एल्गार परिषद: अदालत ने वरवरा राव को मुंबई में ही रहने और मीडिया को बयान न देने का निर्देश दिया

एल्गार परिषद-माओवादी संपर्क मामले के आरोपियों में से एक 83 वर्षीय वरवरा राव को बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने चिकित्सा आधार पर ज़मानत दी थी. अब एनआईए से संबंधित मामलों की सुनवाई कर रही एक विशेष अदालत ने उनकी ज़मानत शर्तें तय की हैं, जिनमें उन्हें अदालत की अनुमति के बिना शहर नहीं छोड़ने के लिए कहा गया है.

वरवरा राव.

एल्गार परिषद-माओवादी संपर्क मामले के आरोपियों में से एक 83 वर्षीय वरवरा राव को बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने चिकित्सा आधार पर ज़मानत दी थी. अब एनआईए से संबंधित मामलों की सुनवाई कर रही एक विशेष अदालत ने उनकी ज़मानत शर्तें तय की हैं, जिनमें उन्हें अदालत की अनुमति के बिना शहर नहीं छोड़ने के लिए कहा गया है.

वरवरा राव.

मुंबई: महाराष्ट्र में मुंबई की एक विशेष अदालत ने एल्गार परिषद-माओवादी संपर्क मामले के आरोपियों में से एक तेलुगू कवि और कार्यकर्ता वरवरा राव को मुंबई में रहने और अदालत की अनुमति के बगैर शहर नहीं छोड़ने का निर्देश दिया है.

ज्ञात हो कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में बीते 10 अगस्त को राव को चिकित्सा आधार पर जमानत दी थी.

फरवरी 2021 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने वरवरा राव को छह महीने के लिए अंतरिम जमानत दे दी थी. इसके बाद से इसे समय-समय पर बढ़ाया जाता रहा. अप्रैल 2022 में हाईकोर्ट ने स्थायी जमानत के लिए उनकी याचिका को खारिज कर दिया और उन्हें तीन महीने के भीतर आत्मसमर्पण करने को कहा था. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने राव को जमानत देते हुए आत्मसमर्पण करने की शर्त हटा दी थी.

अदालत ने राव को मुंबई स्थित अपने आवास पर लोगों को एकत्र करने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है. इसके साथ ही अदालत ने उनसे किसी भी आपराधिक गतिविधि में शामिल नहीं होने और मामले के किसी भी सह-आरोपी से संपर्क नहीं करने को कहा है.

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से संबंधित मामलों की सुनवाई कर रही विशेष अदालत ने हाल में राव की जमानत की शर्तें तय की थीं, जिनका विवरण शनिवार को उपलब्ध कराया गया.

विशेष न्यायाधीश राजेश कटारिया द्वारा राव के लिए निर्धारित शर्तों में से एक यह है कि वह ग्रेटर मुंबई के क्षेत्र में निवास करेंगे और एनआईए अदालत की अनुमति के बिना शहर नहीं छोड़ेंगे.

अदालत ने कहा कि उन्हें मुंबई में स्थित अपने निवास का विस्तृत पता और अपना संपर्क नंबर देना होगा. इसके अलावा उन्हें अपने तीन करीबी रिश्तेदारों और उनके साथ रहने वाले व्यक्तियों के भी संपर्क नंबर बताने होंगे.

अदालत ने इस दौरान आरोपी को इस मामले के संबंध में मीडिया को कोई बयान नहीं देने का निर्देश दिया, चाहे वह प्रिंट मीडिया हो, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया हो अथवा सोशल मीडिया.

उन्हें तीन महीने में एक बार निकटतम पुलिस स्टेशन में शारीरिक रूप से और एक पखवाड़े में वीडियो कॉल के माध्यम से रिपोर्ट करने का भी निर्देश दिया गया है. अदालत ने उन्हें निर्देश दिया गया है कि वे मामले के मामले के किसी सह-आरोपी या इसी तरह की गतिविधियों में शामिल किसी अन्य व्यक्ति से संपर्क या संवाद न करें.

अदालत ने कहा कि आरोपी व्यक्तिगत रूप से या किसी अन्य व्यक्ति के माध्यम से अभियोजन पक्ष के गवाहों को किसी प्रकार से प्रभावित नहीं करेगा.

अदालत ने आरोपी को 50,000 रुपये का एक बांड और इतनी ही राशि का मुचलका भरने को भी कहा है.

गौरतलब है कि राव को 28 अगस्त 2018 को हैदराबाद से गिरफ्तार किया गया था.

यह मामला 31 दिसंबर 2017 में पुणे में आयोजित एल्गार परिषद के कार्यक्रम में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने से जुड़ा है. पुणे पुलिस का दावा है कि इस भाषण की वजह से अगले दिन कोरेगांव-भीमा में हिंसा फैली और इस कार्यक्रम का आयोजन करने वाले लोगों के माओवादियों से संबंध हैं.

मामले की जांच बाद में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) को सौंप दी गई थी.

एनआईए ने भी आरोप लगाया है कि एल्गार परिषद का आयोजन राज्य भर में दलित और अन्य वर्गों की सांप्रदायिक भावना को भड़काने और उन्हें जाति के नाम पर उकसाकर भीमा-कोरेगांव सहित पुणे जिले के विभिन्न स्थानों और महाराष्ट्र राज्य में हिंसा, अस्थिरता और अराजकता पैदा करने के लिए आयोजित किया गया था.

मामले के 16 आरोपियों में से केवल एक अन्य आरोपी वकील और अधिकार कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज फिलहाल जमानत पर बाहर हैं. 13 अन्य अभी भी महाराष्ट्र की जेलों में बंद हैं.

आरोपियों में शामिल फादर स्टेन स्वामी की पांच जुलाई 2021 को अस्पताल में उस समय मौत हो गई थी, जब वह चिकित्सा के आधार पर जमानत का इंतजार कर रहे थे.

एनआईए ने अपने मसौदा आरोपों में आरोपियों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के विभिन्न प्रावधानों के तहत आरोप लगाए जाने का अनुरोध किया है. अदालत ने अभी इस मामले में आरोप तय नहीं किए हैं. आरोप तय होने के बाद ही सुनवाई शुरू होगी.

मालूम हो कि 2018 में शुरू हुए एल्गार परिषद मामले की जांच में कई मोड़ आ चुके हैं, जहां हर चार्जशीट में नए-नए दावे किए गए. मामले की शुरुआत हुई इस दावे से कि ‘अर्बन नक्सल’ का समूह ‘राजीव गांधी की हत्या’ की तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की योजना बना रहा है.

यह विस्फोटक दावा पुणे पुलिस ने किया था, जिसके फौरन बाद 6 जून 2018 को पांच लोगों- रोना विल्सन, सुरेंद्र गाडलिंग, कार्यकर्ता सुधीर धावले, महेश राउत और शिक्षाविद शोमा सेन को गिरफ्तार किया गया था.

इसके बाद अगस्त 2018 को महाराष्ट्र की पुणे पुलिस ने माओवादियों से कथित संबंधों को लेकर पांच कार्यकर्ताओं- कवि वरवरा राव, अधिवक्ता सुधा भारद्वाज, सामाजिक कार्यकर्ता अरुण फरेरा, गौतम नवलखा और वर्णन गोंजाल्विस को गिरफ्तार किया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq bandarqq dominoqq pkv games slot pulsa pkv games pkv games bandarqq bandarqq dominoqq dominoqq bandarqq pkv games dominoqq