कर्नाटक: सीएए-एनआरसी पर नाटक करने के लिए स्कूल के ख़िलाफ़ दर्ज राजद्रोह का मुकदमा रद्द

जनवरी 2020 में कर्नाटक के बीदर स्थित शाहीन स्कूल के कुछ छात्रों ने सीएए और एनआरसी के ख़िलाफ़ हुए एक नाटक में भाग लिया था, तब पुलिस ने राजद्रोह और आईपीसी की अन्य धाराओं के तहत केस दर्ज किया था.

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कर्नाटक के बीदर स्थित स्कूल के अधिकारियों के साथ एक बच्चे से पूछताछ करती दिख रही पुलिस. (फोटो: वीडियोग्रैब)

जनवरी 2020 में कर्नाटक के बीदर स्थित शाहीन स्कूल के कुछ छात्रों ने सीएए और एनआरसी के ख़िलाफ़ हुए एक नाटक में भाग लिया था, तब पुलिस ने राजद्रोह और आईपीसी की अन्य धाराओं के तहत केस दर्ज किया था.

कर्नाटक के बीदर स्थित स्कूल के अधिकारियों के साथ एक बच्चे से पूछताछ करती दिख रही पुलिस. (फोटो: स्पेशल अरेंजमेंट)

नई दिल्ली: विवादास्पद नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और  राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) पर आधारित एक नाटक के मंचन के लिए बीदर के स्कूल के खिलाफ शुरू की गई कार्रवाई को कर्नाटक हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है.

इस नाटक का मंचन कक्षा 4, 5 और 6 के बच्चों द्वारा साल 2020 में किया गया था.

लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस हेमंत चंदनगौदर की एकल-न्यायाधीश पीठ ने कार्यवाही को चुनौती देने वाली याचिकाओं को अनुमति देते हुए बीदर में शाहीन स्कूल के प्रबंधन के चार सदस्यों के खिलाफ शुरू की गई कार्रवाई को रद्द कर दिया.

इनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की राजद्रोह, शत्रुता को बढ़ावा देने और उकसाने सहित की विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया था.

हाईकोर्ट की कलबुर्गी पीठ के समक्ष याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अमीत कुमार देशपांडे ने पुष्टि की कि कार्रवाई को रद्द कर दिया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक विस्तृत आदेश अभी उपलब्ध नहीं है.

मीडिया से बात करते हुए शाहीन ग्रुप ऑफ इंस्टिट्यूशंस के अध्यक्ष अब्दुल कदीर ने कहा कि न्याय देने की अदालत की क्षमता में उनका विश्वास सही साबित हुआ है. उन्होंने स्कूल प्रबंधन का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों और इसके साथ खड़े रहने वाले शुभचिंतकों का धन्यवाद दिया.

जनवरी 2020 में जब देश के कई हिस्सों में सीएए और एनआरसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे थे, तब शाहीन स्कूल के कुछ छात्रों ने एक नाटक में भाग लिया था, जो संबंधित कानूनों के खिलाफ था.

एबीवीपी सदस्य नीलेश रक्षयाल द्वारा दायर एक शिकायत पर कार्रवाई करते हुए बीदर न्यू टाउन पुलिस ने कानूनों के बारे में ‘राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों’ और ‘नकारात्मक राय फैलाने’ के लिए स्कूल के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी.

पुलिस ने कथित तौर पर नाटक के बारे में 85 से अधिक छात्रों से पूछताछ की थी, जो नाबालिग थे. तब पुलिस के व्यवहार पर चिंता जताई गई थी. कहा गया था कि, ‘छात्रों के लिए पुलिस एक बहुत ही प्रतिकूल वातावरण बना रही है, जिससे उनकी शिक्षा और मानसिक स्थिति प्रभावित होगी.’

कर्नाटक राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा पुलिस को फटकार लगाने के बाद ही छात्रों से पूछताछ बंद हुई थी.

नाटक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में डायलॉग बोलने वाले एक छात्र की मां नजबुन्निसा और स्कूल की प्रिंसिपल फरीदा बेगम को पुलिस ने 30 जनवरी 2020 को गिरफ्तार किया था. उन्हें लगभग दो सप्ताह बाद जमानत मिल पाई थी. इस दौरान नजबुन्निसा की बेटी को रिश्तेदारों के यहां रहना पड़ा, क्योंकि वह सिंगल पैरेंट है.

बीदर की जिला और सत्र अदालत ने मार्च 2020 में स्कूल के प्रबंधन का हिस्सा रहे पांच लोगों को अग्रिम जमानत देते हुए फैसला सुनाया कि नाटक की सामग्री राजद्रोह की श्रेणी में नहीं आती है.

जज ने कहा था, ‘मेरे विचार से यह डायलॉग नफरत, अवमानना और सरकार के प्रति कोई असहमति प्रकट नहीं करता.’ उन्होंने कहा था कि देशभर में सीएए-एनआरसी के खिलाफ और समर्थन में रैली और प्रदर्शन हो रहे हैं और हर नागरिक को कानून के दायरे में रहते हुए सरकार के तरीकों पर असहमति जताने का अधिकार है. डायलॉग स्कूल में एक नाटक के मंचन के दौरान व्यक्त किए गए थे.

ज्ञात हो कि शीर्ष अदालत ने 11 मई 2022 को एक अभूतपूर्व आदेश के तहत देश भर में राजद्रोह के मामलों में सभी कार्यवाहियों पर तब तक के लिए रोक लगा दी थी, जब तक कोई ‘उचित’ सरकारी मंच इसका पुन: परीक्षण नहीं कर लेता.

शीर्ष अदालत ने केंद्र एवं राज्य सरकारों को आजादी के पहले के इस कानून के तहत कोई नई एफआईआर दर्ज नहीं करने के निर्देश भी दिए थे.

केंद्र सरकार ने उस समय शीर्ष अदालत में एक हलफनामा प्रस्तुत किया था जिसमें कहा गया था कि कानून वर्तमान सामाजिक परिवेश के अनुरूप नहीं है. विधि आयोग ने हाल ही में सुझाव दिया है कि कानून को बरकरार रखा जाना चाहिए और इसे और अधिक कठोर बनाया जाना चाहिए.

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