पंजाब: किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने पार्टी बनाई, विधानसभा चुनाव में उतरेंगे

संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य और हरियाणा भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने ‘संयुक्त संघर्ष पार्टी’ की घोषणा की है. उनके इस क़दम से एसकेएम में उनके भविष्य पर सवाल उठ रहे हैं क्योंकि मोर्चे के नेता डॉ. दर्शन पाल कह चुके हैं कि राजनीति में जाने वाले किसानों को एसकेएम छोड़ना होगा.

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हरियाणा भारतीय किसान यूनियन के प्रमुख गुरनाम सिंह चढूनी. (फोटो: पीटीआई)

संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य और हरियाणा भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने ‘संयुक्त संघर्ष पार्टी’ की घोषणा की है. उनके इस क़दम से एसकेएम में उनके भविष्य पर सवाल उठ रहे हैं क्योंकि मोर्चे के नेता डॉ. दर्शन पाल कह चुके हैं कि राजनीति में जाने वाले किसानों को एसकेएम छोड़ना होगा.

हरियाणा भारतीय किसान यूनियन के प्रमुख गुरनाम सिंह चढूनी. (फोटो: पीटीआई)

चंडीगढ़: किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने शनिवार को अपनी राजनीतिक पार्टी ‘संयुक्त संघर्ष पार्टी’ बनाने की घोषणा करते हुए कहा कि यह अगले साल होने वाले पंजाब विधानसभा का चुनाव लड़ेगी. उन्होंने राज्य में अफीम की खेती किए जाने की वकालत की.

चढ़ूनी संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के सदस्य हैं, जो 40 किसान संघों का संगठन है. एसकेएम ने केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ एक साल तक चले किसानों के आंदोलन का नेतृत्व किया. बाद में इन कानूनों को निरस्त कर दिया गया.

चढ़ूनी के इस कदम से एसकेएम में उनके भविष्य को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं, जैसा कि द वायर  ने एक रिपोर्ट में बताया था कि  एसकेएम नेता डॉ. दर्शन पाल पहले ही कह चुके हैं कि जो किसान राजनीति में जाना चाहते हैं उन्हें एसकेएम छोड़ देना चाहिए.

चढ़ूनी ने हरियाणा में तीन कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन का नेतृत्व करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

चढ़ूनी ने यहां मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, ‘हम संयुक्त संघर्ष पार्टी बना रहे हैं.’

उन्होंने कहा कि पार्टी अगले साल की शुरुआत में होने वाले पंजाब विधानसभा का चुनाव लड़ेगी. उन्होंने कहा, ‘हमारा उद्देश्य राजनीति में शुचिता तथा अच्छे लोगों को आगे लाना होगा.’ वह हरियाणा भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भी हैं.

राजनीतिक नेताओं की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि वे ‘गरीबों के हितों को नजरअंदाज करते हुए पूंजीपतियों के पक्ष’ में नीतियां बनाते हैं.

एक सवाल के जवाब में चढ़ूनी ने कहा कि वह आगामी पंजाब विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे. एक अन्य सवाल पर उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी राज्य में सभी 117 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की कोशिश करेगी. किसी पार्टी के साथ गठबंधन करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि अभी इस संबंध में फैसला नहीं किया गया है.

उन्होंने राज्य में कृषि क्षेत्र में बदलाव लाने पर जोर ताकि रोजगार के अवसर पैदा हो सके और फूलों के साथ ही अन्य फसलें लगाई जाएं, जिसकी मांग अंतरराष्ट्रीय बाजार में है.

उन्होंने पंजाब में अफीम की खेती शुरू करने की भी वकालत की. उन्होंने कहा, ‘अगर अफीम की खेती की अनुमति मिले तो पंजाब काफी प्रगति कर सकता है.’

‘मिशन पंजाब’ के समर्थक चढ़ूनी राज्य के किसान संगठनों से आगामी चुनाव लड़ने के लिए कहते रहे हैं.

उन्होंने कहा कि राजनीति ‘पूंजीपतियों द्वारा देश पर कब्जा करने’ के लिए जिम्मेदार है और यह एक आदमी के लिए अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करना मुश्किल बना रही है. उन्होंने कहा कि बदलाव लाने की जरूरत है और उन लोगों को बाहर करने की जरूरत है, जो देश को ‘लूट’ रहे हैं.

उन्होंने कहा कि संयुक्त संघर्ष पार्टी धर्मनिरपेक्ष होगी और यह समाज के सभी वर्गों के कल्याण के लिए काम करेगी. उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र का कारोबार बीज बोने से लेकर ग्राहकों के हाथ तक उत्पाद पहुंचाने तक किसानों के हाथ में होना चाहिए.

पंजाब के किसान संगठनों ने विधानसभा चुनाव में हिस्सा नहीं लेने का फैसला किया

इसी बीच पंजाब के 32 किसान संगठनों ने शनिवार को कहा कि वे राज्य के आगामी विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी का समर्थन नहीं करेंगे या चुनाव में भाग नहीं लेंगे.

ये किसान संगठन केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा में शामिल थे.

लुधियाना से करीब 20 किलोमीटर दूर मुल्लांपुर दाखा में एक संयुक्त बैठक में चुनाव में किसी राजनीतिक दल का समर्थन नहीं करने या चुनाव में भाग नहीं लेने फैसला लिया गया.

उन्होंने राजनीतिक संगठन बनाने और पंजाब चुनाव लड़ने के हरियाणा भारतीय किसान यूनियन के नेता गुरनाम सिंह चढूनी के फैसले को व्यक्तिगत फैसला करार दिया.

उन्होंने कहा कि पंजाब के सत्तारूढ़ दल कांग्रेस ने किसानों के सभी प्रकार के कर्जों को माफ करने तथा कृषि कानूनों के विरूद्ध आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज किए गये मामले वापस लेने का वादा किया था लेकिन अबतक सरकार ने कोई शुरुआत नहीं की है, किसान संगठन इन दोनों मांगों से कम स्वीकार नहीं करेंगे.

बैठक में पारित प्रस्ताव में मांग की गई कि कृषि क्षेत्र को दिन के समय बिजली उपलब्ध कराई जाए ताकि किसानों को किसी प्रकार की परेशानी न हो.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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