कर्नाटक: उडुपी के दो अन्य कॉलेजों में हिजाब पहनकर गईं मुस्लिम छात्राओं को रोका गया

बीते जनवरी माह में कर्नाटक में उडुपी ज़िले के एक कॉलेज में मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पहनने का विरोध करने का मामला सामने आने के बाद ऐसी ही दो घटनाएं इसी ज़िले के कुंडापुर में हुई हैं. इन दोनों कॉलेजों में भी हिजाब पहनकर आने वाली छात्राओं को प्रवेश नहीं करने दिया गया है. इस बीच राज्य के गृहमंत्री ने कहा है कि किसी को भी अपने धर्म का पालन करने के लिए विद्यालय नहीं आना चाहिए.

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कर्नाटक के उडुपी जिले के एक कॉलेज के बाहर हिजाब पहने छात्राएं. (फोटो साभार: ट्विटर/@AskAnshul)

बीते जनवरी माह में कर्नाटक में उडुपी ज़िले के एक कॉलेज में मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पहनने का विरोध करने का मामला सामने आने के बाद ऐसी ही दो घटनाएं इसी ज़िले के कुंडापुर में हुई हैं. इन दोनों कॉलेजों में भी हिजाब पहनकर आने वाली छात्राओं को प्रवेश नहीं करने दिया गया है. इस बीच राज्य के गृहमंत्री ने कहा है कि किसी को भी अपने धर्म का पालन करने के लिए विद्यालय नहीं आना चाहिए.

कर्नाटक के उडुपी जिले के एक कॉलेज के बाहर हिजाब पहने छात्राएं. (फोटो साभार: ट्विटर/@AskAnshul)

मंगलुरु/बेंगलुरु/श्रीनगर: कर्नाटक के उडुपी जिले में हिजाब पहनकर कॉलेज जाने वाली मुस्लिम छात्राओं का विरोध बढ़ता ही चला जा रहा है. बीते जनवरी माह में जिले के एक अन्य कॉलेज के विरोध के बाद दो अन्य शैक्षणिक संस्थानों के मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पहनकर कॉलेज में प्रवेश पर रोक लगाने का मामला सामने आया है.

ताजा मामला शुक्रवार सुबह जिले के एक तटीय शहर कुंडापुर में स्थित भंडारकर आर्ट्स एंड साइंस डिग्री कॉलेज का है. इससे एक दिन पहले कुंडापुर के ही एक अन्य कॉलेज में हिजाब पहनकर आईं छात्राओं को प्रवेश करने नहीं दिया गया था.

घटना से संबंधित एक वीडियो में हिजाब पहने लगभग 40 छात्राएं भंडारकर आर्ट्स एंड साइंस डिग्री कॉलेज के गेट पर खड़ी नज़र आ रही हैं, क्योंकि कर्मचारियों ने उन्हें हिजाब पहनकर अंदर जाने से मना कर दिया था.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, 18 से 20 वर्ष के बीच के सभी छात्राओं ने कॉलेज के गेट के बाहर विरोध प्रदर्शन किया और यह जानने की मांग की कि प्रशासन ने हिजाब पर प्रतिबंध क्यों लगाया, जबकि नियम इसकी अनुमति देते हैं.

रिपोर्ट के अनुसार, कॉलेज की एक निर्देश पुस्तिका कहती है, छात्राओं को परिसर के अंदर स्कार्फ पहनने की अनुमति है, हालांकि स्कार्फ का रंग दुपट्टे से मेल खाना चाहिए और किसी भी छात्रा को कॉलेज परिसर के अलावा कैंटीन में कोई अन्य कपड़ा पहनने की अनुमति नहीं है.

लड़कियों के साथ एकजुटता दिखाते हुए तकरीबन 40 मुस्लिम लड़कों ने भी कॉलेज के बाहर विरोध में धरने पर बैठे थे.

एक छात्रा कहती है, ‘हिजाब हमारी जिंदगी का हिस्सा है. हमारे सीनियर्स उसी कॉलेज में हिजाब पहनकर पढ़ते थे. अचानक यह नया नियम कैसे लागू हो गया? हिजाब पहनने से क्या दिक्कत है? कुछ समय पहले तक इसे लेकर कोई समस्या नहीं थी.’

समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, राज्य के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने कहा, ‘वे इससे पहले हिजाब नहीं पहन रही थीं यह समस्या 20 दिन पहले ही शुरू हुई है.’

इससे एक दिन पहले बृहस्पतिवार को उडुपी जिले के कुंडापुर में ही स्थित सरकारी प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज में हिजाब पहनकर आईं मुस्लिम छात्राओं को कॉलेज के प्राचार्य ने गेट पर ही रोक लिया गया था.

प्राचार्य ने छात्रों से कहा कि उन्हें कक्षाओं के अंदर हिजाब पहनने की अनुमति नहीं है और उन्हें हिजाब उतारकर कक्षाओं में जाने को कहा था.

इस दौरान लड़कियों ने शिकायत की कि जूनियर प्री-यूनिवर्सिटी गवर्नमेंट कॉलेज ने भी दो दिन पहले तक कक्षा में हिजाब की अनुमति दी थी.

छात्राओं ने प्राचार्य से बात की और उन्हें बताया कि यथास्थिति के सरकारी आदेश में कुंडापुर कॉलेज का जिक्र नहीं है. प्राचार्य ने उन्हें बताया कि सरकार की ओर से जारी परिपत्र पूरे राज्य में लागू होता है.

कॉलेज में बीते दो फरवरी को उस समय गंभीर स्थिति देखी गई थी, जब कक्षाओं के अंदर छात्राओं के हिजाब पहनने के विरोध में लगभग 100 हिंदू छात्र भगवा चोला पहनकर कक्षाओं में आ गए थे. हालांकि, उन्होंने बृहस्पतिवार को अपना विरोध प्रकट नहीं किया.

कुंडापुर के विधायक एच. श्रीनिवास शेट्टी द्वारा दो फरवरी को मुस्लिम लड़कियों और उनके माता-पिता के साथ बुलाई गई बैठक में कोई सहमति नहीं बन पाई और माता-पिता ने जोर देकर कहा था कि उनके बच्चों को हिजाब पहनने का अधिकार है.

इस बीच, राज्य के मत्स्य पालन मंत्री और उडुपी के जिला प्रभारी एस अंगारा ने उडुपी में संवाददाताओं से कहा कि राज्य सरकार द्वारा कक्षाओं के अंदर हिजाब को प्रतिबंधित करने का आदेश तब तक जारी रहेगा, जब तक कि इस मुद्दे पर अध्ययन करने के लिए नियुक्त समिति अपनी रिपोर्ट नहीं दे देती.

उन्होंने कहा, ‘सभी को शिक्षण संस्थानों में निर्धारित ड्रेस कोड का पालन करना होगा. अलग-अलग संस्थानों में अलग-अलग ड्रेस कोड नहीं हो सकते.’

मालूम हो कि बीते जनवरी महीने से कर्नाटक के उडुपी स्थित गवर्नमेंट गर्ल्स प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज (Government Girls Pre-University College) में हिजाब पहनने की वजह से छह मुस्लिम छात्राओं को कक्षाओं में बैठने नहीं दिया जा रहा था. हालांकि इस विवाद के बीच स्कूल ने उन्हें ऑनलाइन कक्षाओं में शामिल होने का विकल्प दिया गया था.

उसके बाद एक छात्रा ने कर्नाटक उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर करके कक्षा के भीतर हिजाब पहनने का अधिकार दिए जाने का अनुरोध किया था.

याचिका में यह घोषणा करने की मांग की गई है कि हिजाब (सिर पर दुपट्टा) पहनना भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 25 के तहत एक मौलिक अधिकार है और यह इस्लाम की एक अनिवार्य प्रथा है.

कर्नाटक सरकार ने इस मुद्दे को हल करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है. समिति की सिफारिश आने तक सभी लड़कियों को वर्तमान में लागू ड्रेस संबंधी नियमों का पालन करने को कहा गया है.

बताया गया है कि जब तक सरकारी समिति अपनी रिपोर्ट नहीं दे देती, तब तक छात्रों को हिजाब के साथ कक्षाओं में जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी.

किसी को धर्म का पालन करने के लिए विद्यालय नहीं आना चाहिए: कर्नाटक के शिक्षा मंत्री

इस बीच कर्नाटक के गृहमंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने बृहस्पतिवार को कहा कि बच्चों को विद्यालयों में न तो हिजाब पहनना चाहिए और न ही भगवा शॉल ओढ़ना चाहिए. उन्होंने पुलिस से उन धार्मिक संगठनों पर नजर रखने को कहा, जो इस संबंध में देश की एकता को कमजोर करने का प्रयास कर रहे हैं.

ज्ञानेंद्र ने संवाददाताओं से कहा कि किसी को भी अपने धर्म का पालन करने के लिए विद्यालय नहीं आना चाहिए, बल्कि यह एक ऐसी जगह है, जहां सभी विद्यार्थियों को एकत्व बोध से साथ मिलकर शिक्षा ग्रहण करना चाहिए.

ज्ञानेंद्र ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा, ‘विद्यालय ऐसी जगह है जहां सभी धर्मों के बच्चों को साथ मिलकर सीखना चाहिए और इस भावना को आत्मसात करना चाहिए कि हम सभी अलग-अलग नहीं बल्कि भारत माता की संतान हैं.’

उन्होंने कहा कि लोगों के अपने धर्म के पालन एवं प्रार्थना करने के लिए गिरजाघर, मस्जिद और मंदिर जैसे स्थान तो हैं, इसलिए विद्यालय में बच्चों में राष्ट्रीय एकता एवं अखंडता की संस्कृति विकसित करने का अकादमिक माहौल होना चाहिए.

सभी से इस दिशा में सोचने का आह्वान करते हुए मंत्री ने कहा, ‘ऐसे धार्मिक संगठन हैं, जो अन्यथा सोचते हैं, मैंने पुलिस से उन पर नजर रखने को कहा है. जो रुकावट खड़ी करते हैं या देश की एकता को कमजोर करते हैं, उनसे निपटा जाए.’

उन्होंने कहा, ‘सभी को भारत माता की संतान के तौर पर शिक्षा अर्जन के लिए आना चाहिए. किसी को विद्यालय परिसर में न तो हिजाब पहनना चाहिए और न ही भगवा शॉल ओढ़ना चाहिए, उन्हें विद्यालय प्रबंधन समिति द्वारा तय नियमों का अनिवार्य तौर पर पालन करना चाहिए.’

महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला ने हिजाब पहनने से रोकने के क़दम की निंदा की

बहरहाल जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों- महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला ने बृहस्पतिवार को कर्नाटक के एक कॉलेज प्रशासन पर हिजाब पहनने वाली मुस्लिम लड़कियों को प्रवेश करने से रोकने के कदम की निंदा की.

महबूबा मुफ्ती ने केंद्र पर आरोप लगाया कि लड़कियों को शिक्षित करने का उसका नारा खोखला है, क्योंकि मुस्लिम लड़कियों को हिजाब पहनने के लिए शिक्षा से वंचित किया जा रहा है.

उन्होंने ट्वीट किया, ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ एक और खोखला नारा है. मुस्लिम लड़कियों को सिर्फ उनकी पोशाक के कारण शिक्षा के अधिकार से वंचित किया जा रहा है. मुसलमानों के हाशिए पर जाने को वैध बनाना गांधी के भारत को गोडसे के भारत में बदलने की दिशा में एक और कदम है.’

मुस्लिम छात्राओं के लिए ड्रेस कोड संबंधी आदेश पर कटाक्ष करते हुए अब्दुल्ला ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, भाजपा की वरिष्ठ नेता उमा भारती और भोपाल से लोकसभा सदस्य प्रज्ञा ठाकुर की तस्वीरें पोस्ट कीं, जिसमें हिजाब पहने हुए मुस्लिम छात्राओं की भी एक तस्वीर है.

उन्होंने ट्वीट किया, ‘किसी व्यक्ति को क्या पहनना है, इसके चुनाव के लिए वह स्वतंत्र हैं. आप उनकी पसंद को पसंद या नापसंद कर सकते हैं, लेकिन यह हम सभी का अधिकार है. अगर जन प्रतिनिधि भगवा वस्त्र पहन सकते हैं, तो ये लड़कियां भी हिजाब पहन सकती हैं. मुसलमान दोयम दर्जे के नागरिक नहीं हैं.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)