द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
फर्जी ख़बरों और सूचनाओं की करने वाले विभिन्न फैक्ट-चेक मंचों को अब केंद्र सरकार से पंजीकरण लेने की जरूरत हो सकती है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट बताती है कि आगामी डिजिटल इंडिया विधेयक के तहत एक महत्वपूर्ण प्रावधान के रूप में वर्तमान में इस पर विचार किया जा रहा है. रिपोर्ट में एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से बताया गया है कि पंजीकरण योजना को विभिन्न चरणों में होगी, जिसमें पुरानी और प्रतिष्ठित मीडिया कंपनियों की फैक्ट-चेक इकाइयों को पहले चरण में रजिस्टर किया जाएगा. ऐसा माना जा रहा है कि यह उनसे अधिक जवाबदेही मांगने की सरकारी योजना का हिस्सा है.
मणिपुर में बीते करीब पचास दिन से जारी जातीय हिंसा के बीच आखिरकार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस पर चर्चा के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई है. बुधवार देर रात गृह मंत्रालय के प्रवक्ता के ट्विटर हैंडल से बताया गया कि 24 जून को अपराह्न तीन बजे नई दिल्ली में बुलाई गई सभी दलों की इस बैठक में ‘मणिपुर की स्थिति’ पर चर्चा की जाएगी. उधर राज्य में हिंसा की घटनाएं जारी हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, बुधवार को ही बिष्णुपुर जिले में एक आईईडी विस्फोट में एक आठ वर्षीय लड़का और दो किशोर घायल हो गए. कांगपोकपी जिले के दो गांवों में भी अंधाधुंध गोलीबारी हुई. राज्य में जारी छिटपुट हिंसा के बीच जहां विपक्षी नेता और निवासियों का एक वर्ग इस बात पर जोर दे रहा है कि मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह हिंसा को संभालने में असमर्थ हैं. वहीं, मुख्यमंत्री ने हिंसा के लिए ‘म्यांमार के घुसपैठियों’ को जिम्मेदार ठहराया है.
उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर की एक जेल में दो क़ैदियों के शव पेड़ से लटके मिलने की घटना सामने आई है. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, अमेठी में हत्या के एक मामले में क्रमशः 19 और 21 साल के दो युवकों को करीब तीन हफ्ते पहले गिरफ्तार किया गया था. जेल अधीक्षक का कहना है कि बुधवार दोपहर को एक जेल वार्डर ने उन्हें उनके बैरक के पीछे पेड़ से लटकते हुए देखा. मामले की जांच के आदेश देते हुए अधिकारियों ने आत्महत्या का मामला होने की आशंका जाहिर की है.
गोवा में हो रहे एक हिंदुत्ववादी सम्मलेन में शामिल संगठनों ने हिंदुओं से आह्वान किया है कि वे अगले साल चुनावों में हिंदू राष्ट्र का समर्थन करने वाले उम्मीदवारों को वोट दें. ओ हेराल्डो के अनुसार, पणजी में आयोजित हिंदू जनजागृति समिति के सम्मेलन में हिंदू मतदाताओं से अपील की गई कि वे मुफ्त बिजली, मुफ्त लैपटॉप और अन्य मुफ्त चीजों के वादों के आगे न झुकें, केवल उन्हीं उम्मीदवारों का समर्थन करें, जो देश में गोहत्या पर प्रतिबंध, धर्मांतरण विरोधी क़ानून और हिंदू देवी-देवताओं, हिंदू धर्म और हिंदू जीवनशैली का मज़ाक उड़ाने वालों को दंडित करने के लिए क़ानून को सख़्त बनाने का समर्थन करते हैं.
मणिपुर में जारी हिंसा और सरकार के सर्वदलीय बैठक बुलाए जाने की घोषणा के बीच कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि इस हिंसा ने राष्ट्र की अंतरात्मा पर गहरा आघात किया है. उन्होंने एक वीडियो संदेश में कहा, ‘लगभग 50 दिनों में हमने मणिपुर में एक बड़ी मानवीय त्रासदी देखी है. अभूतपूर्व हिंसा ने राज्य के लोगों के जीवन को तबाह कर दिया है और हजारों लोगों को विस्थापित कर दिया है. इस हिंसा ने हमारे राष्ट्र की अंतरात्मा पर गहरा आघात किया है.’ उन्होंने जोड़ा कि भाईचारे की भावना को बढ़ावा देने के लिए जबरदस्त विश्वास और सद्भावना की जरूरत होती है और नफरत और विभाजन की आग को भड़काने के लिए एक ही गलती काफी होती है.
नई दिल्ली की साउथ एशियन यूनिवर्सिटी (एसएयू) ने अपने चार फैकल्टी सदस्यों को छात्र आंदोलन ‘भड़काने’ के आरोप में निलंबित कर दिया है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, यह कार्रवाई स्नातकोत्तर छात्रों के लिए मासिक वजीफे में कटौती के विरोध में पिछले साल छात्रों के कई महीने चले विरोध प्रदर्शन के बाद की गई है. यूनिवर्सिटी ने उन्हें कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है. चारों शिक्षकों पर विश्वविद्यालय की आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए ‘इसके हितों के खिलाफ छात्रों को भड़काने’ का आरोप लगाया गया है. निलंबित किए गए एक शिक्षक ने अख़बार से बातचीत में इसे ‘लक्षित कार्रवाई’ करार दिया है.
ट्विटर प्रमुख एलन मस्क ने कहा कि सोशल मीडिया मंच के पास विभिन्न देशों के क़ानून मानने या बंद होने के जोख़िम के अलावा कोई और रास्ता नहीं है. दि प्रिंट के अनुसार, मस्क से बीते दिनों ट्विटर के सह-संस्थापक और पूर्व मालिक जैक डोर्सी द्वारा भारत सरकार पर दबाव डालने के आरोपों के बारे में पूछा गया था. न्यूयॉर्क में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद उन्होंने कहा कि अगर हम स्थानीय सरकार के कानूनों का पालन नहीं करते हैं तो बंद हो जाएंगे. मस्क ने यह भी जोड़ा कि विभिन्न सरकारों के अलग-अलग नियम और कानून होते हैं और वे कानून के तहत संभव सबसे स्वतंत्र अभिव्यक्ति प्रदान करने के लिए पूरी कोशिश करेंगे.
केंद्र सरकार ने बड़े पैमाने पर हुई आलोचना के बाद पशुधन और पशुधन उत्पाद (आयात और निर्यात) विधेयक, 2023 का मसौदा वापस ले लिया है. अमर उजाला के अनुसार, बीते दिनों जारी ड्राफ्ट में मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने बताया था कि विधेयक में भारत से जीवित पशुओं के निर्यात को विनियमित करने का प्रावधान किया गया है. मंत्रालय ने इस पर सुझाव भी मांगे थे, जहां पशुओं के लिए काम करने वाले संगठनों और कार्यकर्ताओं ने इसे लेकर विरोध जताया था. उनका कहना था कि जीवित पशुओं का निर्यात के लिए परिवहन क्रूरता है, अमानवीय स्थितियों में ले जाए गए जानवरों या पशु उत्पादों का सेवन स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा करता है. साथ ही यह देश की करुणा और अहिंसा की संस्कृति के खिलाफ भी है.