एल्गार परिषद मामला: वरवरा राव की आंखों की सर्जरी के लिए यात्रा संबंधी अर्ज़ी खारिज़

एल्गार परिषद मामले के आरोपियों में से एक 83 वर्षीय वरवरा राव ने विशेष एनआईए अदालत से मोतियाबिंद की सर्जरी के लिए हैदराबाद जाने देने की अनुमति मांगी थी. अगस्त में उन्हें मिली स्थायी ज़मानत की शर्तों के अनुसार, वे कोर्ट की इजाज़त के बिना मुंबई से बाहर नहीं जा सकते हैं. 

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वरवरा राव.

एल्गार परिषद मामले के आरोपियों में से एक 83 वर्षीय वरवरा राव ने विशेष एनआईए अदालत से मोतियाबिंद की सर्जरी के लिए हैदराबाद जाने देने की अनुमति मांगी थी. अगस्त में उन्हें मिली स्थायी ज़मानत की शर्तों के अनुसार, वे कोर्ट की इजाज़त के बिना मुंबई से बाहर नहीं जा सकते हैं.

वरवरा राव.

मुंबई: मुंबई में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की एक विशेष अदालत ने एल्गार परिषद मामले में आरोपी एवं नागरिक अधिकार सक्रियतावादी वरवरा राव को मोतियाबिंद की सर्जरी के लिए हैदराबाद जाने की अनुमति देने का अनुरोध करने वाली उनकी अर्जी शुक्रवार को खारिज कर दी.

उच्चतम न्यायालय ने अगस्त में कहा था कि राव (82) को मामले को लेकर एनआईए की विशेष अदालत द्वारा निर्धारित की जाने वाली शर्तों के आधार पर इलाज कराने के लिए जमानत दी जाए.

राव के लिए निर्धारित की गई जमानत की शर्तों में यह शामिल था कि वह वृहत मुंबई क्षेत्र के अंदर ही रहेंगे और एनआईए अदालत की अनुमति के बगैर शहर से बाहर नहीं जाएंगे.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, विशेष लोक अभियोजक प्रकाश शेट्टी ने राव की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि मुंबई में सर्वोत्तम चिकित्सा उपचार उपलब्ध है और उनकी जमानत की शर्तों को देखते हुए उन्हें शहर छोड़ने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.

शुक्रवार को राव ने मोतियाबिंद की सर्जरी के वास्ते तीन महीने के लिए हैदराबाद जाने देने की अदालत से अनुमति मांगी. उनकी अर्जी के मुताबिक, मोतियाबिंद के कारण उनकी दोनों आंखों की सर्जरी किए जाने की जरूरत है.

राव की याचिका में कहा गया था कि उन्हें मोतियाबिंद के ऑपरेशन की सलाह दी गई है. अगर हैदराबाद में उसकी सर्जरी होती है, तो यह तेलंगाना राज्य सरकार के एक पेंशनभोगी के रूप में मुफ्त में होगी, जहां वे एक कॉलेज में प्रोफेसर थे.

अदालत को आगे बताया गया कि राव की बेटी एक नेत्र रोग विशेषज्ञ हैं और पोती एक डॉक्टर है इसलिए हैदराबाद में उन्हें सर्जरी के बाद चिकित्सा देखभाल का लाभ मिलेगा. इसके साथ ही मुंबई में एक सर्जरी में उन्हें 60,000 रुपये से दो लाख रुपये के बीच खर्च करना पड़ सकता है, जिसमें अस्पताल में भर्ती होने और चिकित्सा खर्च शामिल हैं.

हालांकि, विशेष न्यायाधीश आरएन रोकड़े ने अर्जी खारिज कर दी.

बता दें कि राव को 28 अगस्त, 2018 को उनके हैदराबाद स्थित आवास से गिरफ्तार किया गया था और वे उस मामले में विचाराधीन कैदी है, जिसे लेकर लिए पुणे पुलिस ने 8 जनवरी, 2018 को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की विभिन्न धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की थी.

फरवरी 2021 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने वरवरा राव को चिकित्सा आधार पर अंतरिम जमानत दे दी और उन्हें 6 मार्च, 2021 को जेल से रिहा कर दिया गया था.

बीते 10 अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने वरवर राव को मेडिकल आधार पर स्थायी जमानत दे दी थी.

इस बीच, एक अन्य आरोपी महेश राउत ने इलाज के लिए एक अर्जी दायर की है. अदालत ने जेल अधीक्षक को आवश्यक मेडिकल मदद मुहैया करने की जरूरत पड़ने पर आरोपी को सरकारी अस्पताल भेजने का निर्देश दिया.

अदालत को आरोपी सागर गोरखे के दुर्व्यवहार के बारे में नवी मुंबई स्थित तलोजा केंद्रीय कारागार से एक पत्र भी मिला है.

गौरतलब है कि यह मामला 31 दिसंबर 2017 में पुणे में आयोजित एल्गार परिषद के कार्यक्रम में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने से जुड़ा है. पुणे पुलिस का दावा है कि इस भाषण की वजह से अगले दिन कोरेगांव-भीमा में हिंसा फैली और इस कार्यक्रम का आयोजन करने वाले लोगों के माओवादियों से संबंध हैं.

मामले की जांच बाद में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) को सौंप दी गई थी. मामले के 16 आरोपियों में से दो आरोपी- वकील और अधिकार कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज और तेलुगु कवि वरवरा राव फिलहाल जमानत पर बाहर हैं.

एक अन्य आरोपी फादर स्टेन स्वामी की पिछले साल पांच जुलाई को अस्पताल में उस समय मौत हो गई थी, जब वह चिकित्सा के आधार पर जमानत का इंतजार कर रहे थे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)