जस्टिस एनवी रमण ने राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा आयोजित एक ऑनलाइन सेमिनार में कहा कि इस वैश्विक महामारी ने हमारे सामने कई समस्याएं पैदा कर दी हैं. लॉकडाउन के कारण पारिवारिक हिंसा एवं बाल उत्पीड़न की घटनाएं भी बढ़ी हैं.
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय के जस्टिस एनवी रमण ने गुरुवार को कहा कि कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के कारण पैदा हुए संकट के बीच सबसे बड़ी समस्या प्रवासी श्रमिकों की घर वापसी है और इससे गरीबी, असमानता और भेदभाव बढ़ेगा.
जस्टिस रमण ने राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा अयोजित एक वेबिनार में कहा कि कोरोना वायरस से निपटने के लिए लागू किए गए लॉकडाउन के कारण पारिवारिक हिंसा एवं बाल उत्पीड़न की घटनाएं भी बढ़ी हैं.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक जस्टिस रमण जो राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं और शीर्ष अदालत के दूसरे सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हैं, ने कहा कि महामारी के कारण महिलाओं, बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों के अधिकार भी प्रभावित हो रहे हैं. इसके लिए एक सतत अनुशासित कार्य योजना की जरूरत है.
उन्होंने कहा, ‘लॉकडाउन लागू होने के बाद हजारों लोग अपनी जिंदगी और आजीविका खो चुके हैं. बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिकों ने अपने घरों की ओर पलायन किया है. लॉकडाउन ने ही परिवारों के भीतर मनोवैज्ञानिक मुद्दों और हिंसा को जन्म दिया है. इसका सबसे ज्यादा असर महिलाओं पर पड़ा है. बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं, इसके अलावा घर का काम और पारिवारिक जीवन का असर पड़ा है.’
जस्टिस रमण ने कहा, ‘इस वैश्विक महामारी ने हमारे सामने कई समस्याएं पैदा कर दी हैं. इनमें सबसे बड़ी समस्या प्रवासी श्रमिकों की घर वापसी है. व्यापक स्तर पर प्रवासी श्रमिकों की घर वापसी से गरीबी, असमानता और भेदभाव बढ़ेगा.’
उन्होंने कहा, ‘परिवारों के भीतर हिंसा बढ़ रही है. हमने बाल उत्पीड़न की घटनाओं की संख्या में भी वृद्धि देखी है.’
जस्टिस रमण ने कहा, ‘स्थिति को देखते हुए हमने एक स्टॉप सेंटर स्थापित किए हैं. हर जिले में महिला पैनल वकीलों के टेलीसर्विसेज के माध्यम से कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं.’
उन्होंने कहा कि घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत कई याचिकाएं दायर की गई हैं.
बता दें कि बीते मई महीने की शुरुआत में राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी कहा था कि लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा और बच्चों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं.
राष्ट्रीय महिला आयोग के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल महीने में महिलाओं के ख़िलाफ़ विभिन्न अपराधों की कुल 800 शिकायतें मिली थीं. इनमें घरेलू हिंसा की शिकायतें लगभग 40 प्रतिशत हैं. इसके अलावा 54 साइबर शिकायतें ऑनलाइन प्राप्त हुई हैं.
उससे पहले अप्रैल की शुरुआत में राष्ट्रीय महिला आयोग ने लॉकडाउन के चलते बढ़ी घरेलू हिंसा की घटनाओं पर चिंता जताई थी. मार्च के पहले सप्ताह में एनसीडब्ल्यू को देशभर में महिलाओं के खिलाफ अपराध की 116 शिकायतें मिली थीं. लेकिन लॉकडाउन के दौरान 23 से 31 मार्च के दौरान घरेलू हिंसा की शिकायतें बढ़कर 257 हो गई थीं.
संयुक्त राष्ट्र ने भी दुनिया भर में लॉकडाउन के दौरान बढ़े घरेलू हिंसा के मामलों पर चिंता व्यक्त की थी. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने इन हालात में महिलाओं व लड़कियों के प्रति घरेलू हिंसा के मामलों में ‘भयावह बढ़ोतरी’ दर्ज किए जाने पर चिंता जताते हुए सरकारों से ठोस कार्रवाई का आह्वान किया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)