एक महीने से भी कम समय में यह तीसरी बार है, जब मणिपुर में समाचार पत्रों का प्रकाशन और ख़बरों का प्रसारण नहीं हुआ. छह दिन पहले भी इसी तरह का विरोध जताया गया था, जब इम्फाल से प्रकाशित होने वाले एक स्थानीय अख़बार को आतंकी समूह ने धमकी दी थी.
इम्फालः मणिपुर में आतंकी समूहों की धमकी के बाद पत्रकारों की हड़ताल के बाद गुरुवार को एक बार फिर समाचार पत्रों का प्रकाशन और खबरों का प्रसारण नहीं हुआ.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, एक महीने से भी कम समय में यह तीसरी बार है, जब मीडिया जगत ने इस तरह का विरोध प्रदर्शन किया है.
इससे पहले छह दिन पहले भी इसी तरह का विरोध जताया गया था, जब इम्फाल से प्रकाशित होने वाले एक स्थानीय अखबार को उग्रवादी समूह ने धमकी दी थी.
यह विरोध दरअसल दो प्रतिद्वंद्वी समूहों के बीच की दुश्मनी का नतीजा हैं, जो एक-दूसरे से संबंधित खबरों के प्रकाशन का पुरजोर विरोध करते हैं.
बता दें कि पिछले साल नवंबर महीने में मणिपुर में मीडिया समूहों ने एक उग्रवादी समूह से संबंधित खबरें प्रकाशित करने को लेकर उसके द्वारा दबाव डालने का आरोप लगाते हुए विरोध प्रदर्शन किया था. इसके अलावा दैनिक अखबारों और स्थानीय चैनलों ने भी मीडिया को धमकाने के विरोध में अपना काम रोक दिया था.
ऑल मणिपुर वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन (एएमडबल्यूजेयू) के महासचिव ख्वेराकपम नाओबा का कहना है, ‘मीडिया बिरादरी बीच भंवर में फंसा हुआ है. हमारे पास काम बंद करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.’
यूनियन के एक अन्य शीर्ष अधिकारी ने कहा कि दो प्रतिद्वंद्वी समूहों में से एक द्वारा प्रेस बयान जारी करने के बाद तीन मार्च की रात को एएमडब्ल्यूजेयू और एडिटर्स गिल्ड मणिपुर (ईजीएम) की संयुक्त आपात बैठक हुई.
हालांकि बैठक अनिर्णायक रही, क्योंकि हमेशा की तरह प्रतिद्वंद्वी समूह ने प्रेस बयान जारी करने वाले संगठन से संबंधित खबरों के प्रकाशन का विरोध किया था.
गुरुवार को यूनियन की आपात आमसभा में इस मामले पर चर्चा हुई. मणिपुर के नागरिक समाज संगठनों की भागीदारी के साथ एक इस मामले पर सार्वजनिक सम्मेलन के आयोजन के साथ बैठक समाप्त हुई. सम्मेलन में इम्फाल में विरोध रैली के बाद आगे की कार्रवाई पर चर्चा की जाएगी.
रिपोर्ट के अनुसार, मणिपुर में विभिन्न उग्रवादी धड़ों के बीच दुश्मनी की वजह से मीडिया जगत पर आमतौर पर हमले होते रहे हैं और उन्हें धमकाया जाता रहा है.
साल 1999 में स्थानीय बोली हमार में प्रकाशित एक समाचार पत्र शान के संपादक एचए लालरोहलु की चूराचंदपुर जिले के न्यू साईंकोट में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. उनकी हत्या के बाद इस घटना की जिम्मेदारी हमार रिवोल्यूशनरी फ्रंट (एचआरएफ) ने लेते हुए कहा था कि वह संगठन के खिलाफ काम कर रहे थे.
इसी तरह की एक घटना साल 2000 में हुई थी, जब इम्फाल में एक स्थानीय दैनिक अखबार के संपादक थुनाओजम ब्रजमनी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. यह कहा गया था कि उन्होंने कुछ सशस्त्र समूहों के खिलाफ अपने विचार व्यक्त किए थे. हालांकि अभी तक उनकी हत्या के कारणों का पता नहीं चल सका है.