बीते चार दिसंबर को नगालैंड के मोन ज़िले में सेना की गोलीबारी में 14 आम नागरिकों की मौत के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने केंद्र और नगालैंड सरकार को नोटिस जारी जारी कर छह सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. इस घटना के विरोध में राज्य का सबसे बड़ा पर्यटन आधारित मनोरंजन कार्यक्रम ‘हॉर्नबिल उत्सव’ को समाप्त कर दिया गया है.
कोहिमा/नई दिल्ली: सेना की गोलीबारी में 14 लोगों की मौत को लेकर आक्रोश के बीच नगालैंड के विभिन्न इलाकों में सोमवार को बंद का आयोजन किया गया था और इसी दिन इन सभी लोगों का अंतिम संस्कार भी कर दिया गया. इस दौरान सशस्त्र बल विशेष अधिकार कानून (आफस्पा) को निरस्त करने की मांग भी उठाई गई.
नगालैंड पुलिस ने सेना के 21वें पैरा मिलिट्री फोर्स के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए प्राथमिकी दर्ज की है. मोन शहर में दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है.
नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने सुरक्षा बलों की गोलीबारी में मारे गए 14 लोगों के अंतिम संस्कार में शामिल होते हुए सशस्त्र बल विशेष अधिकार कानून (आफस्पा) को निरस्त करने की मांग की.
बीते सोमवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सहयोगी मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने भी आफस्पा को रद्द करने की मांग की थी.
मोन मुख्यालय हेलीपैड ग्राउंड में शवों के अंतिम संस्कार के समय रियो ने कहा, ‘आफस्पा सेना को बिना किसी गिरफ्तारी वारंट के नागरिकों को गिरफ्तार करने, आवासों पर छापा मारने और लोगों को मारने का अधिकार देता है, लेकिन सुरक्षा बलों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती है.’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘उन्होंने (सेना) कानून और व्यवस्था की समस्या पैदा कर दी है.’ रियो ने ट्वीट किया, ‘नगालैंड और नगा लोगों ने हमेशा आफस्पा का विरोध किया है. इसे वापस लेना चाहिए.’
Nagaland and the Naga people have always opposed #AFSPA. It should be repealed.
— Neiphiu Rio (@Neiphiu_Rio) December 6, 2021
गोलीबारी में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देते हुए रियो ने कहा, ‘उनके बलिदान को भुलाया नहीं जाएगा. इसमें हम साथ हैं. हम लोगों के साथ एकजुटता से खड़े हैं.’
मुख्यमंत्री ने कहा कि चूंकि सुरक्षा बलों ने आम नागरिकों की पहचान के लिए उन्हें रोके बिना सीधे उन पर गोलियां चलाईं, इसलिए घटना में संलिप्त लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू की जाएगी.
रियो ने कहा, ‘उन्होंने (खनिकों ने) भारत के लिए नहीं बल्कि नागाओं के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया है.’
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा, ‘ओटिंग में मारे गए निर्दोष लोगों को मेरी अंतिम श्रद्धांजलि. उनके बलिदान को भुलाया नहीं जा सकेगा. इसमें हम सब साथ हैं. हम लोगों के साथ एकजुटता से खड़े हैं. मैं शोक संतप्त परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं.’
Paid my last respects to the innocent lives who were killed at Oting. Their sacrifices will not be forgotten. We are together in this. We stand in solidarity with the people. I extend my deepest condolences to the bereaved families. May the departed souls RIP. pic.twitter.com/R9K4Tk90fr
— Neiphiu Rio (@Neiphiu_Rio) December 6, 2021
मुख्यमंत्री ने घटना में मारे गए लोगों के प्रत्येक के परिजनों को पांच लाख रुपये और घायलों को एक-एक लाख रुपये की अनुग्रह राशि की घोषणा की.
रियो ने यह भी कहा कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने प्रत्येक पीड़ित के परिवारों को 11 लाख रुपये की अनुग्रह राशि और सरकारी नौकरी देने की घोषणा की है.
पीड़ितों के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए रियो ने कहा कि उन्होंने शाह को सूचित किया कि राज्य में स्थिति ‘ठीक’ है, लेकिन सेना ने ‘गलती’ की है.
रियो ने शोक संतप्त लोगों को बताया कि शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और 3 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल जेपी मैथ्यू ने उन्हें इस घटना की गहन जांच और जिम्मेदार लोगों सजा का आश्वासन दिया है.
नगालैंड के उपमुख्यमंत्री वाई. पैटन ने ट्वीट कर कहा, ‘मोन जिले के ओटिंग गांव में चार दिसंबर की दुर्भाग्यपूर्ण घटना और उसके बाद की अशांति में अपनी जान गंवाने वाले निर्दोष नागरिकों के अंतिम संस्कार में शामिल होकर अपनी संवेदना व्यक्त की. हम मामले की गहन जांच की बात दोहराते हैं और पीड़ितों और उनके परिवारों को न्याय का आश्वासन देते हैं.’
Attended the funeral service of the innocent civilians who lost their lives in the unfortunate incident of Dec 4 at Oting Village, Mon, and in the subsequent unrest, and offered my condolences.
We reiterate a thorough probe and assure justice to the victims and their families. pic.twitter.com/Yje5IOjETa
— Yanthungo Patton (@YanthungoPatton) December 6, 2021
अमित शाह ने नगालैंड में गोलीबारी में 14 लोगों की मौत की घटना पर खेद प्रकट करते हुए सोमवार को कहा था कि इसकी विस्तृत जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है तथा सभी एजेंसियों से यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि भविष्य में ऐसे किसी घटना की पुनरावृत्ति नहीं हो.
उन्होंने कहा कि नगालैंड की घटना की विस्तृत जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है जिसे एक महीने के अंदर जांच पूरी करने को कहा गया है.
शाह ने घटना का ब्योरा देते हुए कहा कि 4 दिसंबर को नगालैंड के मोन जिले में भारतीय सेना को उग्रवादियों की आवाजाही की सूचना मिली और उसके 21वें पैरा कमांडो ने इनका इंतजार किया.
उन्होंने कहा कि शाम को एक वाहन उस स्थान पर पहुंचा और सशस्त्र बलों ने उसे रोकने का संकेत दिया, लेकिन वह नहीं रुका और आगे निकलने लगा. शाह ने कहा कि इस वाहन में उग्रवादियों के होने के संदेह में इस पर गोलियां चलाई गईं, जिसमें वाहन पर सवार 8 में से छह लोग मारे गए.
शाह ने कहा कि बाद में इसे गलत पहचान का मामला पाया गया. सेना इस घटना में घायल दो लोगों को पास के चिकित्सा केंद्र ले गई.
बहरहाल, प्रभावशाली संगठन नगा स्टूडेंट्स फेडरेशन (एनएसएफ) का छह घंटे का बंद शांतिपूर्ण रहा.
मालूम हो कि नगालैंड के मोन जिले के ओटिंग और तिरु गांवों के बीच यह घटना उस समय हुई. गोलीबारी की पहली घटना तब हुई जब चार दिसंबर की शाम कुछ कोयला खदान के मजदूर एक पिकअप वैन में सवार होकर घर लौट रहे थे. मारे गए लोग कोन्यक जनजाति से थे.
गोलीबारी की पहली घटना तब हुई जब सेना के जवानों ने शनिवार (4 दिसंबर) शाम को एक पिकअप वैन में घर लौट रहे कोयला खदान कर्मचारियों को प्रतिबंधित संगठन एनएससीएन (के) के युंग आंग गुट से संबंधित उग्रवादी समझ लिया. इस घटना में छह लोग मारे गए थे.
पुलिस के अधिकारियों ने बताया कि जब मजदूर अपने घर नहीं पहुंचे तो स्थानीय युवक और ग्रामीण उनकी तलाश में निकले तथा इन लोगों ने सेना के वाहनों को घेर लिया. इस दौरान हुई धक्का-मुक्की व झड़प में एक सैनिक की मौत हो गई और सेना के वाहनों में आग लगा दी गई. इसके बाद सैनिकों द्वारा आत्मरक्षार्थ की गई गोलीबारी में सात और लोगों की जान चली गई.
पुलिस ने कहा कि दंगा रविवार (पांच दिसंबर) दोपहर तक खिंच गया, जब गुस्साई भीड़ ने यूनियन के कार्यालयों और इलाके में असम राइफल्स के शिविर में तोड़फोड़ की और इसके कुछ हिस्सों में आग लगा दी. सुरक्षा बलों ने हमलावरों पर जवाबी गोलीबारी की, जिसमें कम से कम एक व्यक्ति की मौत हुई.
14 नागरिकों की हत्या के कारण पूर्वोत्तर से सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम, 1958 यानी आफस्पा को वापस लेने की मांग एक बार फिर जोर पकड़ने लगी है.
आम नागरिकों की मौत के मामले में एनएचआरसी ने केंद्र, नगालैंड को नोटिस जारी किया
14 आम नागरिकों की मौत के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने सोमवार को केंद्र और नगालैंड सरकार को नोटिस जारी किया. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.
आयोग ने एक बयान में कहा कि एनएचआरसी ने घटना से संबंधित मीडिया रिपोर्ट का स्वत: संज्ञान लिया है.
बयान के मुताबिक, आयोग ने रक्षा सचिव, केंद्रीय गृह सचिव, नगालैंड के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर छह सप्ताह के भीतर इस मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.
इसके मुताबिक, रिपोर्ट में विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा की जा रही जांच की स्थिति, मृतकों के आश्रितों को उपलब्ध कराई गई राहत, घायलों के उपचार की स्थिति समेत मामले में दर्ज मुकदमों का विवरण मुहैया कराने की उम्मीद की गई है.
नगालैंड ने आम नागरिकों की मौत के विरोध में हॉर्नबिल उत्सव समाप्त किया
नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो के मंत्रिमंडल ने सेना की कार्रवाई में 14 आम नागरिकों की मौत के खिलाफ प्रदर्शन स्वरूप हॉर्नबिल उत्सव को समाप्त करने का मंगलवार को फैसला लिया.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि राज्य सरकार ने सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) कानून रद्द करने की मांग करते हुए केंद्र को पत्र लिखने का भी फैसला किया है.
राज्य का सबसे बड़ा पर्यटन आधारित मनोरंजन कार्यक्रम 10 दिवसीय हॉर्नबिल उत्सव राजधानी के समीप किसामा में नगा हेरिटेज गांव में आयोजित किया गया था. यह उत्सव 10 दिसंबर को खत्म होना था.
राज्य सरकार ने सोमवार को आयोजन स्थल पर उस दिन का कार्यक्रम रद्द कर दिया. पूर्वी नगालैंड और राज्य के अन्य हिस्सों की कई जनजातियों ने मोन जिले में आम नागरिकों की मौत पर सभी गतिविधियों को निलंबित कर दिया.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)