क्या सरकार जामिया मिलिया इस्लामिया का अल्पसंख्यक दर्जा ख़त्म करना चाहती है?

केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट में यह हलफनामा देने का फैसला किया है कि जामिया अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है.

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केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट में यह हलफनामा देने का फैसला किया है कि जामिया अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है.

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जामिया विश्वविद्यालय का गेट. (फोटो साभार: विकीपीडिया)

जामिया मिलिया इस्लामिया (जेएमआई) विश्वविद्यालय का अल्पसंख्यक दर्जा बहुत जल्द ही छिनने वाला है. केंद्र सरकार ने फैसला किया है कि वह कोर्ट में हलफ़नामा देगी कि जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है.

इसके पहले, 2011 में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शिक्षा आयोग (एनसीएमईआई) ने अपने एक आदेश में कहा था कि जामिया मिलिया इस्लामिया का दर्जा एक अल्पसंख्यक संस्थान का है और केंद्र सरकार ने इसका समर्थन किया था.

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने अपने सूत्रों के हवाले से यह खबर छापी है कि केंद्र सरकार दिल्ली हाईकोर्ट में एक हलफनामा दाखिल करके जामिया को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा होने को लेकर अपना समर्थन वापस लेगी.

इसके अलावा मानव संसाधन विकास मंत्रालय कोर्ट को बताएगा कि जामिया मिलिया इस्लामिया कभी अल्पसंख्यक संस्थान नहीं था, क्योंकि उसकी स्थापना संसद में एक विधेयक पारित करके की गई थी और यह इसका खर्च केंद्र सरकार उठाती है.

मानव संसाधन मंत्रालय हलफनामा देकर कोर्ट को यह भी बताएगा कि विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा देना एक भूल थी और अपने पहले के स्टैंड को सरकार वापस ले लेगी.

इंडियन एक्सप्रेस ने इससे पहले 15 जनवरी, 2016 को एक रिपोर्ट छापी थी. उस समय स्मृति ईरानी मानव संसाधन विकास मंत्री थीं. इस रिपोर्ट के मुताबिक, मानव संसाधन विकास मंत्रालय को अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने सलाह दी थी कि वह कोर्ट में अपना स्टैंड बदल दे और यह कह दे कि जामिया मिलिया इस्लामिया अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शिक्षा आयोग का आदेश कानूनसम्मत नहीं है.

अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा था कि सरकार अपना स्टैंड बदलने के लिए 1968 के अजीज बाशा बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आधार बना सकती है.

अजीश बाशा केस में सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला दिया था कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय अल्पसंख्यक विश्वविद्यालय नहीं है क्योंकि इसे ब्रिटिश सरकार ने स्थापित किया था, न कि मुस्लिम समुदाय ने. कानून मंत्रालय ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय को सलाह दी है कि इस केस के आधार पर जामिया के अल्पसंख्यक दर्जे का विरोध किया जा सकता है.

जब स्मृति ईरानी मानव संसाधन विकास मंत्री थीं, उसी समय मुकुल रोहतगी का यह सुझाव स्वीकार कर लिया गया था. दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है. इस सुनवाई की अगली तारीख जब भी पड़ती है, सरकार अपना नया हलफनामा दाखिल करेगी.

जेएमआई अधिनियम की धारा 2 (ओ) में कहा गया है कि जामिया विश्वविद्यालय की स्थापना 1920 में अलीगढ़ में मुस्लिम राष्ट्रवादी नेताओं द्वारा की गई थी. महात्मा गांधी ने आह्वान किया था कि औपनिवेशिक शासन द्वारा चलाए जा रहे सभी शैक्षणिक संस्थानों का बहिष्कार किया जाए, इसके जवाब जामिया की स्थापना की गई थी.

बाद में यह संस्थान दिल्ली आ गया जिसका संचालन जामिया मिलिया इस्लामिया सोसाइटी करती थी. 1962 में जामिया को डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया और 1988 में केंद्र सरकार ने कानून बनाकर इसे केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिया.

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