उत्तर-पूर्व के राज्यों में बारिश और बाढ़ के चलते जनजीवन अस्त-व्यस्त

भारत मौसम विभाग के अनुसार, असम और मेघालय में 15 जून को सामान्य से 272 मिमी अधिक बारिश हुई, जिससे व्यापक बाढ़ और भूस्खलन हुआ. असम के 28 जिलों में इस साल 18.95 लाख से अधिक लोग बाढ़ से बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं. बाढ़ और भूस्खलन की घटनाओं में राज्य में अब तक 55 लोगों की मौत हो चुकी है.

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मेघालय के पूर्वी जयंतिया हिल्स जिले के लुमशनोंग क्षेत्र में राष्ट्रीय राजमार्ग-6 का एक हिस्सा भारी बारिश के कारण बह गया. (फोटो: पीटीआई)

भारत मौसम विभाग के अनुसार, असम और मेघालय में 15 जून को सामान्य से 272 मिमी अधिक बारिश हुई, जिससे व्यापक बाढ़ और भूस्खलन हुआ. असम के 28 जिलों में इस साल 18.95 लाख से अधिक लोग बाढ़ से बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं. बाढ़ और भूस्खलन की घटनाओं में राज्य में अब तक 55 लोगों की मौत हो चुकी है.

मेघालय के पूर्वी जयंतिया हिल्स जिले के लुमशनोंग क्षेत्र में राष्ट्रीय राजमार्ग-6 का एक हिस्सा भारी बारिश के कारण बह गया. (फोटो: पीटीआई)

गुवाहाटी: पूर्वोत्तर भारत के विभिन्न हिस्सों में लगातार चार दिन से जारी मूसलाधार बारिश के कारण शुक्रवार को भी बाढ़ की स्थिति गंभीर रही, कई प्रमुख नदियां उफान पर हैं.

असम के होजई जिले में बाढ़ प्रभावित लोगों को ले जा रही एक नौका पलट गई, जिससे उसमें सवार तीन बच्चे लापता हो गए, जबकि 21 अन्य लोगों को बचा लिया गया. अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी.

उन्होंने बताया कि 24 ग्रामीणों का एक समूह शुक्रवार देर रात इस्लामपुर गांव से सुरक्षित स्थान की ओर बढ़ रहा था, तभी रायकोटा इलाके में उनकी नौका पानी में डूबे एक ईंट-भट्टे से टकरा जाने के कारण पलट गई.

होजई के उपायुक्त अनुपम चौधरी ने बताया, ‘राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) के कर्मचारियों ने 21 लोगों को पानी से सुरक्षित बाहर निकाल लिया है, जबकि तीन लापता बच्चों की तलाश के लिए अभियान जारी है.’

उन्होंने लोगों से जोखिम नहीं उठाने और अंधेरे में जलमग्न क्षेत्रों में बाहर नहीं निकलने का आग्रह किया है.

चौधरी ने कहा, ‘अगर लोग सुरक्षित स्थानों पर जाना चाहते हैं तो उन्हें जिला प्रशासन से संपर्क करना चाहिए. हम उन्हें एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की नौकाओं से निकालेंगे.’

कोपिली नदी में आई बाढ़ के कारण बड़े भूभाग में पानी भर गया है और जिले में 55,150 से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं. यह जिला इस साल की शुरुआत में बाढ़ की पहली लहर में भी बुरी तरह स प्रभावित हुआ था. जिले के 47 राहत शिविरों में कुल 29,745 लोगों ने शरण ली है.

असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एएसडीएमए) द्वारा जारी बुलेटिन के अनुसार, शुक्रवार को होजई में एक अन्य घटना में एक व्यक्ति के लापता होने की सूचना है.

सोनितपुर जिले में शुक्रवार को एक नौका के पलट जाने के बाद एक व्यक्ति लापता है. नौका में चार लोग सवार थे, जिनमें से तीन को बचा लिया गया, जबकि लापता व्यक्ति की तलाश जारी है.

असम के 28 जिलों में इस साल 18.95 लाख से अधिक लोग बाढ़ से बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं. बाढ़ और भूस्खलन की घटनाओं में राज्य में अब तक 55 लोगों की मौत हो चुकी है.

पूर्वोत्तर भारत के कई राज्यों में मूसलाधार बारिश और बाढ़ के चलते जनजीवन अस्त व्यस्त

पूर्वोत्तर भारत के विभिन्न हिस्सों में लगातार चार दिन से जारी मूसलाधार बारिश के कारण शुक्रवार को भी बाढ़ की स्थिति गंभीर रही, जिसके चलते कई प्रमुख नदियां उफान पर हैं.

असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एएसडीएमए) के अनुसार बारिश और बाढ़ के कारण राज्य के 25 जिलों में 11 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं.

मेघालय और अरुणाचल प्रदेश में भी हालात कुछ अलग नहीं है, जहां भूस्खलन के चलते सड़कें क्षतिग्रस्त हुई हैं और गावों में पानी भर गया है.

द टेलीग्राफ के मुताबिक, असम और मेघालय में 15 जून को सामान्य से 272 मिमी अधिक बारिश हुई, जिससे व्यापक बाढ़ और भूस्खलन हुआ, जिसमें गुरुवार (16 जून) को दोनों राज्यों में पांच लोगों की जान चली गई.

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने शुक्रवार को कहा कि मेघालय के पूर्वी खासी हिल्स में सोहरा (पूर्व में चेरापूंजी) में शुक्रवार सुबह 8:30 बजे से पिछले 24 घंटों में 972 मिमी बारिश हुई, जो जून के महीने में 1995 के बाद से सबसे अधिक है.

आईएमडी ने कहा कि असम में 192.6 मिमी बारिश हुई, जो पिछले एक सप्ताह में सामान्य से 100 मिमी अधिक है. राज्य में कामरूप समेत 18 जिलों में बाढ़ आई है.

राज्य की राजधानी गुवाहाटी में 15 जून को सुबह 8.30 बजे से 24 घंटे में 46 मिमी बारिश हुई, जो सामान्य से लगभग 198 प्रतिशत अधिक है, जिसके परिणामस्वरूप 40 से अधिक भूस्खलन हुए, जिसमें सोमवार से चार लोगों की जान चली गई.

गुवाहाटी के कई इलाकों और दीमा-हसाओ, गोलपारा, होजई, कामरूप और कामरूप (एम) के कुछ हिस्सों में ताजा भूस्खलन की सूचना मिली है.

अरुणाचल प्रदेश में भी अधिकतम 28 मिमी वर्षा हुई, लेकिन असम और मेघालय जितनी नहीं. इसके विपरीत, नागालैंड (-24 मिमी), त्रिपुरा (-33 मिमी), मणिपुर (-52 मिमी) और मिजोरम (-51 मिमी) में कम वर्षा हुई.

मेघालय और असम में बड़े पैमाने पर भूस्खलन ने अधिकांश क्षेत्रों में सामान्य जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया. मेघालय के पूर्वी खासी हिल्स जिले के लैतलारेम गांव में गुरुवार सुबह भूस्खलन से एक ही परिवार के तीन सदस्य जिंदा दफन हो गए. परिवार के चार अन्य सदस्य घायल हो गए.

गुरुवार को मेघालय के पूर्वी जयंतिया हिल्स जिले के लुमशनोंग पुलिस थाना क्षेत्र के तहत राष्ट्रीय राजमार्ग-6 (एनएच -6) का एक हिस्सा भारी बारिश के कारण बह गया.

एनएच-6 की खाई में गिरी एक कार के ऊपर एक ट्रक की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई.

संगमा ने ट्वीट किया, ‘विभिन्न स्थानों पर हुए भूस्खलन के कारण कुछ क्षेत्रों से संपर्क टूट गया है, विशेष रूप से अन्य पूर्वोत्तर राज्यों के लिए पारगमन सड़कों, डीए और विभागों को इस संबंध में विशेष रूप से प्रभावित क्षेत्रों में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति में तेजी से कार्रवाई करने के लिए कहा गया है.’

एनएच-6 दक्षिण असम में शिलांग को सिलचर से जोड़ता है, जहां से कोई भी त्रिपुरा, मणिपुर और मिजोरम जा सकता है.

यह मार्ग पिछले महीने असम के दीमा हसाओ में रेल संपर्क में आए बाधा से निपटने में लोगों की मदद कर रहा था, जहां गंभीर बाढ़ और भूस्खलन का सामना करना पड़ा था.

लगातार बारिश के कारण दीमा हसाओ में स्थिति एक बार फिर से कमजोर हो गई है, जिससे मरम्मत और बहाली का काम प्रभावित हुआ है.

हालात ने जिला प्रशासन को बुधवार से तीन दिन के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग 27 पर भारी वाहनों की आवाजाही पर रोक लगाने को विवश कर दिया है. एनएच-27 सिलचर से जुड़ा हुआ है और आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति बनाए रखने में मदद कर रहा है.

पूर्वी जयंतिया हिल्स में हुए व्यवधान और क्षति के कारण संगमा ने राज्य भर में स्थिति की समीक्षा के लिए उपायुक्तों के साथ बैठक की.

संगमा ने यह भी बताया कि मंत्रियों की अध्यक्षता में क्षेत्रीय समितियों का गठन किया गया है और सभी जिला प्रशासन और विभागों को अगले महत्वपूर्ण 72 घंटों में स्थिति की निगरानी करने, समन्वय करने और सभी सहायता सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है.

इसी बीच केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने दिन में असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा से बात कर राज्य में बाढ़ और भूस्खलन की स्थिति पर चर्चा की. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी.

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री को मौजूदा स्थिति से अवगत कराया और बताया कि कैसे विभिन्न विभाग प्रभावित क्षेत्रों में लोगों की मदद के लिए चौबीस घंटे काम कर रहे हैं.

असम में कई नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं, जिनमें निमटीघाट व धुबरी में ब्रह्मपुत्र, नागांव में कोपिली, कामरूप में पुथिमारी, नलबाड़ी में पगलादिया, बारपेटा में मानस और बेकी नदी शामिल हैं. केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) द्वारा जारी एक बुलेटिन में यह जानकारी दी गई है.

बोंगाईगांव, डिब्रूगढ़, गोलपारा, कामरूप, कोकराझार, मोरीगांव, नलबाड़ी, सोनितपुर और दक्षिण सलमारा जैसे जिलों से भारी अपरदन की सूचना मिली है.

बाढ़ की मौजूदा स्थिति के चलते 1,702 गांव प्रभावित हुए हैं, जिसके चलते 68 हजार से अधिक लोगों को 150 राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ी है.

इसके अलावा विभिन्न स्थानों पर भोजन और दवा वितरण के लिए 46 राहत केंद्र खोले गए हैं. एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, अग्निशमन और आपातकालीन सेवा के जवान, पुलिस और असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के स्वयंसेवक युद्धस्तर पर प्रभावित क्षेत्रों में निकासी अभियान चला रहे हैं.

प्राधिकरण के अधिकारियों ने बताया कि अब तक 5,840 लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया है.

रिपोर्ट के मुताबिक, असम में बाढ़ की स्थिति को लेकर असम कांग्रेस अध्यक्ष भूपेन कुमार बोरा के नेतृत्व में एक कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने राज्य के राज्यपाल जगदीश मुखी से मुलाकात कर एक ज्ञापन सौंपा और राज्यपाल से गुवाहाटी में बाढ़ से होने वाली समस्याओं को कम करने के लिए तत्काल उपाय करने और पीड़ितों को राहत प्रदान करने का आग्रह किया.

असम कांग्रेस के ज्ञापन में यह भी कहा गया है. ‘पूरा असम बाढ़ की चपेट में है, लेकिन हमने केंद्र सरकार द्वारा घोषित कोई राहत और पुनर्वास पैकेज नहीं देखा है और न ही राज्य सरकार द्वारा कोई पर्याप्त उपाय किए गए हैं.’

इसने आगे कहा, ‘कोई भी केंद्रीय नेतृत्व असम में बाढ़ की स्थिति का आकलन करना और आना महत्वपूर्ण नहीं समझा, जबकि हम चुनाव के समय असम में केंद्रीय नेताओं की कतार देखते हैं. असम के लोगों के साथ इस तरह की लापरवाही बेहद परेशान करने वाली है और एपीसीसी द्वारा इसकी कड़ी निंदा की जाती है.’

पड़ोसी अरुणाचल प्रदेश में, सुबनसिरी नदी के पानी के चलते एक जलविद्युत परियोजना का निर्माणाधीन बांध स्थल जलमग्न हो गया.

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रीय जल विद्युत निगम (एनएचपीसी) के अधिकारियों ने बांध में काम करने वाले श्रमिकों को सुरक्षित स्थान पर जाने के लिए कहा है.

एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि सीमांत राज्य में मूसलाधार बारिश से दो जिलों धेमाजी और लखीमपुर के कई गांव जलमग्न हो गए हैं.

इस बीच, भारी वर्षा के कारण राष्ट्रीय राजमार्ग-6 पर हुए भूस्खलन के बाद बृहस्पतिवार को त्रिपुरा का देश के बाकी हिस्सों से संपर्क टूट गया. त्रिपुरा में मूसलाधार बारिश के कारण पिछले एक महीने में कई ट्रेन सेवाएं भी प्रभावित हुई हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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