. भारतीय अर्थव्यवस्था की ज़ोरदार वृद्धि से देश में स्पेन की कंपनियों के लिए वहां बुनियादी ढांचा, रक्षा, पर्यटन और उर्जा क्षेत्र में निवेश के बड़े अवसर हैं.
मोदी ने स्पेन के एक अख़बार के साथ साक्षात्कार में कहा, भारत की मज़बूत वृद्धि स्पेन की कंपनियों के लिए व्यापक अवसर प्रदान करती है. यह भारत में निवेश करने का अच्छा समय है.
सरकार विफलता से ध्यान हटाने की कोशिश कर रही है: राहुल गांधी
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने जीडीपी की वृद्धि दर में गिरावट पर सरकार की निंदा करते हुए कहा कि सरकार इसकी विफलता से ध्यान हटाने के लिए दूसरे मुद्दे खड़े कर रही है. उन्होंने ट्वीट किया, गिरती जीडीपी दर, बढ़ती बेरोज़गारी. हर दूसरा मुद्दा इन मूलभूत विफलताओं से हमारा ध्यान भटकाने के लिये खड़ा किया गया है.
उन्होंने अपने ट्वीट के साथ एक ख़बर भी संलग्न की जिसके मुताबिक देश ने दुनिया में सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का तमगा खो दिया है. ऐसा चौथी तिमाही में जीडीपी की वृद्धिदर गिरकर 6.1 तक होने के बाद हुआ.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)