यूनेस्को और यूनिसेफ के सहयोग से विश्व बैंक द्वारा तैयार एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि निम्न और मध्यम आय वाले देशों में पढ़ाई में कमज़ोर बच्चों का हिस्सा 53 प्रतिशत था, जो कोविड-19 महामारी के कारण लंबे समय तक स्कूल बंद होने के चलते 70 प्रतिशत तक पहुंच सकता है.
नई दिल्ली: कोविड-19 के चलते स्कूल बंद होने से छात्रों की मौजूदा पूरी पीढ़ी को खामियाजा भुगतना पड़ेगा. विश्व बैंक का कहना है कि छात्रों की मौजूदा पीढ़ी को आज के हिसाब से 17 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर की कमाई का नुकसान होने का खतरा है. यह वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 14 प्रतिशत हिस्सा है.
यूनेस्को और यूनिसेफ के सहयोग से विश्व बैंक द्वारा तैयार एक नई रिपोर्ट में यह बात कही गई है. रिपोर्ट से पता चलता है कि प्रभाव पहले की तुलना में अधिक गंभीर है और 2020 में जारी 10 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर के अनुमान से कहीं अधिक है.
‘स्टेट ऑफ द ग्लोबल एजुकेशन क्राइसिस: अ पाथ टू रिकवरी’ शीर्षक वाली रिपोर्ट से पता चलता है कि निम्न और मध्यम आय वाले देशों में पढ़ाई में कमजोर बच्चों का हिस्सा 53 प्रतिशत था, जो महामारी के कारण लंबे समय तक स्कूल बंद होने के चलते 70 प्रतिशत तक पहुंच सकता है.
विश्व बैंक के वैश्विक शिक्षा निदेशक जैम सावेद्रा ने कहा, ‘कोविड-19 संकट ने दुनिया भर में शिक्षा प्रणालियों पर विराम लगा दिया. अब 21 महीने बाद भी लाखों बच्चों के लिए स्कूल बंद हैं और अनेक बच्चे ऐसे भी हैं, जो अब कभी स्कूल नहीं लौट सकते. बच्चों की पढ़ाई का नुकसान नैतिक रूप से अस्वीकार्य है.’
उन्होंने कहा, ‘पढ़ाई में कमजोर बच्चों की संख्या में संभावित वृद्धि से इस पीढ़ी के बच्चों और युवाओं की भविष्य की उत्पादकता, कमाई और जीवन पर विनाशकारी प्रभाव पड़ सकता है.’
रिपोर्ट के अनुसार, अनुमान है कि स्कूल बंद होने से पढ़ाई में महत्वपूर्ण नुकसान हुआ है, अब वास्तविक आंकड़ों द्वारा इसकी पुष्टि की जा रही है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, रिपोर्ट में कहा, ‘उदाहरण के लिए ब्राजील, पाकिस्तान, ग्रामीण भारत, दक्षिण अफ्रीका और मैक्सिको के साक्ष्य, गणित और पढ़ने में पर्याप्त नुकसान को दिखाते हैं.’
रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि आज तक सरकारों के प्रोत्साहन पैकेजों के तीन प्रतिशत से भी कम को शिक्षा के लिए आवंटित किया गया है और तत्काल सीखने की स्तर को बढ़ाने के लिए बहुत अधिक धन की आवश्यकता होगी.
रिपोर्ट के अनुसार, ‘20 करोड़ से अधिक शिक्षार्थी निम्न और निम्न-मध्यम आय वाले देशों में रहते हैं, जो स्कूल बंद होने के दौरान दूरस्थ शिक्षा (Remote Learning) को लागू करने के लिए तैयार नहीं हैं. सीखने के नुकसान को रोकने के लिए स्कूलों को फिर से खोलना विश्व स्तर पर सर्वोच्च और तत्कालिक प्राथमिकता होनी चाहिए.’
इसके अनुसार, ‘देशों को यह सुनिश्चित करने के उद्देश्य से सीखने को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रम स्थापित करना चाहिए कि इस पीढ़ी के छात्र पिछली पीढ़ी की कम से कम समान दक्षता प्राप्त कर सकें.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)