इसी मामले में जेल में बंद कश्मीरी मानवाधिकार कार्यकर्ता ख़ुर्रम परवेज़ भी आरोपी हैं. 2020 में दर्ज राष्ट्रीय जांच एजेंसी की एफ़आईआर में कश्मीर स्थित कुछ एनजीओ पर भारत विरोधी गतिविधियों को प्रायोजित करने के आरोप लगाए गए हैं.
श्रीनगर: गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) को लेकर चल रही एक जांच के संबंध में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने श्रीनगर के एक स्वतंत्र पत्रकार को गिरफ्तार किया है. ये एनजीओ ‘भारत की एकता, अखंडता, संप्रभुता और सुरक्षा के लिए पूर्वाग्रही’ गतिविधियों को प्रायोजित करने यानी टेरर फंडिंग के आरोपों का सामना कर रहे हैं.
श्रीनगर के महजूर नगर के निवासी इरफान मेहराज के पिता मेहराज-उद-दीन भट ने बताया, ‘जब इरफान काम के सिलसिले में बाहर गए थे, तब उनसे केंद्रीय आतंकवाद-रोधी एजेंसी की एक टीम द्वारा सोमवार (20 मार्च) की शाम चर्च लेन कार्यालय में पेश होने के लिए कहा गया.’
भट ने द वायर को बताया, ‘जब जांचकर्ताओं ने उसके मोबाइल पर फोन लगाया, तब वह एक रिपोर्ट पर काम कर रहा था. उन्होंने उसे 5 मिनट के लिए अपने कार्यालय आने के लिए कहा. बाद में हमें पता लगा कि उसे गिरफ्तार कर लिया गया है और मंगलवार को दिल्ली शिफ्ट किया जा रहा है. मेरा बेटा और भाई कानून सहायता के लिए वहां गए हैं.’
उन्होंने आगे कहा, ‘मेरा बेटा निर्दोष है. उसका काम उसके पक्ष में बोलता है. मुझे पूरा विश्वास है कि सच्चाई की जीत होगी और उसे न्याय मिलेगा.’
टीसीएन लाइव के संपादक इरफान, ‘कारवां मैगजीन’, ‘आर्टिकल 14’ और ‘अल जजीरा’ सहित कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया आउटलेट्स में भी योगदान करते हैं. वे जर्मनी के सार्वजनिक प्रसारक ‘डॉयचे वेले’ को भी योगदान देते हैं.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्हें नई दिल्ली के एनआईए पुलिस थाने में 8 अक्टूबर 2020 को एजेंसी द्वारा दर्ज की गई एक एफआईआर के संबंध में गिरफ्तार किया गया है.
NIA makes first arrest in NGO Terror Funding Case pic.twitter.com/sjPGmxDyNd
— NIA India (@NIA_India) March 21, 2023
एनआईए ने दावा किया है कि मेहराज ‘एनजीओ-टेरर फंडिंग केस’ में उसकी पहली गिरफ्तारी है.
जेल में बंद कश्मीर मानवाधिकार कार्यकर्ता खुर्रम परवेज भी इसी मामले में आरोपी हैं.
मामले में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120बी (आपराधिक साजिश) एवं धारा 124ए (शब्दों, संकेतों आदि के माध्यम से सरकार के प्रति असंतोष भड़काना) और गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) की धारा 17 (आतंकी गतिविधियों के लिए धन जुटाना), 18 (आतंक फैलाने की साजिश), 22ए एवं 22सी (पंजीकृत कंपनियों द्वारा किए गए अपराधों से संबंधित), 38 (आतंकी संगठन की सदस्यता से संबंधित अपराध), 39 (आतंकवादी संगठन का समर्थन) और 40 (आतंकी संगठन के लिए धन जुटाना) लगाई गई हैं.
एनआईए की वेबसाइट पर एक नोट के अनुसार, जिस मामले में इरफान को कथित तौर पर गिरफ्तार किया गया है, वह ‘कश्मीर घाटी में आतंकवादी गतिविधियों के लिए हवाला चैनल के माध्यम से एनजीओ द्वारा जम्मू कश्मीर में धन हस्तांतरण’ की जांच के लिए दायर किया गया था. इस मामले में एजेंसी कई लोगों से पूछताछ कर चुकी है.
पहले भी कई बार हुई थी पूछताछ
पिछले दो वर्षों में इरफान से मामले के संबंध में एनआईए द्वारा कई बार पूछताछ की गई है. 2020 की छापेमारी के दौरान उनके इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भी जब्त कर लिए गए थे.
इरफान ने कश्मीर में संघर्ष और तीन दशकों से अधिक की आंतरिक हिंसा से उत्पन्न सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक उथल-पुथल पर कई रिपोर्ट की हैं. पिछले साल श्रीनगर में एक मल्टीप्लेक्स के उद्घाटन पर लिखी गई उनकी एक रिपोर्ट बीते 18 जनवरी को हिमाल साउथेशियन में ‘क्या एक नया मल्टीप्लेक्स कश्मीर की सिनेमा संस्कृति को पुनर्जीवित करेगा?’ शीर्षक से प्रकाशित हुई थी.
इरफान वांडे मैगज़ीन (Wande Magazine) भी चलाते हैं, जो ‘कश्मीर और विदेशों से प्रकाशित लंबी विधा के लेखन’ की एक ऑनलाइन पत्रिका है.
इरफान से पहले भी एनआईए ने जम्मू कश्मीर कोलिशन ऑफ सिविल सोसाइटी (जेकेसीसीएस) के साथ उनके संबंधों के चलते पूछताछ की थी. यह श्रीनगर की एक गैर-लाभकारी मानवाधिकार संस्था, जहां इरफान एक शोधकर्ता के रूप में काम करते थे.
जेकेसीसीएस एक आतंकवाद-विरोधी जांच का सामना कर रहा है और इसके संयोजक खुर्रम परवेज की 2021 में गिरफ्तारी से वैश्विक स्तर पर नाराजगी देखी गई थी.
एनआईए के आरोप
एजेंसी ने अपनी वेबसाइट पर दावा किया है कि उसके पास ‘विश्वसनीय जानकारी’ है कि ‘कुछ एनजीओ, ट्रस्ट और सोसायटी दान और विभिन्न कल्याणकारी गतिविधियों जैसे सार्वजनिक स्वास्थ्य, शिक्षा आदि के नाम पर दान, व्यापार योगदान आदि के माध्यम से घरेलू और विदेशी फंड जुटा रहे हैं’.
एजेंसी का आरोप है कि इन एनजीओ के लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल-मुजाहिदीन जैसे प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों से संबंध हैं.
एनआईए के मुताबिक, ‘ऐसे एनजीओ, ट्रस्ट और सोसायटी द्वारा एकत्र किए गए धन को एक बड़ी आपराधिक साजिश के हिस्से के रूप में कश्मीर घाटी में अलगाववादी और आतंकवादी गतिविधियों को बनाए रखने के लिए दिल्ली, जम्मू कश्मीर और भारत के अन्य हिस्सों में स्थित कैश कुरियर, हवाला व्यापारियों जैसे विभिन्न चैनलों के माध्यम से जम्मू कश्मीर भेजा जाता है. यह भारत की एकता, अखंडता, संप्रभुता और सुरक्षा के लिए हानिकारक है.’
मामले पर एजेंसी की टिप्पणी में कहा गया है, ‘ये एनजीओ, ट्रस्ट और सोसायटी और उनके सदस्य, शब्दों और लिखित माध्यमों से भारत सरकार के प्रति घृणा, अवमानना और असंतोष लाने के लिए राष्ट्र-विरोधी और आपत्तिजनक सामग्री प्रकाशित करते हैं.’
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