मामला उत्तर प्रदेश के मैनपुरी ज़िले में बेवर ब्लॉक के दौदापुर शासकीय प्राथमिक विद्यालय का है. ग्राम प्रधान पति द्वारा शिकायत पर स्कूल का दौरा करने गए अधिकारियों ने पाया कि मिड-डे मील परोसने के लिए अनुसूचित जाति के बच्चों को दिए गए बर्तन अन्य बर्तनों से अलग रखे गए थे. मामले में प्रधानाध्यापिका को निलंबित करने के अलावा दो रसोइयों को भी काम पर से हटा दिया गया है.
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले के एक सरकारी स्कूल में अनुसूचित जाति (एससी) के बच्चों को अपनी थाली धुलकर अलग रखने के लिए मजबूर करने का मामला सामने आया है. इसे लेकर स्कूल प्रमुख और दो रसोइयों को हटा दिया गया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मैनपुरी में बेवर ब्लॉक के दौदापुर शासकीय प्राथमिक विद्यालय में अनुसूचित जाति के बच्चों को मिड-डे मील के लिए इस्तेमाल की गई थाली को खुद ही धुलकर रसोईघर में अलग रखना पड़ रहा था, जबकि इस विद्यालय में 80 में से 60 बच्चे अनुसूचित जाति से हैं.
इसे लेकर जब शिकायत की गई तो अधिकारियों में स्कूल का दौरा किया और पाया कि रसोईघर में एससी जाति के बच्चों की थालियां अलग से रखी हुई थीं.
इसके चलते प्रधानाध्यापिका गरिमा राजपूत को बीते शुक्रवार (24 सितंबर) को निलंबित कर दिया गया. दो रसोइयों को भी काम पर से हटा दिया गया, क्योंकि उन्होंने कहा था कि वे अनुसूचित जाति के छात्रों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले बर्तनों को ‘छू नहीं सकते हैं.’
मैनपुरी बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) कमल सिंह ने कहा कि स्कूल में जातिगत भेदभाव को लेकर नवनिर्वाचित सरपंच मंजू देवी के पति द्वारा की गई शिकायत को सही पाया गया है.
उन्होंने कहा, ‘हमें बुधवार (22 सितंबर) को इस बारे में शिकायत मिली थी और निरीक्षण के लिए स्कूल में एक टीम भेजी गई थी. अनुसूचित जाति के बच्चों और अन्य बच्चों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले बर्तन अलग-अलग रखे गए थे. प्रखंड विकास पदाधिकारी व अन्य पदाधिकारियों ने विद्यालय का दौरा किया.’
उन्होंने आगे कहा, ‘इस दौरान रसोइया सोमवती और लक्ष्मी देवी ने अनुसूचित जाति के छात्रों के बर्तनों को छूने से इनकार कर दिया और कहा कि अगर उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर किया गया तो वे स्कूल में काम नहीं कर पाएंगी. उन्होंने जातिसूचक गालियों का भी इस्तेमाल किया.’
सरपंच मंजू देवी के पति साहब सिंह ने कहा कि कुछ माता-पिता ने उन्हें 15 सितंबर को इस भेदभावपूर्ण प्रथा के बारे में बताया था.
उन्होंने कहा, ‘18 सितंबर को मैं एक मीटिंग के लिए स्कूल गया था. मैंने देखा कि रसोई गंदी थी और उसमें केवल 10-15 प्लेटें रखी थीं. मैंने रसोइयों से पूछा कि बाकी थालियां कहां हैं, तो उन्होंने कहा कि रसोई में जो थालियां रखी थीं, वे पिछड़े और सामान्य वर्ग के छात्रों की थीं, जबकि 50-60 थालियां अलग-अलग रखी गई थीं.
साहब सिंह ने आगे कहा, ‘मुझे यह भी बताया गया था कि अनुसूचित जाति के छात्रों को अपने बर्तन खुद से धोने और अलग रखने के लिए मजबूर किया जाता है, क्योंकि अन्य जातियों का कोई भी उन्हें छूने को तैयार नहीं होता है.’
मैनपुरी समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव का गढ़ है. सपा द्वारा समर्थित मैनपुरी जिला पंचायत सीट जीतने वाले शुभम सिंह ने कहा कि उन्होंने गांव का दौरा किया था.
सिंह ने कहा, ‘भाजपा दलित उत्थान के बड़े-बड़े दावे करती है. वे समुदाय के कुछ नेताओं को खानापूर्ति के लिए कुछ पद देते हैं, लेकिन यह यूपी की वास्तविकता है.’
इस मामले को लेकर सोशल मीडिया पर कुछ वीडियो वायरल हुए हैं, जिसमें परिजनों को ये कहते सुना जा सकता है, ‘यहां बच्चे आते हैं, यहां बर्तन धुलवाए जाते हैं. मास्टर लोग धुलवाते हैं. मैंने खुद देखा है. मास्टर से कहा था, उन्होंने अनसुनी कर दी. बच्चों ने भी बताया, घर पे भी बताया.’