गुजरात के 33 ज़िलों की 182 विधानसभा सीटों पर एक दिसंबर और पांच दिसंबर को दो चरणों में चुनाव संपन्न हुए थे. गुजरात में परंपरागत रूप से भाजपा और कांग्रेस के बीच मुकाबला रहा है. हालांकि, इस बार आम आदमी पार्टी के चुनाव मैदान में उतरने से राज्य में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिला.
अहमदाबाद: गुजरात के 33 जिलों की 182 विधानसभा सीटों पर दो चरणों में एक दिसंबर और पांच दिसंबर को संपन्न हुए विधानसभा चुनावों की मतगणना कुछ ही देर में सुबह आठ बजे शुरू होगी.
एक अधिकारी ने बताया कि 37 मतगणना केंद्रों पर वोटों की गिनती होगी. गुजरात में परंपरागत रूप से भाजपा और कांग्रेस के बीच मुकाबला रहा है. हालांकि, इस बार आम आदमी पार्टी (आप) के चुनाव मैदान में उतरने से राज्य में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिला. वर्तमान में राज्य में भाजपा की सरकार है. सत्तारूढ़ भाजपा राज्य में लगातार सातवीं जीत को लेकर उत्साहित है.
चुनाव बाद के सर्वेक्षणों में गुजरात में भाजपा के लगातार सातवीं बार सरकार बनाने का अनुमान जताया गया है. सत्तारूढ़ दल के 117 से 151 सीटों पर जीत दर्ज करने की संभावना जताई गई है, जबकि कांग्रेस को 16 से 51 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है. वहीं, ‘आप’ को दो से 13 सीटें मिल सकती हैं. गुजरात में बहुमत के लिए 92 सीटों पर जीत जरूरी है.
गुजरात में इस साल 66.31 फीसदी मतदान दर्ज किया गया था, जो 2017 के विधानसभा चुनावों में पड़े 71.28 प्रतिशत वोटों से कम है. कम मतदान प्रतिशत ने भाजपा को चिंता में डाल दिया है और दूसरे चरण में पार्टी ने मतदान के आंकड़ों को बढ़ाने के लिए भरसक प्रयास किए.
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल, ‘आप’ के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार इसुदान गढ़वी, युवा नेता हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवाणी और अल्पेश ठाकोर समेत कुल 1,621 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला होना है. गुजरात चुनाव में कुल 70 राजनीतिक दलों और 624 निर्दलीय उम्मीदवारों ने भाग्य आजमाया है.
एग्जिट पोल के पूर्वानुमान अगर सच होते हैं तो पार्टी लगातार सातवीं बार राज्य में सत्ता बरकरार रखने और पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चे के कारनामे के बराबर उपलब्धि हासिल करती नजर आएगी.
भाजपा के लिए यहां बड़ी जीत 2024 में प्रधानमंत्री के रूप में लगातार तीसरी बार नरेंद्र मोदी की दावेदारी को मजबूत करेगी.
एक पर्यवेक्षक ने कहा कि भाजपा के लिए मुख्य चुनौती के रूप में कांग्रेस की भूमिका दांव पर है और नतीजों से पता चलेगा कि क्या पार्टी के ‘मूक अभियान’ ने लोगों को प्रभावित किया है. पार्टी के शीर्ष नेता भारत जोड़ो यात्रा में व्यस्त थे.
आक्रामक प्रचार अभियान चलाने वाली आम आदमी पार्टी (आप) के लिए गुजरात चुनाव खुद को राष्ट्रीय पार्टी के रूप में स्थापित करने और राष्ट्रीय स्तर पर भी भाजपा को चुनौती देने का एक मौका है.
दिल्ली नगर निकाय चुनाव में जीत से उत्साहित आप को उम्मीद है कि उसकी कल्याणकारी राजनीति को गुजरात के लोग स्वीकार करेंगे.
भाजपा ने राज्य में 27 साल के शासन के बाद सत्ता विरोधी भावनाओं से जूझते हुए हाल के चुनाव लड़े. प्रधानमंत्री मोदी पार्टी के ‘तुरुप का इक्का’ थे और सत्तारूढ़ दल ने सत्ता विरोधी लहर के मुकाबले के लिए ‘ब्रांड मोदी’ पर भरोसा किया.
चुनावों में प्रमुख मुद्दों में बेरोजगारी, मूल्य वृद्धि, राज्य के कुछ हिस्सों में पानी नहीं पहुंचना, बड़ी परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण और किसानों को अत्यधिक बारिश के कारण फसल क्षति का उचित मुआवजा नहीं मिलना था.
प्रधानमंत्री मोदी ने राज्य में लगभग 30 रैलियों और रोड शो को संबोधित करते हुए भाजपा के चुनाव अभियान का नेतृत्व किया. केंद्रीय मंत्री अमित शाह लगभग दो महीने से राज्य में थे और भाजपा के लिए अभियान व चुनावी रणनीति का सूक्ष्म प्रबंधन कर रहे थे.
पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा, योगी आदित्यनाथ, शिवराज सिंह चौहान, हिमंता विश्व शर्मा और प्रमोद सावंत सहित भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भी राज्य में चुनावी रैलियों को संबोधित किया. भाजपा के लगभग सभी केंद्रीय मंत्रियों ने राज्य में प्रचार किया.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपनी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ से समय निकालकर गुजरात में दो रैलियां कीं थीं. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य में पार्टी के प्रचार अभियान की कमान संभाली. पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी चुनावी रैलियों को संबोधित किया.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आप के लिए एक आक्रामक अभियान का नेतृत्व किया. उन्होंने पिछले पांच महीनों में कई रैलियों को संबोधित किया और रोड शो किए.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)