आंध्र प्रदेश के तिरुपति स्थित सरकारी रुइया अस्पताल में सोमवार देर रात हुआ हादसा. परिजनों का आरोप है कि ऑक्सीजन सप्लाई 25 से 45 मिनट के लिए बाधित हुई थी. वहीं डीएम ने कहा है कि ऑक्सीजन की आपूर्ति पांच मिनट के भीतर बहाल हो गई थी.
तिरुपति: आंध्र प्रदेश के तिरुपति स्थित सरकारी रुइया अस्पताल में सोमवार देर रात आईसीयू के अंदर ऑक्सीजन की आपूर्ति में समस्या के कारण कम से कम 11 कोविड-19 रोगियों की मौत हो गई. चित्तूर के जिलाधिकारी एम. हरि नारायणन ने यह जानकारी दी.
मरीजों के परिजन ने आरोप लगाया है कि अस्पताल में ऑक्सीजन सप्लाई 25 से 45 मिनट के लिए बाधित हुई थी. वहीं डीएम हरि नारायणन ने कहा, ‘ऑक्सीजन की आपूर्ति पांच मिनट के भीतर बहाल हो गई और सब कुछ अब सामान्य हो गया है. इसकी वजह से हम अधिक मरीजों की मौत को रोक सके.’
उन्होंने कहा कि तमिलनाडु के श्रीपेराम्बुदुर से ऑक्सीजन टैंकर आने में देरी से ये समस्या पैदा हुई. अस्पताल में 1100 बिस्तर हैं. आईसीयू में 100 से अधिक मरीज हैं और 400 मरीज ऑक्सीजन बेड पर हैं. लगभग 30 डॉक्टरों को मरीजों की देखरेख करने के लिए तुरंत आईसीयू में भेजा गया.
जिलाधिकारी ने कहा कि अस्पताल में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है और पर्याप्त आपूर्ति की जा रही है.
मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने इस घटना पर दुख व्यक्त किया. उन्होंने जिला कलेक्टर से बात की और निर्देश दिया कि घटना की विस्तृत जांच की जाए.
जगन ने अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हो.
तिरुपति में ये घटना ऐसे समय में हुई है, जब भारत कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर से जूझ रहा है और मेडिकल ऑक्सीजन के बड़ी चुनौती बनकर उभरा है. मेडिकल ऑक्सीजन की कमी की वजह से ऐसी घटनाएं देश के विभिन्न हिस्सों में लगातार हो रही हैं.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, बीते नौ मई को पड़ोसी तेलंगाना राज्य में ऑक्सीजन आपूर्ति कथित तौर पर बाधित होने से हैदराबाद के एक सरकारी अस्पताल में तीन लोगों की मौत हो गई थी. हालांकि अधिकारियों ने ऑक्सीजन से मौत की बात से इनकार किया है.
बीते पांच मई को तमिलनाडु के चेंगलपट्टू स्थित एक सरकारी अस्पताल में 13 मरीजों की मौत हो गई थी. परिजनों ने ऑक्सीजन की कमी से मौत होने का आरोप लगाया था. हालांकि अस्पताल प्रशासन ने इससे इनकार कर दिया था.
इसी तरह कर्नाटक के चामराजनगर जिला अस्पताल में तीन मई को 24 घंटे के दौरान ऑक्सीजन की कथित कमी से 24 मरीजों की मौत हो गई थी.
बीते एक मई को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के मेहरौली इलाके में स्थित बत्रा अस्पताल के आईसीयू में गैस्ट्रो-गैस्ट्रोएंटेराइटिस विभाग के प्रमुख सहित 12 कोरोना संक्रमित मरीजों की ऑक्सीजन की कमी के कारण मौत का मामला सामने आया था.
बीते 26 अप्रैल को महाराष्ट्र में ठाणे स्थित वेदांता अस्पताल कोविड-19 के चार मरीजों की मौत हो गई थी. मृतकों के परिजन ने ऑक्सीजन की कमी को मौत का कारण करार दिया था.
हरियाणा में दो दिनों (25 और 26 अप्रैल) को कथित तौर पर ऑक्सीजन की कमी से कम से कम 13 लोगों की मौत का मामला सामने आया था. बीते 24 अप्रैल को पंजाब के अमृसतर स्थित एक अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से छह मरीजों की मौत हो गई थे.
23 अप्रैल को ही ऑक्सीजन के गंभीर संकट के बीच दिल्ली के रोहिणी स्थित जयपुर गोल्डन अस्पताल में 20 अत्यंत बीमार कोविड-19 मरीजों की रात भर में मौत हो गई थी.
बीते 23 अप्रैल को 24 घंटे के दौरान दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में गंभीर रूप से बीमार 25 मरीजों की मौत हो गई. घटना के पीछे संभावित वजह ऑक्सीजन की कमी को बताया गया था.
बीते 23 अप्रैल को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के बड़हलगंज कस्बे में कथित तौर पर ऑक्सीजन की कमी वजह से तीन मरीजों की मौत का मामला सामने आया था.
22 और 23 अप्रैल की दरमियानी रात में मध्य प्रदेश के जबलपुर के गैलेक्सी अस्पताल में कथित तौर पर ऑक्सीजन ख़त्म होने से पांच कोरोना संक्रमितों की मौत हो गई.
बीते 21 अप्रैल को महाराष्ट्र के नासिक में कोविड-19 रोगियों के एक सरकारी अस्पताल में बुधवार को भंडारण संयंत्र से ऑक्सीजन के रिसाव के बाद इस गैस की आपूर्ति बाधित होने से कम से कम 22 कोविड-19 मरीजों की मौत हो गई थी.
21 अप्रैल की रात उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के एक निजी एसजेडी हॉस्पिटल में कथित रूप से ऑक्सीजन की कमी के कारण कोरोना वायरस से संक्रमित पांच मरीजों की मौत हो गई.
बीते 18 अप्रैल को मध्य प्रदेश के ही शहडोल मेडिकल कॉलेज के आईसीयू वॉर्ड में कथित तौर पर ऑक्सीजन सप्लाई की कमी की वजह से 12 कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत हो गई थी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)