सुशांत सिंह मामला: बॉम्बे हाईकोर्ट ने पूछा, जांच पर सलाह देना क्या मीडिया का काम है?

बॉम्बे हाईकोर्ट ने अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में ‘मीडिया ट्रायल’ के ख़िलाफ़ जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यर टिप्पणी की. साथ इस मामले पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है.

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सुशांत सिंह राजपूत. (फोटो साभार: ट्विटर)

बॉम्बे हाईकोर्ट ने अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में ‘मीडिया ट्रायल’ के ख़िलाफ़ जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की. साथ ही इस मामले पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है.

बॉम्बे हाईकोर्ट (फोटो: पीटीआई)
बॉम्बे हाईकोर्ट (फोटो: पीटीआई)

मुंबई: बॉम्बे उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को पूछा कि क्या किसी जांच एजेंसी को तफ्तीश करने के तरीके के बारे में सलाह देने का काम मीडिया का है?

मुख्य जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस जीएस कुलकर्णी की पीठ ने अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में ‘मीडिया ट्रायल’ के खिलाफ जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह सवाल किया.

अदालत ने कहा, ‘क्या जांच एजेंसी को परामर्श देना मीडिया का काम है? यह काम जांच अधिकारी का है.’

मामले में प्रतिवादी बनाए गए एक समाचार चैनल की ओर से वकील मालविका त्रिवेदी ने जनहित याचिकाओं का विरोध किया, जिसके बाद न्यायाधीशों ने यह टिप्पणी की.

त्रिवेदी ने जनहित याचिकाएं दाखिल करने वाले पूर्व पुलिस अधिकारियों के एक समूह की ओर से वरिष्ठ वकील आस्पी चिनॉय की दलीलों का विरोध किया.

जनहित याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में मीडिया ने मुंबई पुलिस की छवि खराब की.

समाचार चैनलों की ओर से पेश वकील त्रिवेदी ने कहा कि रिपोर्टिंग करने पर कोई प्रतिबंध का आदेश नहीं दिया जा सकता.

उन्होंने कहा, ‘मीडिया की भूमिका पर संरचनात्मक सीमा-रेखा कैसे खींची जा सकती है. हाथरस मामले का क्या? क्या मामले में मीडिया की भूमिका अहम नहीं है?’

अदालत ने इस पर संकेत दिया कि जनहित याचिकाओं में केवल तर्कसंगत पत्रकारिता की जरूरत बताई गई है.

अमर उजाला के मुताबिक पीठ ने कहा कि जनहित याचिका किसी आदेश के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि यह केवल जिम्मेदारपूर्ण पत्रकारिता को लेकर है.

पीठ ने कहा कि चिनॉय का कहना है कि मीडिया जांच में हस्तक्षेप नहीं कर सकता है या यह घोषित नहीं कर सकता कि कौन दोषी है, कौन नहीं है.

चिनॉय की दलील थी कि प्रेस खासकर न्यूज चैनल किसी के अपराध को पूर्व निर्धारित नहीं कर सकते हैं. राजपूत मामले में रिया चक्रवर्ती की गिरफ्तारी के लिए समाचार चैनल द्वारा हैशटैग अभियान चलाया गया. क्या आप सोच सकते हैं कि इस तरह के हैशटैग से नुकसान हो सकता है?

उन्होंने कहा कि अपराध पर फैसला लेने या गिरफ्तारी का सुझाव देना किसी न्यूज चैनल का काम नहीं है.

पीठ ने पूछा कि क्या न्यूज ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड अथॉरिटी (एनबीएसए) ने न्यूज चैनलों के खिलाफ मिलीं शिकायतों पर कोई आदेश जारी किया है.

एनबीएसए की वकील एडवोकेट निशा भंभानी ने कहा कि ज्यादातर शिकायतें सुनी गईं और चैनलों से माफी मांगने के लिए कहा गया है.

इस पर कोर्ट ने पूछा कि क्या माफी मांगना काफी है? इस पर निशा ने कहा कि एनबीएसए जरूरी होने पर गाइडलाइंस भी जमा करेगा, लेकिन एक अन्य याचिकाकर्ता के वकील राजेश इनामदार ने कहा कि इनमें से ज्यादातर न्यूज चैनल एनबीएसए के सदस्य नहीं थे.

कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार से जवाब मांगा है और मामले की सुनवाई स्थगित कर दी.

बता दें कि न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी (एनबीएसए) ने अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में प्रसारण दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने वाले कार्यक्रम और टैगलाइंस दिखाने को लेकर आज तक समेत जी न्यूज़ और न्यूज 24 को माफी मांगने को कहा है. समाचार चैनल आज तक पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है.

एनबीएसए ने कहा था कि ‘खबरें देना न्यूज चैनलों का काम है, जो जनहित में हो सकता है और जिन लोगों के बारे में यह है, उन्हें मीडिया रिपोर्ट्स में आने के बाद न्याय मिल सकता है, लेकिन इसके साथ यह महत्वपूर्ण है कि खबर को इस तरह दिया जाए कि यह मृतक की निजता का उल्लंघन न करे, न ही दुखद घटना को सनसनीखेज तरीके से पेश करे. यह महत्वपूर्ण है कि मृतक को अनावश्यक मीडिया चकाचौंध का केंद्र नहीं बनाया जाना चाहिए.’

ज्ञात हो कि एनबीएसए स्व-नियामक संस्था है, जो न्यूज इंडस्ट्री में प्रसारण आचार संहिता और दिशानिर्देशों को लागू करता है. इसमें 70 चैनलों का प्रतिनिधित्व करने वाले 27 सदस्य शामिल हैं.

मालूम हो कि 34 वर्षीय अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत बीते 14 जून को मुंबई के बांद्रा स्थित अपने घर में मृत पाए गए थे.

सुशांत के पिता केके सिंह ने पटना के राजीव नगर थाना में अभिनेता की प्रेमिका और लिव इन पार्टनर रहीं अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती और उनके परिवार के अन्य सदस्यों के खिलाफ अभिनेता को खुदकुशी के लिए उकसाने और अन्य आरोपों में शिकायत दर्ज कराई थी.

सुशांत की मौत को लेकर उठ रहे सवालों के बीच बिहार सरकार के अनुरोध पर केंद्र सरकार ने मामले की जांच बीते पांच अगस्त को सीबीआई को सौंप दी थी.

इसके बाद बीते 19 अगस्त को बिहार सरकार की अनुशंसा को सही ठहराते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिया था कि वे अभिनेता की मौत के मामले की जांच करें. अदालत ने महाराष्ट्र पुलिस से मामले में सहयोग करने को कहा था.

इस मामले की जांच के दौरान ड्रग्स खरीदने और उसके इस्तेमाल का भी खुलासा होने के बाद नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने पिछले कुछ दिनों में मामले की जांच के दौरान अभिनेत्री रिया के छोटे भाई शौविक चक्रवर्ती (24), सुशांत सिंह राजपूत के हाउस मैनेजर सैमुअल मिरांडा (33) और अभिनेता के निजी स्टाफ सदस्य दीपेश सावंत को भी गिरफ्तार किया था.

आठ सितंबर को कई दिनों की पूछताछ के बाद एनसीबी ने अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती को भी अभिनेता की मौत से जुड़े ड्रग्स मामले में गिरफ्तार किया था.

रिया को बीते सात अक्टूबर को बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा जमानत दी गई है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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