भारतीय सरकारी उपक्रम के म्यांमार के सैन्य शासन जुंटा को हथियार बेचने समेत अन्य ख़बरें

द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.

(फोटो: द वायर)

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बीते छह महीने में एक भारतीय सार्वजनिक उपक्रम (पीएसयू) ने म्यांमार के सैन्य शासन जुंटा को 5 मिलियन डॉलर से अधिक मूल्य के हथियार और उपकरण बेचे हैं. बर्मीज़ सेना के भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान चलाने वाले एक समूह जस्टिस फॉर म्यांमार (जेएफएम) के कार्यकर्ताओं की रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है. समूह की पड़ताल कहती है कि भारतीय पीएसयू भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) ने नवंबर 2022 से अप्रैल 2023 के बीच म्यांमार जुंटा को 5 मिलियन डॉलर का मिलिट्री द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाला सामान, सैन्य टेक्नोलॉजी और और तकनीकी दस्तावेजों का निर्यात किया है. जेएफएम का आरोप है कि रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले बीईएल का म्यांमार में एक ब्रांच ऑफिस है और यह जानते हुए इसके भेजे उपकरण म्यांमार की सेना द्वारा इस्तेमाल किए जाएंगे, यह मानवता के खिलाफ चल रहे युद्ध अपराध (वॉर क्राइम) में मुब्तिला है. बीईएल में भारत सरकार की 51.14% हिस्सेदारी है.

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के दौरे पर होने के दौरान पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र संबंधी चिंताओं को कूटनीतिक बातचीत में जगह मिलनी चाहिए. सीएनएन को दिए एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि अगर वे मोदी से बात करते तो भारत में जातीय अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा का मसला उठाते. यह भी कहा था कि बाइडन और मोदी की मुलाकात में हिंदू बहुसंख्यक भारत में मुस्लिम अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का जिक्र होना चाहिए. इसी बीच, अमेरिका में राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ एक संयुक्त प्रेस वार्ता में पीएम मोदी से मुसलमानों और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बनाए रखने के बारे में भारत सरकार के प्रयासों के बारे में पूछा गया. इसके जवाब में उन्होंने कहा कि भारत में धर्म, जाति आदि के आधार पर कोई भेदभाव नहीं है और ‘लोकतंत्र हमारी रगों में है.’

मध्य प्रदेश के सागर जिले में पीएम आवास योजना के तहत बने सात दलित परिवारों के घर तोड़ने की घटना सामने आई है. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, जिले के अधिकारियों का कहना है कि पीएम आवास योजना के तहत बनाए गए घर कथित तौर पर वन भूमि पर थे और एक साल पहले नोटिस दिया गया था. यहां नई निर्माण गतिविधि देखे जाने के बाद प्रशासन हरकत में आ गया. ध्वस्तीकरण की कार्रवाई बुधवार दोपहर को हुई. उधर, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का कहना है कि जब उक्त योजना के तहत मकान बन रहे थे, तब प्रशासन क्यों सो रहा था. उन्होंने परिवारों के लिए मुआवजे की मांग करते हुए घटनास्थल पर धरना भी दिया.

राजस्थान के अलवर में एक मस्जिद में आग लगाने के आरोप में भाजपा नेता समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है. द वायर की एक रिपोर्ट के मुताबिक,  जिले के बहादुरपुर क्षेत्र की एक मस्जिद में बीते 20 जून को भीड़ ने तोड़फोड़ की और आग लगा दी. आरोप है कि इस दौरान भीड़ ने ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने के साथ मुसलमानों के ख़िलाफ़ अपमानजनक टिप्पणी भी की थी. एफआईआर में दर्ज 14 नामजद आरोपियों में से एक रमन गुलाटी भाजपा सदस्य हैं और पार्टी के अलवर मंडल के पूर्व उप-जिला प्रमुख भी रह चुके हैं.

महाराष्ट्र के मुंबई में कोविड-19 महामारी के दौरान कोविड जंबो फील्ड सेंटर को स्थापित करने को लेकर बृह्नमुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) के अधिकारियों पर अधिक कीमतों पर दवाएं और बॉडी बैग ख़रीदने के आरोप सामने आए हैं. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, ईडी ने बताया है कि एक प्रमुख कंपनी जो मृत कोविड-19 रोगियों के लिए बॉडी बैग की आपूर्ति कर रही थी, उसने को जिस दर से बैग दिए थे, वह इसी अवधि के दौरान निजी अस्पतालों सहित अन्य से ली गई कीमत से तीन गुना अधिक थी. भाजपा नेता किरीट सोमैया द्वारा कोविड जंबो फील्ड सेंटर स्थापित करने में घोटाले का आरोप लगाने के बाद अगस्त 2022 में केस दर्ज किया गया था. आरोप है कि शिवसेना नेताओं से जुड़े ठेकेदारों को अत्यधिक दरों पर ठेके दिए गए, जबकि उनके पास स्वास्थ्य सेवाओं का पूर्व अनुभव नहीं था.

मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में प्राथमिक विद्यालयों में नियुक्त 77 शिक्षकों के ख़िलाफ़ फ़र्ज़ी प्रमाण-पत्र के ज़रिये नौकरी पाने का केस दर्ज किया गया है. हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, विकलांगता कोटे के तहत प्राथमिक स्कूलों में नियुक्त किए गए 77 शिक्षकों में से 75 ने नौकरी पाने के लिए बधिर या दृष्टिहीन होने और दो ने शारीरिक रूप से अक्षम होने का प्रमाण-पत्र जमा किया था. चयनित 750 शिक्षकों में से 450 ने मुरैना जिला अस्पताल द्वारा जारी प्रमाण-पत्र प्रस्तुत किया था, जिसे लेकर संदेह होने के बाद जांच की गई. एक अधिकारी ने बताया कि सभी सर्टिफिकेट जिला अस्पताल में तैनात एक चपरासी द्वारा 2016 से 2020 के बीच पैसे लेकर जारी किए गए थे. उक्त व्यक्ति की 2020 में कोविड-19 के चलते मौत हो गई थी.

गुजरात हाईकोर्ट के एक जज ने मोरबी पुल हादसे के आरोपी ओरेवा समू​ह के मैनेजर की ज़मानत याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, जस्टिस समीर दवे ने बीते मई में हादसे केआरोपी तीन सुरक्षा गार्डों और 9 जून को दो आरोपी टिकट क्लर्क को जमानत दी थी. हालांकि, पीड़ितों की पैरवी कर रहे संगठन ‘ट्रैजडी विक्टिम एसोसिएशन मोरबी’ द्वारा जमानत के दोनों आदेशों का विरोध किया गया था. गुरुवार को आरोपी ओरेवा कंपनी के प्रबंधक दिनेश दवे की जमानत याचिका की सुनवाई में संगठन के वकील ने पक्षकार के रूप में शामिल होने की अनुमति मांगी थी. हालांकि, जस्टिस दवे ने खुद को मामले से अलग करते हुए कहा कि उनसे यह अपील न की जाए.

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