एनसीईआरटी ने कक्षा 6 पाठ्यक्रम से भोजन, लोकतंत्र के प्रमुख तत्व, भारत की जलवायु और वन्य जीवन पर आधारित अध्याय भी हटा दिए हैं. कक्षा 7 के समानता के लिए संघर्ष जैसे मुद्दों को भी पाठ्यक्रम से हटा दिया गया है.
नई दिल्ली: राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने कक्षा 10 की पाठ्यपुस्तकों से पीरिऑडिक टेबल (आवर्त सारणी), लोकतंत्र की चुनौतियों और प्राकृतिक संसाधनों के सतत प्रबंधन के अध्यायों को हटा दिया है.
एनसीईआरटी के अनुसार, यह विशेषज्ञों की सिफारिशों के आधार पर पाठ्यक्रम को ‘युक्तिसंगत’ बनाने की कवायद के हिस्से के रूप में किया जा रहा है. इसने कहा कि कोविड-19 महामारी को देखते हुए छात्रों पर पाठ्यक्रम का बोझ कम करना अत्यावश्यक है.
NCERT drops full chapters of Periodic Classification of Element, Democracy, political parties (full page) and Challenges to Democracy from class 10th textbook to reduce the content load on students in view of the COVID-19 pandemic: NCERT (National Council of Educational Research… pic.twitter.com/KsGUh80Wzu
— ANI (@ANI) June 1, 2023
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, एक पूरा अध्याय, जो छात्रों को आवर्त सारणी से परिचित कराता है, को एनसीईआरटी ने कक्षा 10 की विज्ञान की किताब से हटा दिया है. हालांकि, इस विषय पर कक्षा 11 का अध्याय पाठ्यक्रम का हिस्सा बना रहेगा.
आवर्त सारणी तर्कसंगत रूप से रसायन शास्त्र में सिद्धांत और व्यवहार दोनों में सबसे महत्वपूर्ण अवधारणा है.
आवर्त सारणी रासायनिक तत्वों को उनकी संगत विशेषताओं के साथ एक सारणी के रूप में दर्शाने की व्यवस्था है. आवर्त सारणी में रासायनिक तत्व परमाणु क्रमांक के बढ़ते क्रम में सजाए गए हैं और आवर्त, प्राथमिक समूह, द्वितीयक समूह में वर्गीकृत किया गया है. वर्तमान आवर्त सारणी में 118 ज्ञात तत्व शामिल हैं.
यह व्यापक रूप से रसायन विज्ञान, भौतिकी तथा अन्य विज्ञानों में उपयोग किया जाता है और आमतौर पर रसायन विज्ञान के प्रतीक के रूप में देखा जाता है.
एनसीईआरटी की अन्य कक्षाओं के पाठ्यक्रम में भी बदलाव
एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार, एनसीईआरटी कक्षा 6 के छात्र अब भोजन और यह कहां से आता है, इसके बारे में नहीं जान सकेंगे. साथ ही अब लोकतंत्र के प्रमुख तत्वों और भारत की जलवायु और वन्य जीवन पर अध्याय भी पाठ्यक्रम से हटा दिया गया है.
कक्षा 7 के छात्र अब समानता के लिए संघर्ष के बारे में नहीं पढ़ सकेंगे. यह एक ऐसा अध्याय है, जो भारत में असमानता के विभिन्न रूपों में योगदान करने वाले कारकों की व्याख्या करता है.
अध्याय में समानता के लिए प्रसिद्ध संघर्षों जैसे कि महिला आंदोलन और तवा मत्स्य संघ, जो मध्य प्रदेश में विस्थापित वनवासियों के अधिकारों के लिए लड़ता है, के बारे में जानकारी थी.
दो विषय, जो सभी वर्गों में सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं, वे हैं भारत में लोकतंत्र और मुगल शासन, जिन अध्यायों को कक्षा 6, 9, 10, 11 और 12 से हटा दिया गया है.
गरीबी, शांति, विकास, पदार्थ की अवस्था (States of Matter) जैसे अध्याय अब एनसीईआरटी की कक्षा 11 की किताबों का हिस्सा नहीं हैं.
जून 2022 से एनसीईआरटी ने किताबों से विभिन्न अध्याय हटाए
एनसीईआरटी ने जून 2022 में कक्षा 10 की किताबों से विभिन्न अध्यायों को यह कहते हुए हटा दिया था कि ‘कोविड-19 महामारी को देखते हुए छात्रों पर सिलेबस का बोझ कम करना अनिवार्य है.’
पिछले साल डार्विन के विकासवाद के सिद्धांत पर से संबंधित अध्याय कक्षा 10वीं की जीव विज्ञान की किताब से हटा दिया गया था. इस कदम से हैरान 4,000 से अधिक शोधकर्ताओं ने एक खुले पत्र पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें अधिकारियों से सामग्री को बहाल करने के लिए कहा गया था.
शोधकर्ताओं ने संकेत दिया था कि सरकार का कदम भारतीय अधिकारियों द्वारा छद्म विज्ञान को अपनाना है.
जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च के विकासवादी जीवविज्ञानी अमिताभ जोशी ने नेचर पत्रिका को बताया था कि अध्यायों को हटाना ‘एक सर्वांगीण माध्यमिक शिक्षा की धारणा का उपहास’ है.
कैलिफोर्निया के स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में विज्ञान-शिक्षा शोधकर्ता जोनाथन ऑसबॉर्न ने नेचर को बताया कि आवर्त सारणी बताती है कि जीवन के निर्माण खंड कैसे अलग-अलग गुणों वाले पदार्थों को उत्पन्न करने के लिए गठबंधन करते हैं और ‘रसायनशास्त्रियों की महान बौद्धिक उपलब्धियों में से एक है’.
मुंबई में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टिस) में विज्ञान-शिक्षक प्रशिक्षक मैथिली रामचंद ने पत्रिका को बताया, ‘जल, वायु प्रदूषण, संसाधन प्रबंधन से संबंधित सब कुछ हटा दिया गया है.’
उन्होंने कहा, ‘मैं यह नहीं समझ पा रही कि जल और वायु [प्रदूषण] का संरक्षण हमारे लिए कैसे प्रासंगिक नहीं है. वर्तमान में यह और भी अधिक है.’
गौरतलब है कि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने 30 मई को कक्षा 12 के राजनीति विज्ञान की किताब से ‘एक अलग सिख राष्ट्र’ और ‘खालिस्तान’ के संदर्भों को हटाने की घोषणा की थी.
इससे पहले एनसीईआरटी ने पाठ्यपुस्तकों से कुछ हिस्सों को हटाने को लेकर विवाद के बीच भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के लोकप्रिय किसान आंदोलन से संबंधित हिस्से को भी हटा दिया था.
आंदोलन का उल्लेख कक्षा 12वीं की राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में ‘राइज़ ऑफ़ पॉपुलर मूवमेंट्स’ नामक अध्याय में किया गया था. हटाए गए हिस्से में बताया गया था कि यूनियन 80 के दशक के किसान आंदोलन में अग्रणी संगठनों में से एक था.
इसी तरह एनसीईआरटी की कक्षा 11 की राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक ‘इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन ऐट वर्क’ के पहले अध्याय से देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद के संदर्भ और उसी पाठ्यपुस्तक के अध्याय 10 में उल्लिखित जम्मू कश्मीर के भारत में विलय से जुड़ी वह शर्त हटा दी गई है, जिसमें इसे संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत स्वायत्त बनाए रखने की बात कही गई थी.
इस कड़ी में 12वीं कक्षा की इतिहास की किताबों से मुगलों और 2002 के गुजरात दंगों पर सामग्री को हटाना और महात्मा गांधी पर कुछ अंश हटाया जाना शामिल है.
उल्लेखनीय है कि एनसीईआरटी ऐसा पहले भी कर चुका है. 2022 में एनसीईआरटी ने पाठ्यक्रम से पर्यावरण संबंधी अध्याय हटा दिए थे, जिस पर शिक्षकों ने विरोध जताया था.
इसी तरह, कोविड के समय एनसीईआरटी ने समाजशास्त्र की किताब से जातिगत भेदभाव से संबंधित सामग्री हटाई थी. इससे पहले कक्षा 12 की एनसीईआरटी की राजनीतिक विज्ञान की किताब में जम्मू कश्मीर संबंधी पाठ में बदलाव किया था.
वहीं, कक्षा 10वीं की इतिहास की किताब से राष्ट्रवाद समेत तीन अध्याय हटाए थे. उसके पहले 9वीं कक्षा की किताबों से त्रावणकोर की महिलाओं के जातीय संघर्ष समेत तीन अध्याय हटाए गए थे.
वहीं, 2018 में भी एक ऐसे ही बदलाव में कक्षा 12वीं की राजनीतिक विज्ञान की किताब में ‘गुजरात मुस्लिम विरोधी दंगों’ में से ‘मुस्लिम विरोधी’ शब्द हटा दिया था.
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