प्रदर्शनकारी पहलवानों द्वारा आंदोलन से हटने की ख़बरों को अफ़वाह बताने समेत अन्य खबरें

द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.

(फोटो: द वायर)

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भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे पहलवानों की केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलने की ख़बर आई है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, शनिवार देर रात  प्रदर्शनकारी पहलवानों के एक प्रतिनिधिमंडल ने शाह से नई दिल्ली स्थित उनके सरकारी आवास पर मुलाकात की, जिसमें बजरंग पुनिया और साक्षी मलिक के साथ कई कोच भी शामिल हुए. सोमवार को मलिक और पुनिया रेलवे विभाग में अपनी नौकरी पर पहुंचे थे, जिसके बाद उनके आंदोलन छोड़ने की ख़बरें प्रसारित होने लगीं. हालांकि, पहलवानों ने फ़ौरन इनका खंडन किया और इन्हें उनके आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश क़रार दिया.

वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़े मुकदमों के मुख्य पक्षकार ने केस वापस लेने की घोषणा की है. हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, हिंदू संगठन ‘विश्व वैदिक सनातन संघ’ के प्रमुख जितेंद्र सिंह विसेन ने घोषणा की है कि वह और उनका परिवार वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर से संबंधित सभी मामलों को वापस ले रहे हैं. उन्होंने ‘संसाधनों की कमी’ और विभिन्न तबकों द्वारा कथित ‘उत्पीड़न’ का हवाला दिया है. अगस्त 2021 में जितेंद्र के नेतृत्व में राखी सिंह तथा अन्य ने वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद की पश्चिमी दीवार के पास स्थित शृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन की मांग की थी. इससे पहले विसेन के वकील शिवम गौड़ ने विसेन परिवार की तरफ से यह मुकदमा न लड़ने की घोषणा करते हुए इस परिवार पर अस्पष्टवादिता और संपर्कहीनता का आरोप लगाया था.

उत्तर प्रदेश के बांदा की एक जेल में बंद गैंगस्टर से राजनेता बने मुख्तार अंसारी को बत्तीस साल पुराने हत्या के एक मामले में दोषी क़रार दिया गया. टेलीग्राफ के अनुसार, वाराणसी की एमपी-एमएलए अदालत ने अंसारी को कांग्रेस नेता अवधेश राय की हत्या का दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है. 3 अगस्त, 1991 को वाराणसी में कांग्रेस नेता अवधेश राय की उनके घर के सामने गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. मामले में मुख़्तार अंसारी व अन्य के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया था. 2005 से जेल में बंद अंसारी को बीते अप्रैल में भाजपा विधायक कृष्णानंद राय के अपहरण और हत्या से संबंधित मामले में दोषी ठहराया गया है.

नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने कहा है कि भारत-पाकिस्तान जब तक बातचीत शुरू नहीं करेंगे, कश्मीर की स्थिति नहीं सुधरेगी. टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, अब्दुल्ला ने कहा कि कश्मीर में जी-20 कार्यक्रम आयोजित करने से घाटी में पर्यटन को तब तक लाभ नहीं होगा, जब तक कि भारत और पाकिस्तान बातचीत के जरिये इस सूबे के ‘भविष्य’ का समाधान नहीं निकाल लेते. उन्होंने यह भी जोड़ा कि लोकतंत्र तब होता है, जब एक निर्वाचित सरकार होती है. एक राज्यपाल और उनके सलाहकार पूरे राज्य की देखभाल नहीं कर सकते. ये विधायक होते हैं, जो अपने क्षेत्रों की देखभाल करते हैं, इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि यहां चुनाव हो.

जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा है कि सरकार ने जैसे किसानों से माफ़ी मांगी थी, वैसे ही बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे पहलवानों से मांगेगी. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, मलिक ने हरियाणा के सोनीपत जिले में प्रदर्शनकारी पहलवानों के समर्थन में हुई ‘सर्व समाज समर्थन पंचायत’ नामक महापंचायत को संबोधित कर रहे थे. यहां मलिक ने यह भी कहा कि ‘बृजभूषण को (उनके पद से) हटा दिया जाएगा और जो सरकार उनका समर्थन कर रही है, उसे भी 2024 में शत-प्रतिशत हटा दिया जाएगा.’

मुंबई की एक स्थानीय अदालत ने कहा है कि किसी महिला सहकर्मी के फिगर पर टिप्पणी करना, साथ बाहर चलने के लिए पूछना यौन उत्पीड़न है. टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, मुंबई की निजी कंपनी के एक असिस्टेंट मैनेजर और सेल्स मैनेजर पर संस्थान की फ्रंट ऑफिस एक्ज़िक्यूटिव के यौन उत्पीड़न का आरोप है. एक सत्र अदालत ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि महिला सहकर्मी के फिगर की तारीफ करना, उन्हें यह कहना कि उन्होंने खुद को बहुत अच्छे से मेंटेन किया हुआ है और बार-बार बाहर साथ चलने के लिए पूछना अभद्र भाषा के इस्तेमाल और उनकी (महिला) गरिमा को ठेस पहुंचाने के समान है.

बिहार में एक निर्माणाधीन पुल के गिरने का वीडियो सामने आने के बाद राजनीतिक खींचतान देखने को मिली. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, भागलपुर जिले में रविवार शाम को गंगा नदी पर निर्माणाधीन पुल का 200 मीटर का हिस्सा ढह गया. ठीक एक साल पहले इसी तरह की एक और घटना इसी पुल पर घटी थी. पुल ढहने के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए थे, जिसकी विपक्षी भाजपा ने तीखी आलोचना की. इसके बाद बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और सड़क निर्माण विभाग के अधिकारियों ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि निर्माणाधीन पुल में कई गंभीर खामियां मिली थीं, जिसके कारण पुल के कुछ हिस्सों को गिराने का फैसला किया गया. रविवार की घटना ऐसी ही एक कवायद का हिस्सा थी.

मणिपुर में हुई हालिया हिंसा की जांच के लिए केंद्र सरकार ने एक रिटायर्ड जज की अगुवाई में तीन सदस्यीय समिति गठित की है. टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, समिति की अध्यक्षता गौहाटी उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अजय लांबा करेंगे. इसमें सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी हिमांशु शेखर और सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी आलोक प्रभाकर भी शामिल हैं. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा है कि समिति को इसकी पहली बैठक की तारीख़ से छह महीने के भीतर रिपोर्ट देनी है. मंत्रालय की एक अधिसूचना में कहा गया है कि समिति विभिन्न समुदायों के सदस्यों को लक्षित हिंसा, दंगों के कारणों और प्रसार की जांच करेगी. साथ ही, हिंसा से पहले की घटनाओं पर गौर करते हुए यह देखेगी कि क्या विभिन्न अधिकारियों की ओर से कोई चूक हुई थी.