उज़्बेकिस्तान में बच्चों की मौत मामला: कफ सीरप बनाने वाली भारतीय फर्म के तीन लोग गिरफ़्तार

नोएडा स्थित दवा निर्माता कंपनी मैरियन बायोटेक के कफ सीरप के परिणामस्वरूप कथित तौर पर दिसंबर 2022 में मध्य एशियाई देश उज़्बेकिस्तान में 18 बच्चों की मौत हो गई थी. इसी संबंध में यह कार्रवाई की गई है.

/
(प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)

नोएडा स्थित दवा निर्माता कंपनी मैरियन बायोटेक के कफ सीरप के परिणामस्वरूप कथित तौर पर दिसंबर 2022 में मध्य एशियाई देश उज़्बेकिस्तान में 18 बच्चों की मौत हो गई थी. इसी संबंध में यह कार्रवाई की गई है.

(प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)

नई दिल्ली: उज्बेकिस्तान को बच्चों से संबंधित विषाक्त दवाओं के निर्यात के मामले में बीते शुक्रवार (3 मार्च) को नोएडा स्थित मैरियन बायोटेक के तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है. मैरियन बायोटेक की कुछ दवाओं के परिणामस्वरूप कथित तौर पर दिसंबर 2022 में मध्य एशियाई देश उज्बेकिस्तान में 18 बच्चों की मौत हो गई थी.

द वायर से बात करते हुए बीते 3 मार्च नोएडा के ड्रग इंस्पेक्टर वैभव बब्बर ने कहा कि गिरफ्तार किए गए तीन लोग प्लांट के प्रमुख, मैन्युफैक्चरिंग केमिस्ट और परीक्षण तथा गुणवत्ता नियंत्रण के लिए जिम्मेदार व्यक्ति हैं.

उन्होंने कहा कि नोएडा स्थित मैरियन बायोटेक के मालिकों – सचिन जैन और जया जैन को भी नोएडा के एक पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर में नामजद किया गया है. बब्बर ने कहा, ‘हालांकि, मालिकों को गिरफ्तार किया जाना बाकी है, क्योंकि वे यहां (नोएडा में) नहीं हैं.’

बब्बर ने पुष्टि की कि संयंत्र से एकत्र किए गए 22 नमूनों में विषाक्त रसायन डायएथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी) की पुष्टि हुई है, जहां उक्त दवाएं – एम्ब्रोनॉल कफ सीरप और डॉक्स-1 मैक्स सीरप – निर्मित की गई थीं. हालांकि उन्होंने एकत्र किए गए नमूनों में उक्त रसायन किस मात्रा में पाया गया था, यह साझा नहीं किया.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने 11 जनवरी को इन दोनों दवाओं को मौतों से जोड़कर उत्पाद चेतावनी जारी किया था. चेतावनी (उत्पाद अलर्ट) में कहा गया था कि दोनों कफ सीरप में डायएथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी) और एथिलीन ग्लाइकॉल (ईजी) अस्वीकार्य स्तर पर पाए गए हैं.

डायएथिलीन ग्लाइकॉल एक औद्योगिक रसायन है, जो अत्यधिक विषाक्त होता है और दवाओं में उपयोग के लिए प्रतिबंधित है. दवा निर्माण में प्रोपलीन ग्लाइकॉल (पीजी) को विलायक (घुलानेवाला/Solvent) के रूप में इस्तेमाल किया जाना होता है.

लेकिन अगर अशुद्धियों के लिए कच्चे माल का परीक्षण करने के लिए पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जाता है, तो डायएथिलीन ग्लाइकॉल तैयार उत्पादों में मिश्रित हो सकता है. या निर्माण व्यय को कम करने के लिए निर्माता डायएथिलीन ग्लाइकॉल मिश्रित प्रोपलीन ग्लाइकॉल भी खरीद सकता है.

डब्ल्यूएचओ ने चेतावनी में कहा था, ‘इस चेतावनी में संदर्भित घटिया उत्पाद असुरक्षित हैं और विशेष रूप से बच्चों में उनके उपयोग से गंभीर बीमारी या मृत्यु हो सकती है. जहरीले प्रभावों में पेट में दर्द, उल्टी, दस्त, पेशाब करने में असमर्थता, सिरदर्द, बदली हुई मानसिक स्थिति और गुर्दे की गंभीर बीमारी शामिल हो सकती है, जिससे मृत्यु हो सकती है.’

बब्बर ने द वायर को बताया कि नोएडा स्थित मैरियन बायोटेक के उत्पादों, जिन्हें उज्बेकिस्तान निर्यात किए गए थे, में रासायनिक अशुद्धियों के अलावा, उसके कुछ नमूने जांच में विफल रहे थे. दवाओं में उनके सक्रिय तत्व शामिल पाए गए जो उस मात्रा में नहीं थे जो उन्हें होने चाहिए थे.

इसी तरह के एक अन्य मामले में एक अन्य भारतीय फर्म, मेडेन फार्मास्युटिकल्स द्वारा बनाई गई डायएथिलीन ग्लाइकॉल-दूषित बच्चों की दवाओं को कथित तौर पर गांबिया में 70 बच्चों की मौत के साथ जोड़ा गया था.

हालांकि, भारतीय अधिकारियों ने इस घटना में इस फर्म के नाम को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि उनकी प्रयोगशाला जांच में गांबिया को निर्यात किए गए एक ही बैच के नमूनों में किसी भी प्रकार के विषाक्त पदार्थ का पता नहीं चला है. हालांकि डब्ल्यूएचओ ने इसके चार उत्पादों में बड़ी मात्रा में डायएथिलीन ग्लाइकॉल पाया था.

उज्बेकिस्तान ने पहली बार 27 दिसंबर, 2022 को इन उत्पादों के खिलाफ चेतावनी दी थी. डब्ल्यूएचओ ने अपने चेतावनी में यह भी कहा था कि नोएडा स्थित फर्म इन उत्पादों की सुरक्षा और गुणवत्ता पर डब्ल्यूएचओ को गारंटी देने में विफल रही है.

उज्बेकिस्तान से चेतावनी मिलने के बाद केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की एक टीम ने संयंत्र का निरीक्षण किया था. इसके बाद जनवरी में उत्पादन पूरी तरह से निलंबित कर दिया गया था, क्योंकि निर्माता निरीक्षण के दौरान मांगे गए दस्तावेजों के साथ जवाब देने में विफल रहे थे.

न्यूज़ 18 अपनी एक रिपोर्ट में बताया था, ड्रग इंस्पेक्टरों ने प्लांट में टपकती दीवारें, जंग लगे उपकरण, अस्वच्छ परिसर और उत्पादों के लापता बैच नंबर सहित अन्य चौंकाने वाली अनियमितताएं पाई थीं. हालांकि, यह ज्ञात नहीं है कि क्या इस संयंत्र का पहले भी दवा अधिकारियों द्वारा सर्वेक्षण किया गया था, जैसा कि वे नियमित रूप से सभी दवा निर्माण इकाइयों के लिए करते हैं.

केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय के तहत काम करने वाली संस्था फार्मास्युटिकल्स एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया ने दिसंबर 2022 में उज्बेकिस्तान की घटना के बाद मैरियन बायोटेक का लाइसेंस निलंबित कर दिया था.

इस बीच यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (यूएस-सीडीसी) की जांच में अब पाया गया है कि भारत स्थित मेडेन फार्मास्युटिकल्स द्वारा बनाई गई ‘विषाक्त’ दवाओं का गांबिया में पिछले साल अगस्त और दिसंबर के बीच हुई 66 बच्चों की मौत से ‘संबंध’ था.

पिछले साल पश्चिमी अफ्रीकी देश गांबिया के बच्चों में किडनी की घातक चोटों से चार कफ सीरप को जोड़ने वाली यह तीसरी रिपोर्ट है. यही चोटें उनकी मौत का कारण बनीं.

इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें