अगर भारत की मूल जनसांख्यिकीय रूपरेखा बदल जाती है, तो संविधान नष्ट हो जाएगा: मद्रास हाईकोर्ट जज

मद्रास हाईकोर्ट के न्यायाधीश जीआर स्वामीनाथन ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा है कि अगर देश की जनसांख्यिकीय प्रोफाइल बदलती है, तो संविधान नष्ट हो जाएगा. जनसांख्यिकीय प्रोफाइल को बनाए रखने के लिए भारतीय परंपराओं और धर्मों का पालन करना होगा. राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने इस टिप्पणी की आलोचना की है.

जस्टिस जीआर स्वामीनाथन. (इलस्ट्रेशन: द वायर)

मद्रास हाईकोर्ट के न्यायाधीश जीआर स्वामीनाथन ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा है कि अगर देश की जनसांख्यिकीय प्रोफाइल बदलती है, तो संविधान नष्ट हो जाएगा. जनसांख्यिकीय प्रोफाइल को बनाए रखने के लिए भारतीय परंपराओं और धर्मों का पालन करना होगा. राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने इस टिप्पणी की आलोचना की है.

जस्टिस जीआर स्वामीनाथन. (इलस्ट्रेशन: द वायर)

नई दिल्ली: मद्रास हाईकोर्ट के न्यायाधीश जीआर स्वामीनाथन ने बीते 2 अप्रैल को एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि भारतीय संविधान के अस्तित्व में बने रहने के लिए सटीक ‘जनसांख्यिकीय प्रोफाइल, जो संविधान का मसौदा तैयार करने के समय मौजूद थी’ को बनाए रखना आवश्यक था.

लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा, ‘संविधान सभी के लिए अंतिम सत्य है… अगर संविधान को वही रहना है, तो संविधान के निर्माण के समय मौजूद जनसांख्यिकीय प्रोफाइल को बनाए रखना होगा. केवल जब जनसांख्यिकीय प्रोफाइल समान रहती है, तो संविधान वही रहेगा. यदि जनसांख्यिकीय प्रोफाइल बदलती है, तो संविधान नष्ट हो जाएगा.’

जस्टिस स्वामीनाथन ने कहा कि ‘जनसांख्यिकीय प्रोफाइल’ को बनाए रखने के लिए ‘भारतीय परंपराओं’ और ‘धर्मों’ का पालन करना होगा, जो कि मौजूद हैं.

एक पुस्तक विमोचन समारोह में तमिल में बोलते हुए जस्टिस स्वामीनाथन ने तमिल कवि-संत अंडाल के भजनों की व्याख्या की. उनके अनुसार, कवि लोगों से ‘जागने’ के लिए कहते हैं. उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि लोगों को जागना चाहिए, क्योंकि ‘भारतीय समाज’ ‘बहुत खतरे में’ था.

इस समारोह में विवादास्पद भाजपा नेता एच. राजा भी एक वक्ता थे.

उनके शब्द थे, ‘जब अंडाल ने अपने भजनों में लोगों को नींद से जगाने के लिए कहा, तो मुझे लगा कि वह भारतीय समाज को जगाने के लिए कह रही थीं, जो यह जाने बिना कि यह बहुत खतरे में है, शांति से सो रहा था.’

उन्होंने कहा कि चूंकि वह एक जज हैं, इसलिए वह कोई और टिप्पणी नहीं कर सकते हैं.

टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने टिप्पणी की कि ‘अगर न्यायाधीशों की ऐसी मानसिकता है तो संविधान जीवित नहीं रह पाएगा’.

उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ‘जस्टिस जीआर स्वामीनाथन (मद्रास हाईकोर्ट): अगर देश की’ जनसांख्यिकीय प्रोफाइल ‘बदल दी जाती है तो संविधान का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा… एक न्यायाधीश के रूप में मैं इससे आगे नहीं बोल सकता… मुझे उम्मीद है कि आप समझ गए होंगे’. मेरी राय- यदि न्यायाधीशों की ऐसी मानसिकता है तो संविधान जीवित नहीं रह सकता है.’

इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

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