जनवरी माह में उपजे भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह द्वारा महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न किए जाने को लेकर पहलवान फिर धरने पर हैं. अब खिलाड़ियों ने आरोप लगाया है कि शिकायतकर्ताओं पर दबाव डाला जा रहा है. डब्ल्यूएफआई अधिकारी उनके घर जाकर पैसे की पेशकश कर रहे हैं.
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग करने वाली सात पहलवानों की याचिका पर मंगलवार को नोटिस जारी किया.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, याचिका पर विचार करने वाली भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके अंतरराष्ट्रीय पहलवानों की ओर से यौन उत्पीड़न के संबंध में याचिका में लगाए गए आरोप गंभीर हैं.’
पीठ ने आगे कहा कि ‘हमारे विचार में मामले पर अदालत द्वारा विचार करने की जरूरत है.’ नोटिस जारी करते हुए अदालत ने शुक्रवार तक इस पर जवाब मांगा है.
द हिंदू के मुताबिक, अदालत ने औपचारिक नोटिस जारी किया और याचिकाकर्ताओं को दिल्ली सरकार के वकील को अपनी याचिका की प्रतियां देने की स्वतंत्रता दी.
अदालत ने शिकायतकर्ताओं के नाम सार्वजनिक करने के खिलाफ भी फैसला किया और निर्देश दिया कि ‘इन कार्यवाहियों के उद्देश्य से, याचिकाकर्ताओं की पहचान को संशोधित किया जाएगा. याचिका के केवल संशोधित हिस्से को ही सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध कराया जाना चाहिए.’
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि शिकायतकर्ताओं में एक नाबालिग भी शामिल है. उन्होंने कहा कि एक समिति की रिपोर्ट है जिसे सार्वजनिक नहीं किया जा रहा है और कोई एफआईआर दर्ज नहीं की जा रही है.
द हिंदू के मुताबिक, सिब्बल ने कहा कि जिन पुलिस अधिकारियों ने याचिकाकर्ताओं द्वारा की गई यौन उत्पीड़न की शिकायतों के आधार पर प्राथमिकी दर्ज करने से इनकार कर दिया है, उन पर भी मुकदमा चलाया जा सकता है.
सिब्बल बोले, ‘आरोपी के सत्तारूढ़ पार्टी के सांसद होने के कारण एफआईआर दर्ज नहीं की जा रही है.’
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं के पास दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156 के तहत एक उपाय है, जिसके तहत एक मजिस्ट्रेट जांच के लिए आदेश दे सकते हैं.
सिब्बल ने आरोपों की गंभीरता का जिक्र करते हुए कहा, ‘बेशक, हमारे पास उपाय है… लेकिन यह देखिए कि कैसे पुलिस इन आरोपों पर एफआईआर दर्ज नहीं कर रही है… ये यौन उत्पीड़न के आरोप हैं… वीडियो रिकॉर्डिंग मौजूद हैं.’
सिब्बल ने अदालत को बताया, ‘आखिरी शिकायत एक नाबालिग की है. उस वक्त युवती 16 साल की थी.’
खिलाड़ियों ने कहा- शिकायतकर्ताओं को हुई पैसों की पेशकश
इस बीच, जंतर-मंतर पर कुश्ती खिलाड़ियों धरना मंगलवार को भी जारी है.
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, मंगलवार को धरनास्थल जंतर-मंतर पर ही की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने आरोप लगाया कि उन पर अपनी पुलिस शिकायत वापस लेने का दबाव बनाया जा रहा है. ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पुनिया ने आरोप लगाते हुए कहा कि डब्ल्यूएफआई के कुछ लोगों ने शिकायतकर्ताओं से संपर्क किया था और उन्हें पैसों की पेशकश की थी.
उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि यह कैसे हुआ लेकिन जिन लड़कियों ने शिकायत की है उन पर दबाव डाला जा रहा है. डब्ल्यूएफआई अधिकारी उनके घर जा रहे हैं और पैसे की पेशकश कर रहे हैं.’
पुनिया बोले, ‘अगर उन लड़कियों के साथ कुछ होता है, तो पुलिस और सरकार जिम्मेदार होगी. मुझे नहीं पता कि नामों का खुलासा कैसे किया गया.’
विभिन्न अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में देश के लिए पदक जीतने वाले शीर्ष पहलवानों ने कहा कि उनका डब्ल्यूएफआई चुनावों से कोई लेना-देना नहीं है और सिंह पर महिला एथलीटों के यौन उत्पीड़न के आरोपों की उचित जांच के लिए दबाव बनाना जारी रखेंगे.
गौरतलब है कि पहलवानों पर लगातार ऐसे आरोप लगाए जा रहे हैं कि वे डब्ल्यूएफआई के आगामी चुनावों के चलते बृजभूषण शरण सिंह को निशाना बना रहे हैं.
बीते जनवरी माह में भारतीय कुश्ती जगत में तब उथल-पुथल मच गई थी, जब कई अंतरराष्ट्रीय स्तर के पहलवान भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न करने के आरोप लगाकर दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरने पर बैठ गए थे.
खेल मंत्रालय के आश्वासन और एक निगरानी समिति के गठन के बाद उन्होंने धरना खत्म कर दिया था और इस दौरान बृजभूषण को महासंघ के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारियों से अलग कर दिया गया था.
लेकिन, रविवार को यह विवाद तब फिर से सुर्खियों में आ गया, जब अंतरराष्ट्रीय पदक विजेता पहलवान बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और अन्य पहलवानों ने फिर से दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना शुरू कर दिया. पहलवानों की मांग है कि सरकार डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष के खिलाफ आरोपों की जांच करने वाली निगरानी समिति के निष्कर्षों को सार्वजनिक करे. साथ ही, वे चाहते हैं कि दिल्ली पुलिस मामले में एफआईआर दर्ज करे.