विधानसभा चुनाव राउंड-अप: कोविड नियमों के उल्लंघन को लेकर निर्वाचन आयोग ने पश्चिम बंगाल विधानसभा के शेष सातवें एवं आठवें चरण में मैदान में उतरे 13 उम्मीदवारों के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया है. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कहा कि निर्वाचन आयोग की कोविड पाबंदियों का अनिवार्य रूप से पालन हो. आठवें चरण के चुनाव में किस्मत आज़मा रहे 23 प्रतिशत उम्मीदवारों के ख़िलाफ़ आपराधिक मुक़दमे दर्ज हैं.
बोलपुर: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग के तीन विशेष पर्यवेक्षक मतदान के दौरान तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेने के आदेश पुलिस अधिकारियों को दे रहे थे. उन्होंने कहा कि इस तरह की साजिशों के खिलाफ चुनाव के बाद वह उच्चतम न्यायालय जाएंगी.
बीरभूम के बोलपुर स्थित गीतांजलि सभागार में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए बनर्जी ने कहा कि वह चुप नहीं बैठ सकतीं, भले ही उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया जाए.
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया, ‘बहुत हुआ. अगर वे (निर्वाचन आयोग के पर्यवेक्षक) स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव के लिए काम कर रहे हैं तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन वे तो सिर्फ भाजपा की मदद के लिए काम कर रहे हैं. वे तृणमूल को खत्म करना चाहते हैं.’
उन्होंने जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों के साथ विशेष पर्यवेक्षकों की कथित चैट का विवरण दिखाते हुए कहा, ‘ये अधिकारी हमारे लोगों को चुनाव से पहले की रात को हिरासत में लेने और उन्हें चुनाव के दिन शाम चार बजे तक कब्जे में रखने के आदेश दे रहे हैं. वाॅट्सऐप पर हुई इस बातचीत का विवरण भाजपा के लोगों ने मुझे दिया है.’
बनर्जी ने कहा कि उनकी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, इसे बर्दाश्त नहीं करेगी और चुनाव के बाद ऐसी ‘साजिश और पक्षपातपूर्ण रुख’ के खिलाफ उच्चतम न्यायालय जाएगी.
उन्होंने दावा किया, ‘हालांकि, ये तीन सेवानिवृत्त लोग चुनावों को प्रभावित नहीं कर पाएंगे. उनके पक्षपातपूर्ण आचरण से भाजपा को सिर्फ सात-आठ सीटें जीतने में मदद मिलेगी. मैं व्यक्तिगत रूप से मानती हूं कि भाजपा 70 सीटों से ज्यादा नहीं जीत पाएगी.’
बनर्जी ने राज्य में कोविड-19 के मामलों में वृद्धि को लेकर भी निर्वाचन आयोग को आड़े हाथों लिया और कहा कि इसकी वजह चुनाव संबंधी कार्यों के लिए लाखों लोगों की एक जिले से दूसरे जिले आवाजाही है.
उन्होंने दावा किया कि केंद्रीय बलों के जवान और दूसरे राज्यों से आए लोग भी आरटी-पीसीआर परीक्षण से गुजरने के लिए तैयार नहीं थे.
कोविड नियमों का उल्लंघन: निर्वाचन आयोग ने 13 उम्मीदवारों के खिलाफ केस दर्ज किया
कोलकाता: निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार तक पश्चिम बंगाल विधानसभा के शेष सातवें एवं आठवें चरण में मैदान में उतरे 13 उम्मीदवारों के खिलाफ कोविड-19 संबंधी सुरक्षा प्रोटोकॉल का कथित उल्लंघन करने को लेकर प्राथमिकियां दर्ज कीं और 33 उम्मीदवारों को कारण बताओ नोटिस जारी किए.
एक अधिकारी ने बताया कि आयोग की पूर्ण पीठ ने एक डिजिटल बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे कोविड-19 संबंधी प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने वाले उम्मीदवारों से सख्ती से निपटना जारी रखें.
अधिकारी ने बताया कि जिन 13 उम्मीदवारों के खिलाफ प्राथमिकियां दर्ज की गई हैं, उमनें से छह बीरभूम जिले से हैं.
आयोग के एक सूत्र ने बताया कि बैठक में जिला निर्वाचन अधिकारियों से सवाल किया गया कि कोविड-19 संबंधी प्रोटोकॉल का क्रियान्वयन नहीं किए जाने के मामले में कलकत्ता उच्च न्यायालय को हस्तक्षेप क्यों करना पड़ा?
निर्वाचन आयोग ने प्रचार अभियान के दौरान कोविड दिशानिर्देशों के पालन की समीक्षा की
नई दिल्ली: मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा और चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान प्रचार अभियान में कोविड-19 दिशानिर्देशों के पालन की शनिवार को समीक्षा की. राज्य में अभी दो चरण के मतदान बाकी हैं.
निर्वाचन आयोग के प्रवक्ता ने बताया कि आयोग के शीर्ष पदाधिकारियों ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, स्वास्थ्य सचिव और कोलकाता के पुलिस आयुक्त के साथ कोविड-19 दिशानिर्देश के पालन की समीक्षा की.
मुख्य चुनाव आयुक्त ने उन लोगों के खिलाफ राष्ट्रीय महामारी अधिनियम के तहत सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया जो कोविड-19 नियमों का पालन नहीं करते हैं.
निर्वाचन आयोग ने कुछ दिन पहले ही रोड शो और पैदल मार्च पर रोक लगा दी थी और जनसभा में अधिकतम 500 लोगों के शामिल होने की सीमा तय की है.
उल्लेखनीय है कि इस बीच कोलकाता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल में चल रही विधानसभा चुनाव प्रक्रिया के दौरान कोविड-19 रोधी नियमों के क्रियान्वयन को लेकर बीते 22 मार्च को निर्वाचन आयोग से नाराजगी जताई थी.
मुख्य न्यायाधीश टीबीएन राधाकृष्णन के नेतृत्व वाली खंडपीठ ने चुनाव के दौरान कोविड रोधी प्रोटोकॉल के क्रियान्वयन का आग्रह करने वाली तीन जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा था कि कोविड सुरक्षा पर परिपत्र जारी करना और बैठकें करना पर्याप्त नहीं है तथा नियमों को लागू करने के लिए उठाए गए कदमों संबंध में शुक्रवार तक हलफनामा दायर किया जाना चाहिए.
इससे पहले बीते बुधवार को निर्वाचन आयोग ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव कार्यक्रम में किसी तरह के बदलाव से इनकार करते हुए तृणमूल कांग्रेस से कहा था कि शेष तीन चरणों के चुनाव को एक साथ मिलाने का उसका सुझाव व्यावहारिक नहीं है.
दरअसल कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के मद्देनजर तृणमूल कांग्रेस राज्य में बाकी चरणों के चुनाव एक साथ कराने का लगातार अनुरोध कर रही है, जबकि निर्वाचन आयोग इस बात से इनकार कर रहा है.
बीते 20 अप्रैल को भी पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने मंगलवार को राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) को पत्र लिखकर कोविड-19 के मामलों में तेज वृद्धि के मद्देनजर विधानसभा चुनाव के शेष तीनों चरणों का मतदान एक साथ कराने के उसके अनुरोध को स्वीकार करने का आग्रह किया था.
मालूम हो कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर आने के बाद से पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के एक विधायक समेत चुनाव मैदान में उतरे दो प्रत्याशियों की मौत इसके संक्रमण के कारण हो चुकी है.
बीते 17 अप्रैल को पांचवें चरण के चुनाव के दौरान बीरभूम जिले के मुरारई सीट से टीएमसी के निर्वतमान विधायक अब्दुर रहमान की कोरोना वायरस की वजह से मौत हो गई.
अब्दुर रहमान से पहले रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) की ओर से मुर्शिदाबाद जिले के जंगीपुरा सीट से चुनाव मैदान में उतरे प्रदीप कुमार नंदी की मौत भी बीते 16 अप्रैल को कोरोना संक्रमण की वजह से हो गई थी. उनसे पहले 15 अप्रैल को मुर्शिदाबाद जिले की शमशेरगंज सीट से उम्मीदवार रेजाउल हक की भी संक्रमण से मौत हो चुकी है.
निर्वाचन आयोग ने शमशेरगंज और जंगीपुरा विधानसभा सीट पर मतदान स्थगित कर दिया है.
निर्वाचन आयोग की कोविड पाबंदियों का अनिवार्य रूप से पालन हो: कलकत्ता उच्च न्यायालय
कोलकाता: कलकत्ता उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को सक्षम प्राधिकारियों को निर्देश दिया कि भारत निर्वाचन आयोग द्वारा राज्य में कोविड-19 के बढ़ते हुए मामलों के मद्देनजर जारी जन व्यवहार संबंधी ऐहतियाती दिशानिर्देशों और पाबंदियों का पश्चिम बंगाल के लोगों द्वारा सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित करवाएं.
राज्य में संक्रमण के बढ़ते हुए मामलों को देखते हुए विधानसभा चुनावों के दौरान कोविड दिशानिर्देशों के पालन को लेकर दायर की गईं जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अदालत ने अधिकारियों को मास्क पहनने और सामाजिक दूरी को मानने जैसे नियमों का पालन सुनिश्चित करवाने को कहा.
मुख्य न्यायाधीश टीबीएन राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी की खंडपीठ ने कहा, ‘निर्वाचन आयोग द्वारा लोक आचरण जैसे कोविड प्रबंधन के संदर्भ में ऐहतियाती निर्देश संबंधी पाबंदियों को लागू करना और लोगों द्वारा उसका सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित किया जाए.’
राज्य में कोविड-19 संबंधी नियमों के पालन के लिए उठाए गए कदमों के संदर्भ में निर्वाचन आयोग द्वारा दिए गए हलफनामे पर संज्ञान लेते हुए पीठ ने कहा कि आयोग सही दिशा में आगे बढ़ रहा है.
पीठ ने निर्देश दिया कि शासन के सभी विभाग या संस्थान निर्वाचन आयोग के दिशानिर्देशों को मानें और उसके निर्देशों का अनुपालन कर सहयोग करे.
आठवें चरण में किस्मत आजमा रहे 23 प्रतिशत उम्मीदवारों पर आपराधिक मुकदमे
नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के आठवें चरण में 35 सीटों पर अपनी किस्मत आजमा रहे 283 प्रत्याशियों में से 23 प्रतिशत ने उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमे दर्ज होने की जानकारी दी है.
इस जानकारी को एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) ने प्रत्याशियों द्वारा नामांकन के साथ दाखिल हलफनामे के विश्लेषण के आधार पर संकलित किया है.
इन 35 सीटों पर 29 अप्रैल को आठवें एवं अंतिम चरण में मतदान होगा.
रिपोर्ट में कहा गया, ‘कुल 283 प्रत्याशियों द्वारा दाखिल हलफनामे का विश्लेषण किया गया जिनमें से 64 ने (23 प्रतिशत) उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमे दर्ज होने की जानकारी दी है जबकि 50 प्रत्याशियों (18 प्रतिशत) के खिलाफ गंभीर अपराध के मामले दर्ज हैं.
प्रमुख पार्टियों में माकपा के 10 में से सात (70 प्रतिशत) ने, तृणमूल कांग्रेस के 35 में से 11 प्रत्याशियों (31 प्रतिशत), भाजपा के 35 में से 21 प्रत्याशियों (60 प्रतिशत) और कांग्रेस के 19 में से 10 प्रत्याशियों (53 प्रतशित) ने उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमे दर्ज होने की घोषणा की है.
वहीं माकपा के 10 में से दो प्रत्याशियों (20 प्रतिशत), तृणमूल कांग्रेस के 35 में से आठ प्रत्याशियों (23 प्रतिशत), भाजपा के 35 में से 18 प्रत्याशियों (51 प्रतिशत) और कांग्रेस के 19 में नौ प्रत्याशियों (47 प्रतिशत) ने गंभीर आपाराधिक मुकदमे दर्ज होने की जानकारी निर्वाचन आयोग के समक्ष जमा हलफनामे में दी है.
आठवें चरण में किस्मत आजमा रहे 12 उम्मीदवारों ने बताया है कि उन पर महिला के खिलाफ अपराध के मामले दर्ज हैं जबकि छह प्रत्याशी हत्या के मामले में नामजद हैं.
एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक, 17 प्रत्याशियों के खिलाफ हत्या का प्रयास करने का मुकदमा दर्ज है.
चुनाव निगरानी संस्था ने बताया कि 35 में से 11 निर्वाचन क्षेत्र ‘रेड अलर्ट’ क्षेत्र हैं. रेड अलर्ट निर्वाचन क्षेत्र का अभिप्राय है कि वहां के तीन या इससे अधिक प्रत्याशी ऐसे हैं, जिनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं.
एडीआर की रिपोर्ट में कहा गया है कि 283 प्रत्याशियों में से 55 (19 प्रतिशत) करोड़पति हैं.
प्रमुख पार्टियों में तृणमूल कांग्रेस के 35 में से 28 प्रत्याशी (80 प्रतिशत) करोड़पति हैं, कांग्रेस के 19 में से पांच प्रत्याशी (26 प्रतिशत) ने खुद को करोड़पति घोषित किया है.
वहीं भाजपा के 35 प्रत्याशियों में 12 (34 प्रतिशत) करोड़पति है, जबकि माकपा के 10 में से एक प्रत्याशी करोड़पति है.
रिपोर्ट के मुताबिक 152 प्रत्याशियों (54 प्रतशित) ने अपनी शैक्षणिक योग्यता पांचवीं से 12वीं कक्षा बताई है, जबकि 127 प्रत्याशियों (45 प्रतिशत) के पास स्नातक या इससे अधिक की उपाधि है. दो प्रत्याशियों ने खुद को साक्षर और दो ने खुद को अनपढ़ बताया है.
एक अन्य रिपोर्ट में एडीआर ने बताया कि चुनाव मैदान में किस्मत आजमा रहे 210 विधायकों की औसत संपति 1.38 करोड़ रुपये है जबकि उनकी संपत्ति में औसतन 78 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)