जनवरी में कई पहलवानों ने आरोप लगाया था कि कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष भाजपा सांसद बृज भूषण शरण सिंह कई वर्षों से महिला खिलाड़ियों का यौन उत्पीड़न कर रहे हैं, जिसके बाद जांच के लिए निगरानी समिति का गठन किया गया था. अब एक समिति सदस्य द्वारा इसकी रिपोर्ट पर आपत्ति जताने की बात सामने आई है.
नई दिल्ली: भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाले ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पुनिया ने अब सिंह के खिलाफ आरोपों की जांच पर सवाल उठाए हैं.
पुनिया ने द न्यूज इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘हाल ही में एक समाचार रिपोर्ट में दावा किया गया था कि आरोपों की जांच के लिए खेल मंत्रालय द्वारा गठित निरीक्षण समिति के सदस्यों में से एक इसकी अंतिम रिपोर्ट से सहमत नहीं थे. यह दिखाता है कि समिति या मंत्रालय द्वारा कुछ संदिग्ध किया जा रहा है. कोई कुछ गलत कर रहा है.’
मालूम हो कि देश के कुछ शीर्ष पहलवानों द्वारा भारतीय कुश्ती महासंघ के तत्कालीन अध्यक्ष भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन दुर्व्यवहार और उत्पीड़न के आरोप लगाए थे. इस मामले में विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया सहित कुछ प्रमुख पहलवानों ने डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष के खिलाफ बीते जनवरी में दिल्ली स्थित जंतर मंतर पर धरना भी दिया था.
विश्व चैंपियनशिप की पदक विजेता और ओलंपियन पहलवान विनेश फोगाट ने 18 जनवरी को आरोप लगाया था कि कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह कई वर्षों से महिला पहलवानों का यौन शोषण कर रहे हैं.
उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि कुश्ती महासंघ के पसंदीदा कोच महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार करते हैं और उन्हें परेशान करते हैं. उन्होंने बृजभूषण शरण सिंह पर लड़कियों का यौन उत्पीड़न करने और टोक्यो ओलंपिक 2020 में उनकी हार के बाद उन्हें ‘खोटा सिक्का’ कहने का भी आरोप लगाया था.
पहलवानों के कई हफ्तों के विरोध के बाद 23 जनवरी को केंद्रीय खेल मंत्रालय ने ओलंपिक पदक विजेता और मुक्केबाज़ मैरी कॉम की अध्यक्षता में छह सदस्यीय समिति का गठन किया था.
समिति के अन्य सदस्यों में टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (TOPS) के पूर्व सीईओ कैप्टन राजगोपालन, स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साई) की पूर्व कार्यकारी निदेशक (टीम) राधिका श्रीमन, पूर्व बैडमिंटन राष्ट्रीय चैंपियन तृप्ति मुरगुंडे, ओलंपिक विजेता योगेश्वर दत्त और राष्ट्रमंडल कुश्ती चैंपियन बबीता फोगाट शामिल थीं. सदस्यों को लेकर पहलवानों के नाराजगी जताने के बाद बबीता को समिति में शामिल किया गया था.
बीते दिनों इस समिति के एक सदस्य ने गोपनीयता की शर्त पर स्पोर्ट्सस्टार से बातचीत में कहा था कि उन्हें समिति के रिपोर्ट तैयार करने के तरीके पर आपत्ति थी, तो उन्होंने इस पर अपनी आपत्तियां दर्ज करवाते हुए दस्तखत किए हैं.
इन सदस्य का कहना था, ‘रिपोर्ट को खेल मंत्रालय को सौंपे जाने से पहले समिति के सदस्यों को उस पर हस्ताक्षर करने होते थे. मैंने रिपोर्ट पर दस्तखत करते हुए अपनी आपत्तियों के बाबत भी लिखा है.’
उन्होंने जोड़ा, ‘मुझे अंतिम रिपोर्ट को पूरी तरह से पढ़ने की अनुमति नहीं दी गई थी और मैंने इस पर आपत्ति जताई थी. 5 अप्रैल को खेल मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपी गई और उस सुबह मुझे एहसास हुआ कि कुछ आपत्तियां जो मैंने पहले उठाई थीं, उन्हें रिपोर्ट में शामिल नहीं किया गया था. जब मैंने समिति से इन बिंदुओं को शामिल करने के लिए कहा, तो ऐसा नहीं किया गया. मैंने दस्तखत किए और अपना विरोध दर्ज कराया.’
उन्होंने यह भी कहा, ‘मैंने अपनी आपत्ति में लिखा है कि गवाहों या कुश्ती महासंघ द्वारा प्रस्तुत कोई दस्तावेज या गवाहों के बयान की रिकॉर्डिंग समिति के सदस्यों के साथ साझा नहीं की गई थी. किसी भी गवाह के बयान पर न तो गवाह, न ही समिति के सदस्यों द्वारा हस्ताक्षर किए गए. हमने किसी भी गवाह के साथ क्रॉस-चेकनहीं किया न कोई पुष्टि की गई कि उनकी गवाही सही थी या गलत. हमने केवल वही रिकॉर्ड किया जो कहा गया था. कुछ लोग थे, जिन्हें एक पक्ष की ओर बोलने को लेकर प्रोत्साहन मिला.’
समिति सदस्य के इस बयान को लेकर बजरंग पुनिया ने द न्यू इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘आपके अखबार के जरिये मैं इस देश की जनता को बताना चाहता हूं कि महिला पहलवानों ने डब्ल्यूएफआई प्रमुख के खिलाफ जो बयान दिए हैं उन्हें सार्वजनिक किया जाना चाहिए ताकि उन्हें भी सच्चाई का पता चल सके. पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की गई थी. ये वीडियो न्यूज चैनलों पर चलाए जाने चाहिए. इन बयानों को सार्वजनिक किया जाना चाहिए ताकि यह तय किया जा सके कि वह (सिंह) दोषी थे या नहीं. मुझे नहीं पता कि कौन उन्हें बचाना चाहता है, कौन उनका समर्थन कर रहा है. हमें सरकार पर भरोसा था कि वह हमारे साथ इंसाफ करेगी, हालांकि जैसे चीजें चल रही हैं, हमें नहीं लगता कि सरकार हमारा साथ देगी या सच्चाई के साथ जाएगी.’
इस बीच, द प्रिंट की खबर बताती है कि डब्ल्यूएफआई द्वारा घोषित दो आगामी कार्यक्रम भी सवालों के घेरे में आ गए हैं, क्योंकि वे बृजभूषण सिंह के गढ़– उत्तर प्रदेश के गोंडा में आयोजित किए जा रहे हैं. 16 अप्रैल को अंडर-17 नेशनल चैंपियनशिप और 18 अप्रैल को सीनियर ओपन नेशनल रैंकिंग रेसलिंग टूर्नामेंट दोनों नंदिनी नगर महाविद्यालय में होने वाले हैं, जिसकी स्थापना सिंह ने की थी.
डब्ल्यूएफआई के महासचिव वीएन प्रसाद ने द प्रिंट को बताया कि कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे थे क्योंकि जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी.
पुनिया ने इसे लेकर कहा कि डब्ल्यूएफआई का शिकायतकर्ताओं या जनता को जांच के निष्कर्षों को बताए दोबारा बिना काम शुरू करना अनुचित था.
उन्होंने कहा, ‘डब्ल्यूएफआई ने अपनी गतिविधियों को फिर से शुरू कर दिया है, भले ही निगरानी समिति की रिपोर्ट अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है. हमें नहीं पता कि समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंपी है या नहीं. हमारे पास अभी तक इसकी कोई जानकारी नहीं है
गौरतलब है कि फरवरी महीने में विनेश फोगाट ने आरोप लगाया था कि निगरानी समिति के सदस्य ने संवेदनशील सूचनाएं लीक कर रहे हैं.