रामायण एक्सप्रेस ट्रेन में सवार वेटर की भगवा पोशाक पर आपत्ति जताते हुए मध्य प्रदेश के उज्जैन के साधु-संतों द्वारा इस ट्रेन को 12 दिसंबर को दिल्ली में रोकने की धमकी दी गई थी. उसके कुछ ही घंटों बाद आईआरसीटीसी ने घोषणा की कि इस ट्रेन के वेटर की पोशाक अब भगवा नहीं होगी. इसे बदलकर अब परंपरागत पोशाक कर दी गई है.
उज्जैन: रामायण एक्सप्रेस ट्रेन में सवार वेटर की भगवा पोशाक पर आपत्ति जताते हुए मध्य प्रदेश के उज्जैन के साधु-संतों द्वारा इस ट्रेन को 12 दिसंबर को दिल्ली में रोकने की धमकी दिए जाने के कुछ ही घंटों बाद बीते सोमवार को ‘इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन लिमिटेड’ (आईआरसीटीसी) ने ट्विटर पर ऐलान किया कि इस ट्रेन के वेटर की पोशाक अब भगवा नहीं होगी. इसे बदलकर अब वेटर की परंपरागत पोशाक कर दी गई है.
आईआरसीटीसी ने की इस खबर को अपनी वेबसाइट पर जारी करने वाले एक मीडिया चैनल को रिट्वीट कर कहा, ‘सूचित किया जाता है कि इन वेटरों की पोशाक को पूरी तरह से बदलकर अब वेटर की पेशेवर पोशाक कर दिया गया है.’
It is to inform that the dress of service staff is completely changed in the look of professional attire of service staff.
— IRCTC (@IRCTCofficial) November 22, 2021
रामायण एक्सप्रेस ट्रेन में सवार वेटर की भगवा पोशाक पर आपत्ति जताते हुए उज्जैन के साधु-संतों ने सोमवार सुबह को कहा था कि यह हिंदू धर्म का अपमान है और धमकी दी कि अगर यह ड्रेस बदली नहीं गई तो वे 12 दिसंबर को दिल्ली में इस ट्रेन को रोकेंगे.
उज्जैन अखाड़ा परिषद के पूर्व महामंत्री अवधेशपुरी ने से कहा, ‘हमने दो दिन पहले केंद्रीय रेल मंत्री को पत्र लिखकर रामायण एक्सप्रेस ट्रेन में वेटर द्वारा भगवा ड्रेस में जलपान और भोजन परोसने के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया था. साधु-संतों जैसे भगवा कपड़े और रुद्राक्ष की माला पहनकर इस ट्रेन में वेटर द्वारा यात्रियों को जलपान और भोजन परोसना हिंदू धर्म और उसके संतों का अपमान है.’
उन्होंने कहा कि अगर वेटर की भगवा ड्रेस बदली नहीं गई तो दिल्ली के सफदरजंग रेलवे स्टेशन पर साधु-संत इस ट्रेन को 12 दिसंबर को रोकेंगे.
उन्होंने कहा, ‘हम रेलवे पटरियों पर बैठेंगे. हिंदू धर्म की रक्षा के लिए यह जरूरी है. हमने उज्जैन में इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाया है.’
उज्जैन शहर में भगवान शिव का श्री महाकालेश्वर मंदिर है और यहां हर 12 साल में सिंहस्थ कुंभ मेला लगता है.
देश की पहली रामायण सर्किट ट्रेन सात नवंबर को सफदरजंग रेलवे स्टेशन से तीर्थयात्रियों को लेकर 17 दिन के सफर पर रवाना हुई थी.
यह ट्रेन भगवान राम के जीवन से जुड़े 15 स्थानों पर जाती है. यह ट्रेन 7,500 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करते हुए तीर्थयात्रियों को अयोध्या, प्रयाग (इलाहाबाद), नंदीग्राम, जनकपुर, चित्रकूट, सीतामढ़ी, नासिक, हम्पी और रामेश्वरम जैसे स्थानों पर ले जाएगी.
रामायण एक्सप्रेस को खासतौर से डिजाइन किया गया है. एसी कोच वाली ट्रेन में साइड वाली सीट को हटाकर वहां आरामदायक कुर्सी-टेबल लगाए गए हैं ताकि यात्री सफर का आनंद बैठकर भी ले सकें. यह ट्रेन प्रथम श्रेणी के रेस्तरां एवं पुस्तकालय से सुसज्जित है.
इस बीच, आईआरसीटीसी की घोषणा पर उनकी प्रतिक्रिया के लिए संपर्क किए जाने पर अवधेशपुरी ने खुशी जताते हुए सोमवार रात को कहा, ‘यह (हिंदू) धर्म और संस्कृति की जीत है. इस मुद्दे को उठाना मेरा कर्त्तव्य था.’
रेलवे बोर्ड के एक अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि विवाद बढ़ने से रोकने और वर्दी को स्वीकार्य बनाने के लिए इसे बदलने का फैसला किया गया है.
मालूम हो कि इस महीने की शुरुआत में आईआरसीटीसी ने अपने आधिकारिक फेसबुक और ट्विटर पेज पर बताया था, ‘आईआरसीटीसी द्वारा चलाई जा रही अनूठी ‘श्री रामायण यात्रा’ के लिए ‘देखो अपना देश’ डीलक्स एसी पर्यटक ट्रेन 7 नवंबर को दिल्ली सफदरजंग स्टेशन से रवाना होगी. रामायण सर्किट भारत सरकार की ‘स्वदेश दर्शन योजना’ के अंतर्गत चिह्नित थीम सर्किट में से एक महत्वपूर्ण सर्किट है.’
इसी तरह दक्षिण भारत के तीर्थ पर्यटन बाजार की आवश्यकता को पूरा करने के लिए इस श्रेणी की 12 रात/13 दिन की एक अन्य ट्रेन में श्री रामायण यात्रा एक्सप्रेस-मदुरै शामिल है, को भी शुरू किया गया था.
बयान में कहा गया था कि इसी तरह श्री रामायण यात्रा एक्सप्रेस-श्रीगंगानगर का 16 रात/17 दिन का पैकेज भी है. यह ट्रेन 25 नवंबर को रवाना होगी.
उत्तर भारत के बजट सेगमेंट के पर्यटकों के लिए आईआरसीटीसी श्री रामायण यात्रा एक्सप्रेस-श्री गंगानगर को अपनी तीर्थ विशेष पर्यटक ट्रेनों के साथ संचालित कर रहा है. यह ट्रेन अयोध्या, सीतामढ़ी, जनकपुर, वाराणसी, इलाहाबाद, चित्रकूट, नासिक, हम्पी, रामेश्वरम, कांचीपुरम होते हुए श्री गंगानगर लौटेगी.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)