जेएनयू में धरना देने पर 20 हज़ार रुपये के जुर्माने वाला नया नियम कुलपति ने वापस लिया

जेएनयू के नए नियमों के तहत कहा गया था कि छात्रों पर धरना देने को लेकर 20,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है और उनका प्रवेश रद्द किया जा सकता है या यदि वे घेराव करते हैं तो 30,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है या वे हिंसा के आरोपी ठहराए जा सकते हैं.

जेएनयू कुलपति शांतिश्री डी. पंडित. (फोटो: एएनआई)

जेएनयू के नए नियमों के तहत कहा गया था कि छात्रों पर धरना देने को लेकर 20,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है और उनका प्रवेश रद्द किया जा सकता है या यदि वे घेराव करते हैं तो 30,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है या वे हिंसा के आरोपी ठहराए जा सकते हैं.

(फोटो साभार: जेएनयू)

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) ने परिसर में धरना देने पर छात्रों पर 20,000 रुपये का जुर्माना लगाने, जो लोग ‘डराने धमकाने या अपमानजनक व्यवहार’ में लिप्त पाए गए, उन पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाने और उनके निष्कासन से संबंधित नए नियमों को आलोचना के बाद वापस ले लिया है.

विश्वविद्यालय की कुलपति शांतिश्री डी. पंडित ने दावा किया कि उन्हें इस तरह का दस्तावेज तैयार होने और जारी किए जाने की जानकारी नहीं थी.

नए नियम वाले 10 पन्नों के दस्तावेज पर छात्रों और शिक्षकों की कड़ी प्रतिक्रिया आने के बाद चीफ प्रॉक्टर रजनीश कुमार मिश्रा ने बृहस्पतिवार रात में अधिसूचना जारी कर कहा कि जेएनयू छात्रों के अनुशासन और नियम से संबंधित दस्तावेज को प्रशासनिक कारणों से वापस लिया जाता है.

नए नियम वापस लिए जाने के बाद जेएनयू की कुलपति शांतिश्री डी. पंडित ने से कहा, ‘मुझे इस तरह के सर्कुलर की जानकारी नहीं थी. मैं एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की वजह से हुबली में हूं. मुख्य प्रॉक्टर ने दस्तावेज जारी करने से पहले मुझसे सलाह नहीं ली. मुझे नहीं पता था कि इस तरह का दस्तावेज तैयार किया जा रहा है. मुझे अखबारों से इसके बारे में पता चला. इसलिए, मैंने इसे वापस ले लिया है.’

मिश्रा ने इस संबंध में जारी अधिसूचना में कहा कि कुलपति के निर्देश पर दस्तावेज वापस ले लिया गया है.

नए नियमों के तहत कहा गया था कि छात्रों पर धरना देने को लेकर 20,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है और उनका प्रवेश रद्द किया जा सकता है या यदि वे घेराव करते हैं तो 30,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है या वे हिंसा के आरोपी ठहराए जा सकते हैं.

‘’जेएनयू के छात्रों के अनुशासन और उचित आचरण के नियम’ 10 पेज के थे, जिनमें ‘कदाचार और अनुशासनहीनता’  के रूप में वर्गीकृत विभिन्न गतिविधियां के लिए दंड का विवरण था.

एनडीटीवी के मुताबिक, नियम 3 फरवरी से लागू किए गए प्रतीत होते हैं. यह समयरेखा उस अवधि से मेल खाती है जब परिसर में विरोधस्वरूप 2002 के गुजरात दंगों में नरेंद्र मोदी की कथित संलिप्तता वाली बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की गई थी. तब प्रशासन ने कथित तौर पर बिजली काटने सहित विरोध प्रदर्शनों को रोकने के लिए विभिन्न तरीके आजमाने की कोशिश की थी.

नए नियमों को कथित तौर पर जेएनयू की कार्यकारी परिषद द्वारा मंजूरी दी गई थी.

सूचीबद्ध विभिन्न दंडों में ‘प्रवेश रद्द करना या डिग्री वापस लेना या एक निर्दिष्ट अवधि के लिए पंजीकरण से इनकार करना, चार सेमेस्टर तक निष्कासन और/या किसी एक हिस्से या पूरे जेएनयू कैंपस को निषिद्ध घोषित करना, निष्कासन, पुराने नियमों के मुताबिक 30,000 रुपये का जुर्माना, छात्रावास से एक-दो सेमेस्टर के लिए बेदखली’ शामिल था.

उल्लिखित अपराधों की पूरी सूची और संबंधित दंड नीचे पढ़े जा सकते हैं.

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