महाराष्ट्र: किसान ने आत्महत्या की, ख़त में प्रधानमंत्री मोदी को ज़िम्मेदार ठहराया

घटना पुणे की है, जहां जुन्नर तालुका के 45 वर्षीय किसान दशरथ लक्ष्मण केदारी ने सुसाइड नोट में किसानों की दुर्दशा की अनदेखी के लिए महाराष्ट्र सरकार और केंद्र को ज़िम्मेदार ठहराया है. नोट में केदारी ने फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य न मिलने और लोन रिकवरी एजेंटों द्वारा प्रताड़ित किए जाने की बात भी लिखी है.

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(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

घटना पुणे की है, जहां जुन्नर तालुका के 45 वर्षीय किसान दशरथ लक्ष्मण केदारी ने सुसाइड नोट में किसानों की दुर्दशा की अनदेखी के लिए महाराष्ट्र सरकार और केंद्र को ज़िम्मेदार ठहराया है. नोट में केदारी ने फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य न मिलने और लोन रिकवरी एजेंटों द्वारा प्रताड़ित किए जाने की बात भी लिखी है.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: पुणे के एक किसान ने आत्महत्या करने से पहले लिखे एक नोट में अपने इस कदम के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार ठहराया है.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, मृतक की पहचान 45 वर्ष के दशरथ लक्ष्मण केदारी के तौर पर हुई है, जो जुन्नर तालुका के वड़गाव आनंद नाम के गांव के रहने वाले थे.

पुलिस ने बताया कि एक चिट्ठी में उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को उनके जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं और उसके बाद एक तालाब में कूदकर जान दे दी.

अधिकारियों ने बताया कि उन्हें प्राप्त हुए सुसाइड नोट में केदारी ने फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) न मिलने और लोन रिकवरी एजेंटों द्वारा प्रताड़ित किए जाने की बात लिखी है.

केदारी ने अपने नोट में किसानों की दुर्दशा की अनदेखी के लिए महाराष्ट्र सरकार और केंद्र सरकार को भी जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कोरोनो वायरस महामारी और भारी बारिश के कारण हुए नुकसान के कारण किसानों की खराब स्थिति का उल्लेख किया है. उन्होंने कोई कदम न उठाने के लिएप्रधानमंत्री मोदी को भी जिम्मेदार ठहराया और एमएसपी की मांग की.

हाथ से लिखे नोट में केदारी ने लिखा, ‘हमारे पास पैसे नहीं हैं, साहूकार इंतजार करने को तैयार नहीं हैं. क्या करें? हम प्याज को बाजार तक ले जाने का खर्च भी नहीं उठा सकते. आप बस अपने बारे में सोच रहे हैं मोदी साहेब. आपको फसल के लिए गारंटीकृत दाम देना होगा. आप खेती को संभाल नहीं पा रहे हैं. किसानों को क्या करना चाहिए? फाइनेंस वाले धमकाते हैं, पटपेढ़ी (सहकारी समिति) के अधिकारी गाली-गलौज करते हैं. इंसाफ के लिए हम किसके पास जाएं?… आज आपके कुछ न करने के चलते मैं आत्महत्या करने को मजबूर हूं. कृपया हमें फसलों की कीमत दें, जो हमारा अधिकार है.’

उनकी मौत की सूचना मिलने के बाद पुणे ग्रामीण पुलिस की टीम मौके पर पहुंची और केदारी के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया. इस बीच, स्थानीय तहसीलदार और अन्य सरकारी अधिकारियों ने उनकी मृत्यु के बाद केदारी के घर का दौरा किया.

इसे लेकर अलेफाटा थाने में दुर्घटनावश मृत्यु (एक्सीडेंटल डेथ) का मामला दर्ज किया गया है और केदारी की मौत के पीछे के कारणों की पुष्टि के लिए जांच शुरू की गई है.

पुलिस ने बताया कि केदारी के परिवार में उनकी मां, पत्नी और दो बच्चे हैं. उनका अंतिम संस्कार रविवार रात कर दिया गया.

पत्रिका के अनुसार, दशरथ के पास एक एकड़ खेत और एक दोपहिया वाहन था. उन्होंने ढाई लाख रुपये का कर्जलेकर बीते मई महीने में प्याज की फसल काटी थी. तब इसका दाम करीब 10 रुपये थे इसलिए उन्होंने प्याज बेचने की जगह इसे बेचने के बजाय भंडारण किया, जिसके लिए भी कुछ रकम चुकानी पड़ी.

लेकिन बाद में भी दाम नहीं बढ़ा और इस दौरान बारिश में आधा प्याज खराब हो गया. इसके बाद उन्होंने फिर से उसी खेत में टमाटर और सोयाबीन लगाए. लेकिन पहली बारिश में टमाटर खराब हो गए और बीते पिछले हफ्ते की बारिश में सोयाबीन की फसल भी खराब हो गई.

रिपोर्ट के अनुसार, दशरथ 17 सितंबर को मुआवजे के लिए इस फसल का पंचनामा कराने सरकारी कार्यालय गए थे, जहां कुछ घंटे बैठे रहने के बाद भी फसल का पंचनामा नहीं हो सका. इसके बाद उन्होंने दोपहर में जहर खा लिया और फिर खेत के तालाब में कूदकर जान दे दी.

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