अडानी मामले पर जेपीसी गठित हो या फिर सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच कराई जाए: विपक्ष

कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दलों ने अडानी एंटरप्राइजेज मामले पर संसद के दोनों सदनों में चर्चा की मांग की. इन दलों की ओर से कहा गया कि अडानी मुद्दे पर मोदी सरकार स्पष्ट रूप से घिरी हुई है. वह संसद में इस मामले का ज़िक्र भी नहीं होने देना चाहती है. यही कारण है कि विपक्ष द्वारा इस महाघोटाले को लेकर जेपीसी गठन की मांग रखने का मौका दिए बिना बृहस्पतिवार दोपहर 2 बजे के बाद दोनों सदनों को स्थगित कर दिया गया.

नरेंद्र मोदी और गौतम अडानी. (फोटो: पीटीआई/फेसबुक)

कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दलों ने अडानी एंटरप्राइजेज मामले पर संसद के दोनों सदनों में चर्चा की मांग की. इन दलों की ओर से कहा गया कि अडानी मुद्दे पर मोदी सरकार स्पष्ट रूप से घिरी हुई है. वह संसद में इस मामले का ज़िक्र भी नहीं होने देना चाहती है. यही कारण है कि विपक्ष द्वारा इस महाघोटाले को लेकर जेपीसी गठन की मांग रखने का मौका दिए बिना बृहस्पतिवार दोपहर 2 बजे के बाद दोनों सदनों को स्थगित कर दिया गया.

नरेंद्र मोदी और गौतम अडानी. (फोटो: पीटीआई/फेसबुक)

नई दिल्ली: कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दलों ने बृहस्पतिवार को अडानी एंटरप्राइजेज मामले पर संसद के दोनों सदनों में चर्चा की मांग की और यह आग्रह भी किया कि इस प्रकरण की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठित की जाए या फिर सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में इसकी जांच हो.

मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने यह भी कहा कि सार्वजनिक बैंकों और भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के अडानी समूह में निवेश तथा निवेशकों के हितों की सुरक्षा को लेकर संसद में विस्तृत चर्चा होनी चाहिए.

अडानी सहित विभिन्न मुद्दों पर हंगामे के कारण लोकसभा और राज्यसभा की बैठक स्थगित होने के बाद राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने संवाददाताओं से कहा, ‘हम यह कहना चाहते हैं कि सरकार क्यों दबाव बनाकर ऐसी कंपनियों को कर्ज दिलवा रही है?’

उन्होंने कहा, ‘लोगों के हितों और एलआईसी, एसबीआई के निवेश को ध्यान में रखते हुए हम चर्चा की मांग कर रहे हैं. हमारी मांग है कि जेपीसी गठित करके या सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश के नेतृत्व में इसकी जांच हो.’

कई विपक्षी नेताओं की मौजूदगी में खड़गे ने कहा, ‘जांच होने पर प्रतिदिन रिपोर्ट जनता के समक्ष रखी जाए, ताकि पारदर्शिता रहे और लोगों को विश्वास रहे कि उनका पैसा बचा है.’

इससे पहले इस विषय पर विपक्षी दलों के हंगामे के कारण संसद के दोनों की कार्यवाही बाधित हुई.

एक ट्वीट में उन्होंने कहा, करोड़ों लोगों का पैसा एलआईसी और राष्ट्रीय बैंकों में लगा है. क्यों सरकार ऐसी कंपनियों में सरकारी संस्थानों को निवेश या कर्ज देने को मजबूर करती है, जिनका हिंडनबर्ग रिपोर्ट में खुलासा किया है? हमारी मांग है कि संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन किया जाना चाहिए या सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के देख-रेख में एक निष्पक्ष जांच हो, जिसकी रिपोर्ट दिन-प्रतिदिन सार्वजनिक हो.

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट किया, ‘संसद के दोनों सदनों को आज दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया, क्योंकि सरकार एलआईसी, एसबीआई और अन्य सार्वजनिक संस्थानों द्वारा दबाव में किए गए निवेश की जांच के लिए संयुक्त विपक्ष की मांग पर सहमत नहीं हुई.’

उन्होंने दावा किया कि ऐसे निवेश के मूल्यों में कमी के कारण आज करोड़ों भारतीयों की बचत खतरे में है.

एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा, ‘अडानी मुद्दे पर मोदी सरकार स्पष्ट रूप से घिरी हुई है. वह संसद में इस मामले का जिक्र भी नहीं होने देना चाहती है. यही कारण है कि विपक्ष द्वारा इस महाघोटाले को लेकर जेपीसी गठन की मांग रखने का मौका दिए बिना दोपहर 2 बजे के बाद कुछ मिनटों के भीतर ही दोनों सदनों को स्थगित कर दिया गया.’

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने अडानी समूह पर कटाक्ष करते हुए ट्वीट किया, ‘अडानी का नैतिक रूप से सही होने की बात कहना वैसे ही है जैसे उनके प्रधान मेंटर द्वारा विनम्रता, सादगी और विशाल हृदयता के सद्गुणों का उपदेश देना. यह ‘एंटायर पॉलिटिकल साइंस’ है.’

कांग्रेस के मीडिया एवं प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने संवाददाताओं से बातचीत में दावा किया, ‘मोदी जी, बहुत मेहनत करके जो गुब्बारा फुलाया, उसकी हवा निकल गई. सारे नियम कानून ताक पर रखकर मोदी जी ने एक आदमी पाल-पोसकर बड़ा किया. यह मोदी जी और अडानी जी के बीच का मामला होता तो हमें क्या आपत्ति थी. यह मामला हर भारतवासी की खून-पसीने की कमाई से जुड़ गया है. यह मामला सबकी जेब तक पहुंच गया.’

खेड़ा का कहना था कि उन 45 करोड़ भारतीय नागरिकों के निवेश की सुरक्षा का सवाल है जिन्होंने एलआईसी में पैसा लगाया है. उन्होंने कहा, ‘अडानी जी के ‘प्राइम मेंटर’ अब चुप हैं. मोदी कुछ बोल नहीं रहे हैं. मोदी जी आप एलआईसी के 45 करोड़ खाताधारकों को धोखा तो नहीं कर रहे हैं.’

उन्होंने कहा, ‘अडानी जी के ‘प्राइम मेंटर’ हैं पीएम मोदी. वो अभी एकदम चुप हैं. मोदी जी आप अपने ‘परम मित्र’ को धोखा देते हैं या नहीं, वो आप जानिए, पर भारत के निवेशकों, एलआईसी के पॉलिसी होल्डर्स और एसबीआई के खाता धारकों को धोखा मत दीजिए. आपकी चुप्पी बताती है कि आप धोखा दे रहे हैं.’

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘हमारी तीन मांगें हैं. सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश की देखरेख में इस मामले की जांच हो जिसकी रिपोर्ट प्रतिदिन सार्वजनिक की जाए. इस प्रकरण को लेकर जेपीसी का गठन हो. सार्वजनिक बैंकों और एलआईसी के अडानी समूह में निवेश तथा निवेशकों के हितों की सुरक्षा को लेकर संसद में विस्तृत चर्चा होनी चाहिए.’

इससे पहले बृहस्पतिवार सुबह खड़गे के संसद भवन स्थित कक्ष में हुई बैठक में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश, तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय एवं डेरेक ओ’ब्रायन, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह, द्रमुक की कनिमोई, समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव, शिवसेना (उद्धव ठाकरे) के संजय राउत और कुछ अन्य दलों के नेता मौजूद थे.

विपक्षी दलों ने फैसला किया है कि वे दोनों सदनों में अडानी एंटरप्राइजेज से जुड़ा मुद्दा उठाएंगे और इस पर चर्चा की मांग करेंगे.

खड़गे ने अडानी एंटरप्राइजेज का प्रत्यक्ष उल्लेख किए बिना राज्यसभा में नियम 267 के तहत कार्यस्थगन का नोटिस दिया था. नोटिस में मांग की गई थी कि बाजार में पूंजी गंवाती कंपनियों में भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी), सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और वित्तीय संस्थाओं के निवेश के मुद्दे पर चर्चा कराई जाए.

लोकसभा में कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने भी कार्यस्थगन का नोटिस देकर अडानी एंटरप्राइजेज के मुद्दे पर चर्चा की मांग की.

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने ट्वीट कर कहा कि अडानी प्रकरण पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन होना चाहिए.

गौरतलब है कि अडानी एंटरप्राइजेज ने बुधवार को अपने 20 हजार करोड़ रुपये के फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (एफपीओ) को वापस लेने और निवेशकों का पैसा लौटाने की घोषणा की. हालांकि, कंपनी के एफपीओ को मंगलवार को पूर्ण अभिदान मिल गया था. समझा जाता है कि अडानी एंटरप्राइजेज ने यह कदम अमेरिकी निवेश अनुसंधान फर्म हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद उठाया है. इस कारोबारी समूह ने रिपोर्ट को निराधार बताया था.

मालूम हो कि अमेरिकी निवेश अनुसंधान फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह पर धोखाधड़ी के आरोप लगाए थे, जिसके बाद समूह की कंपनियों के शेयरों में पिछले कुछ दिन में भारी गिरावट आई है. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि दो साल की जांच में पता चला है कि अडानी समूह दशकों से  ‘स्टॉक हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी’ में शामिल रहा है.

रिपोर्ट सामने आने के बाद अडानी समूह ने बीते 26 जनवरी को कहा था कि वह अपनी प्रमुख कंपनी के शेयर बिक्री को नुकसान पहुंचाने के प्रयास के तहत ‘बिना सोचे-विचारे’ काम करने के लिए हिंडनबर्ग रिसर्च के खिलाफ ‘दंडात्मक कार्रवाई’ को लेकर कानूनी विकल्पों पर गौर कर रहा है.

इसके जवाब में हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा था कि वह अपनी रिपोर्ट पर पूरी तरह कायम है. कंपनी ने यह भी कहा था कि अगर अडानी समूह गंभीर है, तो उसे अमेरिका में भी मुकदमा दायर करना चाहिए जहां हम काम करते हैं. हमारे पास कानूनी प्रक्रिया के दौरान मांगे जाने वाले दस्तावेजों की एक लंबी सूची है.

बीते रविवार (30 जनवरी) को अडानी समूह ने हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों के जवाब में 413 पृष्ठ का ‘स्पष्टीकरण’ जारी किया है. अडानी समूह ने इन आरोपों के जवाब में कहा था कि यह हिंडनबर्ग द्वारा भारत पर सोच-समझकर किया गया हमला है. समूह ने कहा था कि ये आरोप और कुछ नहीं सिर्फ ‘झूठ’ हैं.

समूह ने कहा था, ‘यह केवल किसी विशिष्ट कंपनी पर एक अवांछित हमला नहीं है, बल्कि भारत, भारतीय संस्थाओं की स्वतंत्रता, अखंडता और गुणवत्ता, तथा भारत की विकास गाथा और महत्वाकांक्षाओं पर एक सुनियोजित हमला है.’

अडानी समूह के इस जवाब पर पलटवार करते हुए हिंडनबर्ग समूह की ओर से सोमवार को कहा गया था कि धोखाधड़ी को ‘राष्ट्रवाद’ या ‘कुछ बढ़ा-चढ़ाकर प्रतिक्रिया’ से ढंका नहीं जा सकता. भारत एक जीवंत लोकतंत्र और उभरती महाशक्ति है. अडानी समूह ‘व्यवस्थित लूट’ से भारत के भविष्य को रोक रहा है.

हिंडनबर्ग की ओर से कहा गया, ‘हम असहमत हैं. स्पष्ट होने के लिए हम मानते हैं कि भारत एक जीवंत लोकतंत्र है और एक रोमांचक भविष्य के साथ एक उभरती हुई महाशक्ति है. हम यह भी मानते हैं कि भारत का भविष्य अडानी समूह द्वारा रोका जा रहा है, जिसने देश को व्यवस्थित रूप से लूटते हुए खुद को राष्ट्रवाद के आवरण में लपेट लिया है.’

हिंडनबर्ग रिसर्च ने प्रतिक्रिया में कहा कि धोखाधड़ी, धोखाधड़ी ही होती है चाहे इसे दुनिया के सबसे अमीर आदमी ने अंजाम क्यों न दिया हो.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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