10 राज्यों और 7 केंद्रशासित प्रदेशों ने अब तक राज्य अल्पसंख्यक आयोग का गठन नहीं किया

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा के अनुसार, वह सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर इन आयोगों के गठन का आग्रह करते रहे हैं, लेकिन अब तक के आंकड़ों से पता चलता है कि सिर्फ़ 17 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेश दिल्ली ने ही इनका गठन किया है.

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(प्रतीकात्मक फोटो साभार: फेसबुक)

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा के अनुसार, वह सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर इन आयोगों के गठन का आग्रह करते रहे हैं, लेकिन अब तक के आंकड़ों से पता चलता है कि सिर्फ़ 17 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेश दिल्ली ने ही इनका गठन किया है.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: बार-बार अनुरोध और रिमाइंडर के बावजूद जम्मू और कश्मीर सहित 10 राज्यों और सात केंद्रशासित प्रदेशों ने अब तक राज्य अल्पसंख्यक आयोगों का गठन नहीं किया है.

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर इन आयोगों के गठन का आग्रह करते रहे हैं, लेकिन अब तक के आंकड़ों से पता चलता है कि सिर्फ 17 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेश दिल्ली ने ही इनका गठन किया है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारियों ने कहा कि आयोग की कमी स्पष्ट रूप से चिंता का विषय है.

जिन राज्यों ने अब तक आयोगों का गठन नहीं किया है, उनमें गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा, गोवा, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड और त्रिपुरा शामिल हैं.

सात केंद्र शासित प्रदेश – जम्मू कश्मीर, लद्दाख, चंडीगढ़, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, दमण और दीव और दादरा तथा नागर हवेली, लक्षदीप और पुदुचेरी में भी इनका गठन नहीं किया गया है.

उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर, असम, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल में राज्य अल्पसंख्यक आयोग स्थापित किए गए हैं.

टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए लालपुरा ने कहा, ‘यह चिंता का विषय है, लेकिन मैं उन राज्यों पर दबाव डालता रहता हूं, जिन्होंने अब तक आयोगों का गठन नहीं किया है.’

दिसंबर 2022 में मुख्यमंत्रियों को लिखे अपने एक पत्र में लालपुरा ने कहा था, ‘यह एक तथ्य है कि हर राज्य में सरकार द्वारा अधिसूचित अल्पसंख्यकों को उन समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जो उनके कल्याण के साथ-साथ उनके विकास को भी प्रभावित करती हैं. यह लंबे समय से महसूस किया गया है कि अल्पसंख्यकों के लिए राष्ट्रीय आयोग के अलावा राज्य स्तर पर त्वरित और आवश्यकता-आधारित हस्तक्षेप के लिए प्रत्येक प्रदेश का अपना अल्पसंख्यक आयोग होना चाहिए.’

उन्होंने राज्यों से जल्द से जल्द इनकी स्थापना करने का आग्रह किया.

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम, 1992 का उद्देश्य अधिसूचित अल्पसंख्यकों यानी मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन और पारसी के हितों की रक्षा के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक संस्थागत तंत्र सुनिश्चित करना है.

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