कोरोना वायरस लॉकडाउन के चलते 350 से अधिक लोगों की जान गई: अध्ययन

शोधकर्ताओं के एक समूह ने विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स के जरिये इकट्ठा की गईं सूचनाओं के हवाले से बताया है कि 19 मार्च से लेकर 8 मई के बीच 370 मौतें हुईं, जो लॉकडाउन से जुड़ी हैं.

Thane: Migrants with their belongings ride on bicycles as they move towards their native places on the Mumbai-Nashik highway during the nationwide lockdown, in wake of the coronavirus pandemic, in Thane, Friday, May 1, 2020. (PTI Photo/Mitesh Bhuvad)(PTI01-05-2020_000219B) *** Local Caption ***

शोधकर्ताओं के एक समूह ने विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स के जरिये इकट्ठा की गईं सूचनाओं के हवाले से बताया है कि 19 मार्च से लेकर 8 मई के बीच 370 मौतें हुईं, जो लॉकडाउन से जुड़ी हैं.

Thane: Migrants with their belongings ride on bicycles as they move towards their native places on the Mumbai-Nashik highway during the nationwide lockdown, in wake of the coronavirus pandemic, in Thane, Friday, May 1, 2020. (PTI Photo/Mitesh Bhuvad)(PTI01-05-2020_000219B) *** Local Caption ***
(फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए देशव्यापी बंद के दौरान मौत के 350 से ज्यादा ऐसे मामले सामने आए हैं जो प्रत्यक्ष तौर पर कोरोना वायरस संक्रमण से जुड़े नहीं हैं, लेकिन इससे जुड़ी अन्य समस्याएं इनका कारण है.

शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में यह खुलासा किया है. अध्ययन में आठ मई तक हुए मौत के मामलों को शामिल किया गया है और इस डेटाबेस में आने वाले दिनों में यदि और मामले सामने आते हैं तो इसे भी जोड़ा जाएगा.

महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में शुक्रवार को एक मालगाड़ी की चपेट में आने के बाद 16 प्रवासी मजदूरों की मौत हो गई. जालना से भुसावल की ओर पैदल जा रहे मजदूर मध्य प्रदेश लौट रहे थे.

शोधकर्ताओं के समूह में पब्लिक इंटरेस्ट टेक्नोलॉजिस्ट थेजेश जीएन, सामाजिक कार्यकर्ता और रिसर्चर कनिका शर्मा और जिंदल ग्लोबल स्कूल ऑफ लॉ में सहायक प्रोफेसर अमन शामिल हैं. इस समूह ने विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स के जरिये इकट्ठा की गईं सूचनाओं के हवाले से बताया है कि 19 मार्च से लेकर 8 मई के बीच 370 मौतें हुईं, जो लॉकडाउन से जुड़ी हैं.

हालांकि ये पूरा आंकड़ा नहीं है, इन्हें सिर्फ कुछ अखबारों या न्यूज पोर्टलों के जरिये इकट्ठा किया गया है.

अध्ययन के अनुसार आंकडें बताते हैं कि 73 लोगों ने अकेलेपन से घबरा कर और संक्रमित पाए जाने के भय से खुदकुशी कर ली. इसके बाद मरने वालों का सबसे बड़ा आंकड़ा है प्रवासी मजदूरों का है.

बंद के दौरान जब ये अपने घरों को लौट रहे थे तो विभिन्न सड़क दुर्घटनाओं में एक मई, 2019 तक में 40 प्रवासी मजदूरों की मौत हो गई थी. यदि औरंगाबाद जिले का हालिया मामला जोड़ दें तो ये संख्या 54 पर पहुंच जाएगी. अल्कोहल विड्रॉल सिम्टम्स (शराब नहीं मिलने से) से 45 लोगों की मौत हो गई और भूख एवं आर्थिक तंगी से 34 लोगों की जान गई.

शोधकर्ताओं ने एक बयान में कहा, ‘संक्रमण से डर से, अकेलेपन से घबरा कर, आने जाने की मनाही से बड़ी संख्या में लोगों ने आत्महत्याएं की हैं.’

बयान में कहा गया, ‘उदाहरण के तौर पर शराब नहीं मिलने के कारण सात लोगों ने आफ्टर शेव लोशन अथवा सैनेटाइजर पी लिया, जिससे उनकी मौत हो गई. पृथक केन्द्रों में रह रहे प्रवासी मजदूरों ने संक्रमण के भय से, परिवार से दूर रहने की उदासी जैसी हालात में आत्महत्या कर ली अथवा उनकी मौत हो गई.’

उल्लेखनीय है कि देश में कोविड-19 से 56,000 से अधिक लोग संक्रमित हुए है, जिनमें से 1,800 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है.

लॉकडाउन के दौरान बिना कोरोना वायरस की वजह से हुईं मौतों की जानकारी देने वाली वेबसाइट के मुताबिक, ‘भारत में लॉकडाउन के कारण हुई ऐसी मौतों को संकलित करने के लिए हम कुछ मुट्ठी भर भाषाओं- मुख्य रूप से अंग्रेजी, हिंदी, और कुछ (कन्नड़, मराठी, तमिल, बंगाली, उड़िया और मलयालम) के अखबारों, ऑनलाइन समाचार पोर्टलों और सोशल मीडिया पर नजर बनाए हुए हैं.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)