किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा के तय कार्यक्रम के अनुसार 22 नवंबर को लखनऊ में किसान पंचायत, 26 नवंबर को दिल्ली सभी सीमाओं पर सभा और 29 नवंबर को संसद तक मार्च होगा.
नई दिल्ली: संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) आगे के कदमों पर फैसला करने के लिए 27 नवंबर को एक और बैठक करेगा, जबकि 29 नवंबर को किसानों का संसद तक निर्धारित मार्च तय कार्यक्रम के अनुरूप ही होगा. किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने रविवार को यह जानकारी दी.
एक बैठक के बाद सिंघू बॉर्डर पर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए राजेवाल ने कहा, ‘हमने कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने की घोषणा पर चर्चा की. इसके बाद, कुछ फैसले लिए गए. एसकेएम के पूर्व निर्धारित कार्यक्रम पहले की तरह ही जारी रहेंगे. 22 नवंबर को लखनऊ में किसान पंचायत, 26 नवंबर को दिल्ली की सभी सीमाओं पर सभा और 29 नवंबर को संसद तक मार्च होगा.’
प्रदर्शन कर रहे किसान संघों के मुख्य संगठन एसकेएम ने आगे के कदमों पर फैसला लेने के लिए रविवार सुबह बैठक की. इनमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का मुद्दा और आगामी शीतकालीन सत्र के दौरान संसद तक प्रस्तावित ट्रैक्टर मार्च शामिल है.
For a decision on further developments, another meeting of SKM will be held on 27th Nov. Decision will be taken on the basis of the situation until then: Farmer leader Balbir Singh Rajewal at Singhu border pic.twitter.com/dxMnKXnImg
— ANI (@ANI) November 21, 2021
किसान नेता अपने इस रुख पर कायम हैं कि प्रदर्शनकारी दिल्ली के सीमावर्ती इलाकों में तब तक रहेंगे, जब तक कि केंद्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बीते शुक्रवार को की गई घोषणा के बाद संसद में इन कानूनों को औपचारिक रूप से रद्द नहीं करता और एमएसपी की वैधानिक गारंटी और विद्युत संशोधन विधेयक वापस लेने की उनकी अन्य मांगें नहीं मान ली जाती हैं, तब तक आंदोलन जारी रहेगा.
लखनऊ में सोमवार को होगी किसान महापंचायत
तीन विवादास्पद कृषि कानूनों की वापसी समेत विभिन्न मांगों को लेकर एक वर्ष से अधिक समय से आंदोलन कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने लखनऊ में सोमवार को किसान महापंचायत बुलाई है, जिसमें एसकेएम आगे की रणनीति पर विचार करेगा.
तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की केंद्र की घोषणा के बावजूद किसान नेताओं का कहना है कि जब तक सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देने वाला कानून नहीं बनाती तथा लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ‘टेनी’ को बर्खास्त नहीं करती, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते शुक्रवार को तीन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की घोषणा करते हुए कहा था कि इसके लिए संसद के आगामी सत्र में विधेयक लाया जाएगा.
भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने सोमवार को लखनऊ के इको गार्डन में आयोजित होने वाली किसान महापंचायत के लिए किसानों से यहां आने की अपील की है.
उन्होंने ‘चलो लखनऊ-चलो लखनऊ’ नारे के साथ रविवार को ट्वीट किया, ‘सरकार द्वारा जिन कृषि सुधारों की बात की जा रही है, वे नकली एवं बनावटी हैं. इन सुधारों से किसानों की बदहाली रुकने वाली नहीं है. कृषि एवं किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानून बनाना सबसे बड़ा सुधार होगा.’
इस संदर्भ में भाकियू की प्रदेश इकाई के उपाध्यक्ष हरनाम सिंह वर्मा ने रविवार को कहा, ‘प्रधानमंत्री ने तीन कानूनों को वापस लेने की घोषणा जरूर कर दी है, लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि वह न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर कब कानून बनाएंगे.’
वर्मा ने कहा कि जब तक एमएसपी को कानून बनाने और अजय कुमार को बर्खास्त करने के लिए कदम नहीं उठाया जाता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा.’
उन्होंने कहा कि किसान महापंचायत में और भी कई बिंदुओं पर चर्चा होगी, जैसे कि भाजपा ने कहा था कि सरकार बनने के बाद किसानों को गन्ना मूल्य का भुगतान 14 दिन के भीतर किया जाएगा, लेकिन यह व्यवस्था आज तक लागू नहीं हो सकी और साढ़े चार वर्ष में गन्ना मूल्य में मात्र 25 रुपये की वृद्धि की गई है.
गौरतलब है कि तीन अक्टूबर को लखीमपुर खीरी के तिकुनिया क्षेत्र में किसानों के प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हुई थी.
किसानों का आरोप है कि अजय कुमार मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे किसानों पर अपनी गाड़ी चढ़ा दी और इस दौरान गोलियां चलाई गईं. इस मामले में मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा समेत दर्जनभर से ज्यादा आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है.
इससे पहले बीते शनिवार को भी संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा था कि उसके पहले से निर्धारित कार्यक्रम जारी रहेंगे. इसके साथ ही मोर्चा ने किसानों से कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन की पहली वर्षगांठ पर 26 नवंबर को सभी प्रदर्शन स्थलों पर बड़ी संख्या में एकत्र होने का आग्रह किया था.
मोर्चा ने प्रधानमंत्री के फैसले का स्वागत किया है, लेकिन साथ ही कहा है कि वह संसदीय प्रक्रियाओं के जरिए घोषणा के प्रभावी होने की प्रतीक्षा करेगा.
चालीस किसान संघों के प्रमुख संगठन एसकेएम ने कहा है कि प्रदर्शनकारी किसानों की सभी मांगों को पूरा कराने के लिए संघर्ष जारी रहेगा तथा सभी घोषित कार्यक्रम जारी हैं.
बयान में कहा गया है, ‘मोर्चा विभिन्न उत्तर भारतीय राज्यों के किसानों से 26 नवंबर, 2021 को विभिन्न प्रदर्शन स्थलों पर पहुंचने की अपील करता है, उस दिन दिल्ली की सीमाओं पर लगातार शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन का एक साल पूरा हो रहा है.’
राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर हजारों किसान, खासकर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के, तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग के साथ पिछले साल 26 नवंबर से प्रदर्शन कर रहे हैं.
किसान संगठन ने कहा कि आंदोलन की पहली वर्षगांठ पर दूसरे राज्यों में ट्रैक्टर और बैलगाड़ियों की परेड आयोजित की जाएगी.
मोर्चा ने बयान में कहा, ‘दिल्ली से दूर विभिन्न राज्यों में, 26 नवंबर को एक साल पूरा होने पर राजधानियों में ट्रैक्टर और बैलगाड़ी परेड के साथ-साथ अन्य प्रदर्शन किए जाएंगे.’
बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री ने तीन काले कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की, लेकिन वह किसानों की अन्य लंबित मांगों पर चुप रहे.
मोर्चा ने कहा, ‘किसान आंदोलन में अब तक 670 से अधिक किसान शहीद हुए और भारत सरकार ने उनके बलिदान को स्वीकार तक नहीं किया. इन शहीदों के परिवारों को मुआवजे और रोजगार के अवसरों के साथ समर्थन दिया जाना चाहिए. ये शहीद संसद सत्र में श्रद्धांजलि के हकदार हैं और उनके नाम पर एक स्मारक बनाया जाना चाहिए.’
बयान में कहा गया है कि हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, चंडीगढ़, मध्य प्रदेश और अन्य जगहों पर हजारों किसानों को फंसाने के लिए दर्ज मामले बिना शर्त वापस लिए जाने चाहिए.
इसमें यह भी कहा गया है कि 29 नवंबर से शुरू हो रहे संसद सत्र के दौरान प्रतिदिन 500 प्रदर्शनकारी ट्रैक्टर ट्रॉलियों से संसद तक शांतिपूर्ण मार्च करेंगे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)