विशेष रिपोर्ट: शराब नीति में भ्रष्टाचार के आरोप में सीबीआई ने दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को गिरफ़्तार कर लिया है. वे दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार के 33 में से डेढ़ दर्जन से अधिक विभागों का काम संभाला करते थे. पार्टी और सरकार में अरविंद केजरीवाल के बाद सबसे प्रभावशाली व्यक्ति हैं.
नई दिल्ली: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को कथित आबकारी घोटाले के संबंध में रविवार (26 फरवरी) को गिरफ्तार कर लिया.
उनके खिलाफ उक्त एफआईआर उपराज्यपाल की सिफारिश पर अगस्त 2022 में दर्ज की गई थी, जिसमें उन पर दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 बनाने में भ्रष्टाचार संबंधी आरोप लगाए गए थे.
सिसोदिया को मूल रूप से पिछले रविवार (19 फरवरी) को तलब किया गया था, लेकिन उन्होंने पेश होने से पहले यह कहते हुए एक सप्ताह का समय मांगा था कि उन्हें और अधिक समय की जरूरत है, क्योंकि वे बजट संबंधी कार्यों में व्यस्त हैं.
बता दें कि सिसोदिया केंद्रशासित प्रदेश दिल्ली के वित्तमंत्री भी हैं.
बहरहाल, इस रविवार को सिसोदिया को 9 घंटे से अधिक की पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया गया. उन्हें दिल्ली की एक स्थानीय अदालत ने 4 मार्च तक के लिए सीबीआई हिरासत में भेज दिया है. सीबीआई ने सुनवाई के दौरान अदालत से कहा कि सिसोदिया जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं और सच्चाई छिपा रहे हैं.
पूछताछ के लिए जाने से पहले सिसोदिया ने ट्विटर पर लिखा, ‘आज फिर सीबीआई (कार्यालय) जा रहा हूं, सारी जांच में पूरा सहयोग करूंगा. लाखों बच्चों का प्यार व करोड़ों देशवासियों का आशीर्वाद साथ है. कुछ महीने जेल में भी रहना पड़े तो परवाह नहीं. भगत सिंह के अनुयायी हैं, देश के लिए भगत सिंह फांसी पर चढ़ गए थे. ऐसे झूठे आरोपों की वजह से जेल जाना तो छोटी सी चीज है.’
आज फिर CBI जा रहा हूँ, सारी जाँच में पूरा सहयोग करूँगा. लाखों बच्चो का प्यार व करोड़ो देशवासियो का आशीर्वाद साथ है
कुछ महीने जेल में भी रहना पड़े तो परवाह नहीं. भगत सिंह के अनुयायी हैं, देश के लिए भगत सिंह फाँसी पर चढ़ गए थे. ऐसे झूठे आरोपों की वजह से जेल जाना तो छोटी सी चीज़ है— Manish Sisodia (@msisodia) February 26, 2023
सिसोदिया और आम आदमी पार्टी (आप) का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल करके पार्टी नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है. गौरतलब है कि बीते सप्ताह सिसोदिया के खिलाफ केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सीबीआई को कथित जासूसी मामले में भी मुकदमा चलाने की अनुमति दी थी.
वहीं, पिछले साल अक्टूबर में सिसोदिया ने दावा किया था कि सीबीआई उन पर भाजपा में शामिल होने का दबाव बना रही है, जिसके बदले सभी मामले बंद करने का प्रस्ताव मिला है.
इस बीच, आम आदमी पार्टी समर्थकों ने सोमवार को दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन किया. इस दौरान, कई पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया. पार्टी प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि सीबीआई अधिकारी सिसोदिया का काफी सम्मान करते हैं, लेकिन उनके ऊपर राजनीतिक दबाव है.
I am told that most CBI officers were against Manish’s arrest. All of them have huge respect for him and there is no evidence against him. But the political pressure to arrest him was so high that they had to obey their political masters
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) February 27, 2023
इस बीच, सिसोदिया के जेल जाने के बाद दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार के सुचारू संचालन को लेकर आशंकाएं सामने आ रही हैं. सिसोदिया दिल्ली सरकार के 33 विभागों में से आधिकारिक दस्तावेज के अनुसार 18 विभाग संभालते थे. जिनमें शिक्षा, वित्त, योजना, भूमि एवं भवन, सतर्कता, सेवाएं, पर्यटन, कला-संस्कृति एवं भाषा, श्रम, रोजगार, लोक निर्माण विभाग, स्वास्थ्य, उद्योग, ऊर्जा, गृह, शहरी विकास, सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण और जल विभाग शामिल थे.
इनके अलावा, वे उन सभी विभागों का भी कामकाज देखा करते थे, जो किसी अन्य मंत्री को आवंटित नहीं किए गए हैं. केजरीवाल सरकार के एक अन्य मंत्री सत्येंद्र जैन के मई 2022 में गिरफ्तार होने के बाद उनसे जुड़े विभागों को सिसोदिया ही संभाल रहे थे.
सिसोदिया न सिर्फ दिल्ली की केजरीवाल सरकार के लिए अहम थे, बल्कि पार्टी के लिहाज से भी उनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण थी. कुछ जानकारों का मानना है कि उनके सरकारी कामकाज संभालने के चलते ही मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल निश्चिंत होकर देश भर में पार्टी के विस्तार की संभावनाओं पर काम कर पा रहे थे.
इसलिए सवाल उठना लाजमी है कि सिसोदिया की गिरफ्तारी केजरीवाल सरकार और आम आदमी पार्टी के लिए कितनी बड़ी चुनौती खड़ी कर सकती है?
वरिष्ठ पत्रकार और पूर्व में आम आदमी पार्टी का हिस्सा रहे आशुतोष कहते हैं, ‘इसमें तो कोई दो राय नहीं है कि सिसोदिया 18 विभाग संभाल रहे थे, इसलिए जाहिर सी बात है कि जब वह जेल में होंगे तो 18 विभागों की जिम्मेदारी किसी को तो देनी पड़ेगी. और चूंकि वह न केवल अरविंद केजरीवाल के सबसे करीबी थे, बल्कि उनके सबसे विश्वासपात्र भी थे और कैबिनेट के सबसे कुशल एवं प्रभावशाली मंत्री थे, उनकी नौकरशाही में अच्छी पकड़ थी. इसलिए ये अपने आप में आम आदमी पार्टी के लिए बहुत बड़ा सिर दर्द होगा और इसलिए भी होगा क्योंकि उनके एक और मंत्री सत्येंद्र जैन पहले से ही जेल में हैं.’
वे आगे कहते हैं, ‘अब अगर मनीष सिसोदिया लंबे समय तक जेल में रहते हैं और जमानत जल्दी नहीं मिलती है तो नए मंत्रियों को शामिल करना ही पड़ेगा और उन्हें जिम्मेदारी देनी पड़ेगी, अगर नहीं करेंगे तो सरकार में ‘पॉलिसी पैरालिसिस’ की स्थिति बन जाएगी और सरकार ढह भी सकती है.’
वहीं, सिसोदिया की गैर-मौजूदगी में पार्टी पर पड़ने वाले असर को लेकर आशुतोष कहते हैं, ‘देखिए, वैसे तो केजरीवाल के पास कोई विभाग नहीं था, लेकिन सरकार और पार्टी के अंदर कोई भी चीज बिना उनकी पहल के आगे नहीं बढ़ती थी. इसलिए ऐसा कहना कि सिसोदिया के न होने पर केजरीवाल बाहर नहीं जा पाएंगे और पार्टी के विस्तार पर फर्क पड़ेगा, तो इससे कोई बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ने वाला है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘आज के संचार क्रांति के दौर में ये कोई बड़ा मसला नहीं है. आप कहीं भी बैठकर कहीं से भी काम कर सकते हैं. फर्क सिर्फ इतना पड़ेगा कि सिसोदिया नहीं हैं तो अगर उनकी जिम्मेदारी किसी और मंत्री को दी जाती है या किसी नए चेहरे को लाया जाता है, तो केजरीवाल को उनके कामकाज पर निगरानी करने में अधिक सावधान रहना होगा.’
उनके मुताबिक, ‘मसला ये भी है कि सिसोदिया की अनुपस्थिति में इतने बड़े कद का कोई दूसरा नेता पार्टी में नहीं है और कोई मौजूदा मंत्री भी उतना काबिल नहीं है, इसलिए एक बड़ी दिक्कत सामने आएगी कि कैसे अब चीजों को मैनेज करें, किसे प्रतिनिधित्व सौंपें और लगातार उन पर निगरानी रखें. मनीष के साथ ऐसा था कि आपने उनको एक जिम्मेदारी दे दी तो आप निश्चिंत होकर बैठ सकते थे. दूसरे के साथ शायद ये संभव नहीं हो पाएगा.’
द वायर के पॉलिटिकल अफेयर्स एडिटर अजॉय आशीर्वाद महाप्रशस्त कहते हैं, ‘सिसोदिया के न होने पर सरकारी कामकाज में खड़ी होने वाली चुनौतियों का तो आने वाले दिनों में ही मालूम चलेगा, लेकिन जैसा केजरीवाल का रिकॉर्ड रहा है वो पीछे हटने वाले नेताओं में से नहीं हैं.’
सिसोदिया की गिरफ्तारी के पीछे के कारणों पर बात करते हुए अजॉय कहते हैं कि यह विपक्षी नेताओं के खिलाफ केंद्र सरकार की कार्रवाई के पैटर्न का ही एक हिस्सा है, खास तौर पर उन राज्यों में जहां भाजपा सत्ता में नहीं है. रायपुर में छापेमारी के बाद सिसोदिया की गिरफ्तारी एक और उदाहरण है, जिसमें विपक्ष के किसी निर्वाचित नेता को निशाना बनाया गया है.
अजॉय कहते हैं, ‘सिसोदिया की गिरफ्तारी के साथ भाजपा ने न सिर्फ केजरीवाल के करीबी सहयोगी और उपमुख्यमंत्री को निशाना बनाया है, बल्कि दिल्ली के सार्वजनिक शिक्षा सुधारों के पीछे के दिमाग को भी निशाना बनाया है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘इससे पहले स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन की गिरफ्तारी के साथ भाजपा ने दिल्ली के स्वास्थ्य सुधारों के पीछे के मुख्य चेहरे पर निशाना साधा था. सिसोदिया और जैन के हिरासत में होने के साथ ही, भाजपा ने आम आदमी पार्टी के दो सबसे महत्वपूर्ण अभियानों – स्वास्थ्य और शिक्षा – को निशाने पर लिया है.’
गौरतलब है कि शिक्षा और स्वास्थ्य आम आदमी पार्टी के लिए वो दो अहम पहलू रहे हैं, जिनको वह दिल्ली के बाहर के राज्यों में अपनी उपलब्धि के तौर पर प्रस्तुत करती रही है. इसलिए सवाल उठता है कि क्या भाजपा ने जान-बूझकर दोनों विभागों के मंत्रियों को निशाना बनाया?
आशुतोष इस संभावना को खारिज करते हुए कहते हैं, ‘आम आदमी पार्टी का जन्म भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने की वजह से हुआ था. उन्होंने अपनी छवि बनाई थी कि वे भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए पैदा हुए हैं. अब अगर उनके ही इतने बड़े नेता पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगते हैं तो फिर उनको अपनी इस छवि के धूमिल होने का खतरा पैदा हो जाता है कि कहीं लोग ये मानने न लगें कि ये लोग (आप नेता) भी वैसे ही निकले, जैसा कि वे दूसरे लोगों के बारे कहते थे.’
आशुतोष आगे कहते हैं, ‘यही आम आदमी पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौती है, जिसको लेकर उसके अंदर चिंता होनी चाहिए. यही उनकी सबसे बड़ी नैतिक पूंजी है. इस नैतिक पूंजी को कैसे बचाकर रखते हैं या कैसे लोगों को यह समझा पाते हैं कि सिसोदिया की गिरफ्तारी दरअसल भ्रष्टाचार की वजह से नहीं, बल्कि राजनीतिक कारणों से है, आज की तारीख में यह उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी. उन्हें इस चुनौती से पार पाना होगा कि वे लोगों को यह समझा सकें कि उन्होंने कोई भ्रष्टाचार नहीं किया है और चूंकि वो भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रहे थे, इसलिए उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए.’
आशुतोष का मानना है कि कहीं न कहीं भाजपा उनकी छवि को धूमिल करके इसका चुनावों में फायदा उठाना चाहेगी.
विवाद की शुरुआत
जुलाई 2022 में दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव ने ‘दिल्ली आबकारी नीति 2021-22’ के जरिये आर्थिक लाभ प्राप्त करने के गुप्त उद्देश्य का आरोप लगाते हुए एक रिपोर्ट पेश की थी. जिसके बाद जुलाई 2022 के आखिरी हफ्ते में दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) वीके सक्सेना ने आबकारी नीति के क्रियान्वयन में कथित अनियमितताओं की सीबीआई से जांच कराने की सिफारिश की थी. उन्होंने इस मामले में 11 आबकारी अधिकारियों को निलंबित भी किया था.
उन्होंने बताया था कि दिल्ली के मुख्य सचिव की जुलाई 2022 में दी गई रिपोर्ट के आधार पर सीबीआई जांच की सिफारिश की गई, जिसमें राष्ट्रीय राजधानी राज्य क्षेत्र शासन अधिनियम 1991, कार्यकरण नियम (टीओबीआर)-1993, दिल्ली उत्पाद शुल्क अधिनियम-2009 और दिल्ली उत्पाद शुल्क नियम-2010 का प्रथमदृष्टया उल्लंघन पाए जाने की बात कही गई थी.
एलजी के अनुसार, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कथित तौर पर शराब नीति में कुछ बदलाव किए और कैबिनेट को सूचित किए बिना या उपराज्यपाल की मंजूरी लिए बिना लाइसेंसधारियों को अपनी ओर से अनुचित लाभ दिया था.
यह भी आरोप है कि उन्होंने कथित तौर पर कोविड-19 महामारी के बहाने निविदा लाइसेंस शुल्क पर शराब कारोबारियों को 144.36 करोड़ रुपये की छूट की अनुमति दी. यह भी आरोप लगाया गया कि आम आदमी पार्टी ने पंजाब चुनाव के दौरान इस पैसे का इस्तेमाल किया होगा.
इस घटनाक्रम के बाद उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने 30 जुलाई 2022 को जानकारी दी थी कि दिल्ली सरकार ने नई आबकारी नीति को फिलहाल वापस लेने का फैसला किया है और सरकार द्वारा संचालित दुकानों के जरिये शराब की बिक्री किए जाने का निर्देश दिया है.
रद्द की जा चुकी आबकारी नीति के प्रावधान
नई आबकारी नीति 2021-22 को 17 नवंबर 2021 से लागू किया गया था, जिसके तहत 32 मंडलों में विभाजित शहर में 849 ठेकों के लिए बोली लगाने वाली निजी संस्थाओं को खुदरा लाइसेंस दिए गए थे. कई शराब की दुकानें खुल नहीं पाईं. ऐसे कई ठेके नगर निगम ने सील कर दिए. नीति के प्रचार में खुदरा शराब क्षेत्र में सुधार, उपभोक्ता अनुभव में सुधार और राजस्व में 9,500 करोड़ रुपये की वृद्धि करने की बात कही गई थी.
केजरीवाल सरकार द्वारा लाई गई नई नीति में सरकार द्वारा संचालित 600 दुकानों को बंद करने की बात कही गई थी, ताकि नई, भव्य और निजी स्वामित्व वाली दुकानों के लिए रास्ता खोला जा सके और सरकार शराब बेचने से दूरी बना ले.
तब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस ने इस नीति का पुरजोर विरोध किया था और इसकी जांच के लिए उपराज्यपाल के साथ केंद्रीय एजेंसियों में शिकायत दर्ज कराई थी.
द क्विंट के अनुसार, नई आबकारी नीति के लागू होने के बाद सरकार के राजस्व में 27 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिससे लगभग 8,900 करोड़ रुपये की आय हुई थी.
नई आबकारी नीति में वेबसाइट और ऐप्स के जरिये दिल्ली में शराब की होम डिलीवरी की अनुमति थी. साथ ही ‘ड्राय डे’ की संख्या प्रति वर्ष 21 से घटाकर 3 कर दी गई थी और होटल एवं रेस्तरां के बारों को रात 3 बजे तक खोले जाने की अनुमति दी गई थी. इसमें बाजारों, मॉल, वाणिज्यिक सड़कों/क्षेत्रों, स्थानीय शॉपिंग कॉम्प्लेक्स और अन्य ऐसी जगहों पर शराब दुकानें खोलने की बात कही गई थी.
सरकार ने लाइसेंसधारियों के लिए भी नियमों को लचीला बनाया था, जिससे उन्हें ग्राहकों को छूट संबंधी ऑफर पेश करने की अनुमति दी गई थी और कहा गया था कि लाइसेंसधारी एमआरपी पर रियायत या छूट देने के लिए स्वतंत्र हैं.
आबकारी नीति में शामिल विवादित पहलू
दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार की रिपोर्ट में विशिष्ट उदाहरणों का हवाला देकर नीति के कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं को सूचीबद्ध किया गया था. रिपोर्ट में जिन उल्लंघनों की बात की गई थी, उनमें नीति के माध्यम से निविदा के बाद शराब लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ प्रदान करने के लिए ‘जान-बूझकर प्रक्रियात्मक खामियां’ छोड़े जाना शामिल था.
क्विंट के मुताबिक, रिपोर्ट में दावा किया गया था कि कोविड-19 के प्रभावों का हवाला देते हुए निविदा लाइसेंस शुल्क में 144.36 करोड़ रुपये की छूट लाइसेंसधारियों को दी गई थी, जबकि निविदा दस्तावेज में निविदा लाइसेंस शुल्क में कमी करके मुआवजे का कोई प्रावधान नहीं था. नतीजतन, लाइसेंसधारियों को अत्यधिक अनुचित लाभ हुआ और सरकारी खजाने को नुकसान.
वहीं, सतर्कता निदेशालय की रिपोर्ट में भी विभिन्न अनियमितताओं को सूचीबद्ध किया गया था. जिसमें विदेशी शराब की कीमतों की गणना करने के फॉर्मूले में संशोधन और बीयर पर आयात पास शुल्क को हटाना शामिल था, जिससे खुदरा विक्रेताओं के लिए बीयर और विदेशी शराब की इनपुट लागत कम हो गई थी.
रिपोर्ट में दावा किया गया था कि सरकारी खजाने की कीमत पर लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ दिया गया था, जो स्थापित कानूनों, नियमों एवं प्रक्रियाओं का उल्लंघन था और जिसके पीछे मौद्रिक लाभ हासिल करने का एक गुप्त उद्देश्य था.
इसमें कथित तौर पर आबकारी विभाग के अधिकारियों द्वारा लिए गए उन विभिन्न फैसलों का उल्लेख था, जिनके लिए मंत्रिपरिषद या उपराज्यपाल की स्वीकृति नहीं ली गई थी.
सिसोदिया के खिलाफ सीबीआई के आरोप क्या हैं?
सीबीआई ने बीते वर्ष 17 अगस्त को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120बी (आपराधिक साजिश), 477ए (अभिलेखों के की जालसाजी) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 (भ्रष्ट या अवैध तरीकों से या व्यक्तिगत प्रभाव के प्रयोग से लोक सेवक को प्रभावित करने के लिए अनुचित लाभ लेना) सहित आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत दायर अपनी एफआईआर में सिसोदिया और 14 अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था. 15 आरोपियों में से मनीष सिसोदिया को आरोपी नंबर 1 के रूप में नामित किया गया.
केंद्रीय गृह मंत्रालय के माध्यम से उपराज्यपाल वीके सक्सेना के कार्यालय को भेजे गए एक संदर्भ पर एफआईआर दर्ज की गई थी.
जिसके बाद दिल्ली, गुड़गांव, चंडीगढ़, मुंबई, हैदराबाद, लखनऊ और बेंगलुरु सहित 31 स्थानों पर तलाशी ली गई, जिसमें आपत्तिजनक दस्तावेज, विभिन्न कागजात, डिजिटल रिकॉर्ड आदि बरामद हुए.
सिसोदिया के साथ तत्कालीन आयुक्त (आबकारी) आरव गोपी कृष्ण, तत्कालीन उपायुक्त (आबकारी) आनंद तिवारी, सहायक आयुक्त (आबकारी) पंकज भटनागर, मनोरंजन और इवेंट मैनेजमेंट कंपनी ‘ओनली मच लाउडर’ के पूर्व सीईओ विजय नायर, पर्नोड रिकॉर्ड के पूर्व कर्मचारी मनोज राय, ब्रिंडको स्पिरिट्स सेल्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक अमनदीप ढल, इंडोस्पिरिट ग्रुप के प्रबंध निदेशक समीर महेंद्रू के नाम एफआईआर में दर्ज हैं.
सीबीआई ने अपनी एफआईआर में दावा किया है कि मनीष सिसोदिया के एक सहयोगी द्वारा संचालित कंपनी को एक शराब कारोबारी ने कथित तौर पर एक करोड़ रुपये का भुगतान किया था.
सीबीआई ने आरोप लगाया कि सिसोदिया और अन्य आरोपी लोक सेवकों ने ‘निविदा के बाद लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ देने के इरादे से’ सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के बिना उत्पाद नीति 2021-22 से संबंधित सिफारिश की और निर्णय लिया.
सीबीआई ने कहा है कि मनोरंजन और इवेंट मैनेजमेंट कंपनी ‘ओनली मच लाउडर’ के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) विजय नायर, पर्नोड रिकार्ड के पूर्व कर्मचारी मनोज राय, ब्रिंडको स्पिरिट्स के मालिक अमनदीप ढल तथा इंडोस्पिरिट्स के मालिक समीर महेंद्रू सक्रिय रूप से नवंबर 2021 में लाई गई आबकारी नीति का निर्धारण और क्रियान्वयन में अनियमितताओं में शामिल थे.
एजेंसी ने आरोप लगाया कि गुड़गांव में ‘बडी रिटेल प्राइवेट लिमिटेड’ के निदेशक अमित अरोड़ा, दिनेश अरोड़ा और अर्जुन पांडे, सिसोदिया के ‘करीबी सहयोगी’ हैं और आरोपी लोक सेवकों के लिए ‘शराब लाइसेंसधारियों से एकत्र किए गए अनुचित आर्थिक लाभ के प्रबंधन और स्थानांतरण करने में सक्रिय रूप से शामिल थे.’
सीबीआई ने आरोप लगाया कि दिनेश अरोड़ा द्वारा प्रबंधित राधा इंडस्ट्रीज को इंडोस्पिरिट्स के समीर महेंद्रू से एक करोड़ रुपये मिले.
सीबीआई का दावा है कि अरुण रामचंद्र पिल्लई, विजय नायर के माध्यम से समीर महेंद्रू से आरोपी लोक सेवकों को आगे स्थानांतरित करने के लिए अनुचित धन एकत्र करता था. अर्जुन पांडे नाम के एक व्यक्ति ने विजय नायर की ओर से समीर महेंद्रू से लगभग 2-4 करोड़ रुपये की बड़ी नकद राशि एकत्र की.’
एजेंसी का आरोप है कि सनी मारवाह की ‘महादेव लिकर’ को योजना के तहत एल-1 लाइसेंस दिया गया था. यह भी आरोप लगाया गया है कि दिवंगत शराब कारोबारी पोंटी चड्ढा की कंपनियों के बोर्ड में शामिल मारवाह आरोपी लोक सेवकों के निकट संपर्क में थे और उन्हें नियमित रूप से रिश्वत देते थे.
सीबीआई प्रवक्ता के एक बयान के अनुसार, ‘यह आरोप लगाया गया था कि आबकारी नीति में संशोधन, लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ देने, लाइसेंस शुल्क में छूट/कमी, बिना मंजूरी के एल-1 लाइसेंस के विस्तार में अनियमितताएं की गईं.’
उन्होंने कहा कि यह भी आरोप लगाया गया था कि इन कृत्यों से हुए अवैध लाभ को, निजी पक्षों द्वारा संबंधित लोक सेवकों को उनके एकाउंट बुक में गलत प्रविष्टियां देकर बदल दिया गया था.
वहीं, आबकारी नीति मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी जांच कर रहा है. दिसंबर 2022 में उसने दिल्ली की राउज एवेन्यू जिला अदालत में एक आरोप-पत्र भी दाखिल किया था. उसमें भी मनीष सिसोदिया को आरोपी बनाया गया है. उनके साथ-साथ आप नेता संजय सिंह और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की बेटी कलवकुंतला कविता का नाम भी आरोप-पत्र में शामिल हैं.
ईडी ने कविता पर आरोप लगाया है कि वे उस ‘साउथ ग्रुप’ का हिस्सा थीं, जिसने आबकारी नीति के तहत अनुचित लाभ के बदले में आप नेताओं को 100 करोड़ रुपये की रिश्वत का भुगतान किया था. वे सीबीआई की एफआईआर में नामजद समीर महेंद्रू के साथ साझेदारी में थीं.