हाथरस गैंगरेप और हत्या: पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन को इलाहाबाद हाईकोर्ट का ज़मानत देने से इनकार

5 अक्टूबर 2020 को केरल के पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन और तीन अन्य को हाथरस सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले की रिपोर्टिंग के लिए जाते समय गिरफ़्तार किया गया था. पुलिस का आरोप है कि आरोपी क़ानून-व्यवस्था ख़राब करने के लिए हाथरस जा रहा था. कप्पन पर पीएफआई से जुड़े होने का भी आरोप है.

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पत्रकार सिद्दीकी कप्पन. (फोटो साभार: ट्विटर/@vssanakan)

5 अक्टूबर 2020 को केरल के पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन और तीन अन्य को हाथरस सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले की रिपोर्टिंग के लिए जाते समय गिरफ़्तार किया गया था. पुलिस का आरोप है कि आरोपी क़ानून-व्यवस्था ख़राब करने के लिए हाथरस जा रहा था. कप्पन पर पीएफआई से जुड़े होने का भी आरोप है.

केरल के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन. (फोटो साभार: ट्विटर/@vssanakan)

लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने वर्ष 2020 में हाथरस कांड में कथित षड्यंत्र के आरोप में अवैध गतिविधि निरोधक अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार पत्रकार सिद्दीक कप्पन की जमानत याचिका बृहस्पतिवार को नामंजूर कर दी.

जस्टिस कृष्ण पहल की एक एकल पीठ ने जमानत याचिका खारिज करने का आदेश बृहस्पतिवार को पारित किया. अदालत ने इससे पहले मामले की सुनवाई करते हुए पिछली दो अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था.

अदालत ने जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि पत्रकार और उनके साथियों द्वारा काली कमाई के उपयोग की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.

अदालत ने कहा, ‘इस मामले के तथ्यों और परिस्थितियों, अपराध की प्रकृति, साक्ष्यों और आरोपी के सह-पराध पर विचार करते हुए इस मामले के गुण-दोष पर बगैर कोई टिप्पणी के यह अदालत याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा करने की इच्छुक नहीं है.’

अदालत ने कहा, ‘इस जमानत याचिका में कोई दम नहीं है, इसलिए इसे खारिज किया जाता है. आरोप-पत्र और दस्तावेजों पर नजर डालने पर प्रथमदृष्टया प्रकट होता है कि आवेदक ने अपराध किया है.’

अभियोजन पक्ष की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने पाया कि कप्पन का हाथरस में कोई काम नहीं था. सरकारी तंत्र मीडिया के सभी मंचों पर प्रकाशित की जा रही विभिन्न तरह की सूचना की वजह से वहां मौजूद तनाव को लेकर परेशान था.

कप्पन की जमानत याचिका को मथुरा की एक अदालत ने नामंजूर कर दिया था. उसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

मलयालम समाचार पोर्टल अझीमुखम के संवाददाता और केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स की दिल्ली इकाई के सचिव कप्पन को 5 अक्टूबर 2020 में तीन अन्य लोगों के साथ गिरफ्तार किया गया था.

कप्पन उस वक्त हाथरस जिले में 19 साल की एक दलित लड़की की बलात्कार के बाद अस्पताल में हुई मौत के मामले की रिपोर्टिंग करने के लिए वहां जा रहे थे. उन पर आरोप लगाया गया है कि वह कानून व्यवस्था खराब करने के लिए हाथरस जा रहे थे.

पुलिस का आरोप है कि आरोपी कानून-व्यवस्था खराब करने के लिए हाथरस जा रहा था. उन पर पीएफआई से जुड़े होने का भी आरोप है.

पुलिस ने तब कहा था कि उसने चार लोगों को मथुरा में अतिवादी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के साथ कथित संबंध के आरोप में गिरफ्तार किया और चारों की पहचान केरल के मलप्पुरम के सिद्दीक कप्पन, उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के अतीक-उर-रहमान, बहराइच के मसूद अहमद और रामपुर के मोहम्मद आलम के तौर पर हुई है.

उनके खिलाफ मांट थाने में आईपीसी की धारा 124ए (राजद्रोह), 153ए (दो समूहों के बीच वैमनस्य बढ़ाने), 295ए (धार्मिक भावनाएं आहत करने), यूएपीए की धारा 65, 72 और आईटी एक्ट की धारा 76 के तहत मामला दर्ज किया गया था.

उनकी गिरफ्तारी के दो दिन बाद यूपी पुलिस ने उनके खिलाफ राजद्रोह और यूएपीए के तहत विभिन्न आरोपों में अन्य मामला दर्ज किया था.

यूएपीए के तहत दर्ज मामले में आरोप लगाया गया था कि कप्पन और उनके सह-यात्री हाथरस सामूहिक बलात्कार-हत्या मामले के मद्देनजर सांप्रदायिक दंगे भड़काने और सामाजिक सद्भाव को बाधित करने की कोशिश कर रहे थे. कप्पन न्यायिक हिरासत में है.

बाद में मथुरा की स्थानीय अदालत ने केरल के कप्पन और तीन अन्य लोगों को शांति भंग करने के आरोप से बीते 15 जून को मुक्त कर दिया था, क्योंकि पुलिस इस मामले की जांच तय छह महीने में पूरी नहीं कर पाई. उसके बाद जुलाई 2021 में एक निचली अदालत ने कप्पन की जमानत याचिका खारिज कर दी थी.

गौरतलब है कि 14 सितंबर 2020 को हाथरस जिले के एक गांव में चार लोगों ने 19 साल की एक दलित लड़की से दरिंदगी की थी, उसे गंभीर हालत में दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी.

पीड़िता के शव को जिला प्रशासन ने आधी रात में ही कथित रूप से मिट्टी का तेल डालकर जलवा दिया था. लड़की के परिजन ने आरोप लगाया था कि जिला प्रशासन ने उनकी मर्जी के बगैर पीड़िता का अंतिम संस्कार जबरन करा दिया.

रिपोर्ट के मुताबिक, केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स ने सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कहते हुए कहा कि कप्पन की जमानत याचिका खारिज होना गहरी निराशाजनक है.

उसने बयान में कहा, ‘हम भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष आदेश को चुनौती देने के लिए सभी प्रयास कर रहे हैं. हमें उम्मीद है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट संविधान के भाग 3 के तहत प्रत्येक नागरिक और विशेष रूप से एक पत्रकार को दिए गए भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार में हस्तक्षेप करेगा और इसे बरकरार रखेगा.’

बयान में यह भी आरोप लगाया गया है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के कुछ निष्कर्ष प्रेस काउंसिल अधिनियम 1978 के तहत भारतीय प्रेस परिषद द्वारा जारी पत्रकारिता आचरण के मानदंडों के विपरीत प्रतीत होते हैं.

कप्पन के लंबे समय तक कारावास और उसके दौरान उनके परिवार द्वारा सामना किए गए ट्रायल्स की वैश्विक निंदा हुई है और अक्सर इसे भारत की घटती प्रेस स्वतंत्रता के रूप में देखा गया है.

पिछले साल जेल में रहते हुए कप्पन कोविड-19 से संक्रमित हो गए थे, जिससे उनके स्वास्थ्य में गंभीर गिरावट आई है. सुप्रीम कोर्ट ने तब उत्तर प्रदेश सरकार को उन्हें इलाज के लिए दिल्ली के एक सरकारी अस्पताल में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया था.

केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने भी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ को उनके हस्तक्षेप के लिए पत्र लिखा था.

कप्पन की वकालत करने वाले केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स ने बार-बार आरोप लगाया है कि पत्रकार को अमानवीय परिस्थितियों में जेल में डाला गया है. दिसंबर 2020 में इसने कहा था कि कप्पन को तीन बार पीटा गया और हिरासत के दौरान मानसिक प्रताड़ना दी गई.

न्यायपालिका को अपनी बातों पर अमल करना चाहिए : महबूबा

पत्रकार सिद्दीक कप्पन की जमानत याचिका फिर खारिज होने के बाद पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने बृहस्पतिवार को कहा कि न्यायपालिका को ‘अपनी बातों पर अमल करना’ चाहिए.

मुफ्ती ने ट्वीट किया, ‘प्रधान न्यायाधीश कहते हैं नियम जमानत का है जेल नहीं, तो फिर इसे लागू क्यों नहीं किया जा रहा? हाथरस सामूहिक बलात्कार की रिपोर्टिंग के लिए 22 महीनों से सलाखों के पीछे चल रहे कप्पन की जमानत याचिका एक बार फिर खारिज कर दी गई है. समय आ गया है जब न्यायपालिका अपनी बातों पर अमल करे.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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