मिज़ोरम सरकार ने 31 अगस्त के अपने पत्र में राज्य के शिक्षा अधिकारियों को म्यांमार शरणार्थियों के बच्चों को सरकारी स्कूलों में प्रवेश देने का निर्देश दिया है. इस साल फरवरी में म्यांमार में सैन्य तख़्तापलट के बाद इन्हें भागने को मजबूर होना पड़ा था. सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक, मिज़ोरम आए इन शरणार्थियों की संख्या 9,450 है.
नई दिल्लीः मिजोरम सरकार ने 31 अगस्त के अपने पत्र में राज्य के शिक्षा अधिकारियों को म्यांमार शरणार्थियों के बच्चों को सरकारी स्कूलों में प्रवेश देने का निर्देश दिया है.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, मिजोरम सरकार ने म्यांमार शरणार्थियों के बच्चों की स्कूली शिक्षा जारी रखने के लिए यह फैसला लिया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस पत्र पर मिजोरम के स्कूल शिक्षा निदेशालय के निदेशक जेम्स लालरिंचना के हस्ताक्षर हैं, जिन्होंने बच्चों को नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 (आरटीई एक्ट) का हवाला देते हुए कहा कि वंचित समुदायों के छह से 14 साल के बच्चों को अपनी प्राथमिक स्कूली शिक्षा पूरी करने के लिए अपनी उम्र के अनुरूप उपयुक्त कक्षा में दाखिला लेने का अधिकार है.
यह पत्र सभी जिला शिक्षा अधिकारियों और सब डिविजनल शिक्षा अधिकारियों को भेजा गया है, जिसमें उनसे उनके अधिकार क्षेत्रों के तहत आने वाले स्कूलों में इन प्रवासी और शरणार्थी बच्चों को दाखिला देने का आग्रह किया गया है.
हालांकि, पत्र में म्यांमार के नागरिकों का विशेष तौर पर उल्लेख नहीं किया गया है.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, स्कूली शिक्षा मंत्री लालचंदमा राल्ते ने बताया कि यह सर्कुलर व्यापक तौर पर इस साल मार्च महीने में म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के बाद मिजोरम भागने के लिए मजबूर हुए बच्चों के लिए है.
उन्होंने कहा कि इन बच्चों का सितंबर में सरकारी स्कूलों में दाखिला कराया जाएगा.
लालरिंचना ने कहा कि यह आदेश किसी भी देश के प्रवासी बच्चे पर लागू होता है. जब तक वे भारतीय जमीन पर हैं, उनकी देखभाल करना हमारी जिम्मेदारी है. उन्हें शिक्षा से वंचित नहीं रख सकते, जो उनके विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक म्यांमार से मिजोरम आए शरणार्थियों की संख्या 9,450 है. ये लोग मिजोरम के दस जिलों में हैं. म्यांमार से सटे मिजोरम चंपई जिले की सीमा पर सबसे अधिक 4,488 शरणार्थी हैं. इसके बाद राजधानी आइजोल में 1,622 शरणार्थी हैं.
ये शरणार्थी अधिकतर म्यांमार के चिन प्रांत से हैं और इस साल फरवरी में म्यांमार में सैन्य जुंटा के तख्तापलट के बाद इन्हें भागने को मजबूर होना पड़ा था. इस तख्तापलट में आंग सान सू की निर्वाचित सरकार को उखाड़ फेंका गया और कई नेताओं को नजरबंद किया गया.
भारत आ रहे म्यांमार शरणार्थियों को देखते हुए केंद्र सरकार ने इस साल मार्च महीने में भारत में प्रवेश करने का प्रयास कर रहे म्यांमार के नागरिकों के लिए सीमा बंद करने का आदेश दिया था.
हालांकि, मिजोरम नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) के नेता और राज्य के मुख्यमंत्री जोरमथांगा ने 18 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इन निर्देशों का पालन करने से इनकार करते हुए कहा था, ‘भारत सामने खड़े इस मानवीय संकट से आंख मूंद नहीं सकता.’
जोरमथांगा ने मिजोरम के लोगों के म्यांमार के चिन समुदाय के साथ साझा किए जा रहे जातीय संबंधों का हवाला देते हुए कहा कि मिजोरम इनकी पीड़ा में बेरुखी नहीं दिखा सकता.