कोरोना संकट: महाराष्ट्र की जेलों से 50 प्रतिशत क़ैदियों को रिहा करने का फैसला

महाराष्ट्र सरकार द्वारा गठित उच्चस्तरीय समिति ने राज्य की विभिन्न जेलों में बंद 35,239 क़ैदियों में से 17 हज़ार से अधिक विचाराधीन क़ैदियों/क़ैदियों को रिहा करने का निर्णय लिया है. मुंबई की आर्थर रोड जेल में कोरोना संक्रमण के तकरीबन 185 मामलों की पुष्टि हुई है.

(प्रतीकात्मक तस्वीर: रॉयटर्स)

महाराष्ट्र सरकार द्वारा गठित उच्चस्तरीय समिति ने राज्य की विभिन्न जेलों में बंद 35,239 क़ैदियों में से 17 हज़ार से अधिक विचाराधीन क़ैदियों/क़ैदियों को रिहा करने का निर्णय लिया है. मुंबई की आर्थर रोड जेल में कोरोना संक्रमण के तकरीबन 185 मामलों की पुष्टि हुई है.

(फोटो: रॉयटर्स)
(फोटो: रॉयटर्स)

मुंबई: कोरोना वायरस संक्रमण के मद्देनज़र महाराष्ट्र सरकार द्वारा गठित उच्चस्तरीय समिति ने राज्य के विभिन्न जेलों में बंद 35,239 कैदियों में से 17 हजार से अधिक विचाराधीन कैदियों/कैदियों को रिहा करने का निर्णय लिया है.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक उच्च स्तरीय समिति (एचपीसी) ने सोमवार को यह फैसला लिया. समिति में जस्टिस एए सैयद, संजय चांडे, अतिरिक्त मुख्य सचिव (ए एंड एस) गृह, महाराष्ट्र सरकार और एसएन पांडे, महानिदेशक जेल, महाराष्ट्र शामिल हैं.

समिति ने 23 अप्रैल, 2020 के एक आदेश में हाईकोर्ट के निर्देश के बाद अधिवक्ता एसबी तालेकर द्वारा प्रस्तुत प्रतिनिधित्व को भी सुना.

तालेकर ने भारत के मुख्य न्यायाधीश और बॉम्बे उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा था और जेलों में बंद कैदियों के बीच कोविड-19 के संक्रमण को रोकने के लिए पैरोल पर रिहा करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू करने का अनुरोध किया था.

आर्थर रोड जेल में कोरोना संक्रमण के 185 पॉजिटिव मामलों की पुष्टि होने के बाद बायकला महिला जेल और सतारा जिला जेल में नए पॉजिटिव मामलों का पता लगाया जा रहा है. भीड़भाड़ वाली जेलों में बंद कैदियों के बीच संक्रमण का संभावित खतरा काफी बढ़ गया है.

बता दें कि हाल ही में आर्थर रोड जेल के 72 कैदियों और 26 कर्मचारियों के कोरोना वायरस से संक्रमित पाए जाने के बाद बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया गया था कि राज्य भर की नौ केंद्रीय जेलों में कुल 25,745 कैदी हैं, जबकि कुल स्वीकृत संख्या 14,491 है इसलिए ये जेल पहले से ही भीड़भाड़ वाले हैं.

आर्थर रोड में 800 कैदियों की स्वीकृत क्षमता है लेकिन वर्तमान में वहां 2700 से अधिक कैदी बंद हैं.

एचपीसी ने कहा, ‘यह ध्यान दिया जा सकता है कि आज लिए गए इस समिति के एक अलग फैसले से, एचपीसी की दिनांक 25/03/2020 के पहले के फैसले में तय किए गए कैदियों की तुलना में अधिक कैदियों को रिहा किया जाना है, जो जेलों में कैदियों की संख्या लगभग 50% को काफी कम कर देगा. 35,239 की जेल की आबादी से लगभग 50% कैदियों के अब रिहा होने की उम्मीद है.’

इसके अलावा अधिवक्ता तालेकर ने कैदियों को रिहा करने में कथित भेदभाव का मुद्दा उठाया था, जिसमें उच्च स्तरीय समिति ने यह निर्णय लिया था कि केवल 7 वर्ष से कम कारावास की सजा वाले अपराधियों/कैदियों को आपातकालीन पैरोल पर रिहा किया जाएगा, जबकि उन अभियुक्तों को जो मकोका, एमपीआईडी, पीएमएलए, एनडीपीएस, यूएपीए जैसे विशेष अधिनियम के तहत जेल में बंद हैं, उन्हें इससे बाहर रखा गया था.

इस पर समिति ने 23 मार्च को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश का हवाला देते हुए कहा कि अदालत ने एचपीसी के विवेकाधिकार से यह निर्धारित किया था कि अपराधियों की श्रेणी का निर्धारण किया जाए, जिन्हें अपराध की अवधि, सजा की अवधि आदि के आधार पर रिहा किया जाना चाहिए.

 

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq bandarqq dominoqq pkv games slot pulsa pkv games pkv games bandarqq bandarqq dominoqq dominoqq