मणिपुर: महिलाओं के नेतृत्व वाली भीड़ सेना को घेरकर प्रतिबंधित संगठन के 12 उग्रवादी छुड़ा ले गई

भारतीय सेना ने प्रतिबंधित मेईतेई विद्रोही समूह कांगलेई यावोल कन्ना लुप के 12 कैडरों को शनिवार दोपहर मणिपुर के इंफाल पूर्वी ज़िले के एक गांव में पकड़ा था. इनमें स्वयंभू लेफ्टिनेंट कर्नल मोइरांगथेम तंबा उर्फ उत्तम भी शामिल था, जो 2015 में 6 डोगरा रेजिमेंट के क़ाफ़िले पर घात लगाकर किए गए हमले का मास्टरमाइंड था, जिसमें 18 जवानों की मौत हो गई थी,

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(प्रतीकात्मक फोटो साभार: ट्विटर/@Spearcorps)

भारतीय सेना ने प्रतिबंधित मेईतेई विद्रोही समूह कांगलेई यावोल कन्ना लुप के 12 कैडरों को शनिवार दोपहर मणिपुर के इंफाल पूर्वी ज़िले के एक गांव में पकड़ा था. इनमें स्वयंभू लेफ्टिनेंट कर्नल मोइरंगथेम तंबा उर्फ उत्तम भी शामिल था, जो 2015 में 6 डोगरा रेजिमेंट के क़ाफ़िले पर घात लगाकर किए गए हमले का मास्टरमाइंड था, जिसमें 18 जवानों की मौत हो गई थी,

मणिपुर में सेना के जवान. (प्रतीकात्मक फोटो साभार: ट्विटर/@Spearcorps)

नई दिल्ली: मणिपुर में हिंसा और आगजनी की घटनाएं शनिवार (24 जून) को भी जारी रहीं, जबकि इसी दिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्थिति पर चर्चा के लिए नई दिल्ली में एक सर्वदलीय बैठक बुलाई थी.

शुक्रवार रात भीड़ द्वारा राज्य के एक मंत्री की संपत्ति को निशाना बनाने के अलावा शनिवार को एक अन्य घटना में भारतीय सेना ने प्रतिबंधित उग्रवादी समूह कांगलेई यावोल कन्ना लुप (केवाईकेएल) के 12 कैडरों को रिहा करना पड़ा. इन उग्रवादियों को शनिवार दोपहर मणिपुर के इंफाल पूर्वी जिले के एक गांव में पकड़ा गया था.

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, उनकी रिहाई महिलाओं के नेतृत्व वाली स्थानीय लोगों की भीड़ के साथ पनपे गतिरोध के बाद की गई.

सेना के इनपुट के अनुसार, 12 कैडरों में से एक की पहचान स्वयंभू लेफ्टिनेंट कर्नल मोइरंगथेम तंबा उर्फ उत्तम के रूप में की गई थी, जो 2015 में 6 डोगरा रेजिमेंट के काफिले पर घात लगाकर किए गए हमले का ‘मास्टरमाइंड’ था, जिसमें 18 जवानों की मौत हो गई थी.

केवाईकेएल 1994 में गठित एक मेईतेई विद्रोही समूह है और इसे राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन के रूप में सूचीबद्ध किया गया है.

सेना के एक प्रवक्ता के अनुसार, विशिष्ट खुफिया जानकारी के आधार पर शनिवार सुबह इथम गांव में शुरू किए गए एक ऑपरेशन के दौरान 12 कैडरों को हथियारों, गोला-बारूद और युद्ध जैसे भंडार के साथ पकड़ा गया था.

प्रवक्ता ने कहा, ‘इसके बाद महिलाओं और एक स्थानीय नेता के नेतृत्व में 1,200 से 1,500 लोगों की भीड़ ने ऑपरेशन को बाधित कर दिया. उन्होंने तुरंत ही लक्षित क्षेत्र को घेर लिया. घटना के यूएवी फुटेज की एक क्लिप में बड़ी संख्या में लोगों को क्षेत्र में सड़कों को बाधित करने के लिए तेजी से आगे बढ़ते हुए दिखाया गया है.’

प्रवक्ता ने कहा, ‘आक्रामक भीड़ से सुरक्षा बलों को कानून के अनुसार कार्रवाई जारी रखने देने की बार-बार अपील की गई, लेकिन कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला. महिलाओं के नेतृत्व वाली क्रोधित भीड़ के खिलाफ बल प्रयोग की संवेदनशीलता और इस तरह की कार्रवाई के कारण संभावित जनहानि को ध्यान में रखते हुए सभी 12 कैडरों को स्थानीय नेता को सौंपने का निर्णय लिया गया.’

उन्होंने साथ ही कहा कि राज्य में चल रहे संघर्ष के दौरान यह किसी भी अतिरिक्त क्षति से बचने के लिए लिया गया निर्णय था.

गतिरोध के बाद सेना ने कैडर से बरामद हथियारों और युद्ध जैसे भंडार के साथ क्षेत्र छोड़ दिया.

मणिपुर के घाटी इलाकों में महिलाओं द्वारा सेना और असम राइफल्स की आवाजाही को रोकना राज्य में लगे सुरक्षा और रक्षा कर्मचारियों के लिए एक बड़ी चुनौती रही है.

समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, मणिपुर राज्य के अधिकार क्षेत्र में शांति और सार्वजनिक व्यवस्था में किसी भी गड़बड़ी को रोकने के लिए मणिपुर में इंटरनेट प्रतिबंध 30 जून दोपहर 3 बजे तक बढ़ा दिया गया है.

इस बीच द हिंदू ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को एक सर्वदलीय बैठक से कहा कि मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाना कोई विकल्प नहीं है और स्थिति जल्द ही सामान्य हो रही है.

अखबार के अनुसार, बैठक में भाग लेने वाले कई सदस्यों ने उसे यह जानकारी दी है.

शाह ने कहा कि लूटे गए 1,800 हथियार वापस कर दिए गए हैं और राज्य में 36,000 केंद्रीय बलों के जवानों को तैनात किया गया है, जो 3 मई से जातीय हिंसा से जूझ रहे हैं.

भीड़ ने मंत्री के गोदाम में आग लगाई

इस घटना के अलावा राजधानी इंफाल में राज्य के सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग और उपभोक्ता मामलों के मंत्री एल. सुसिंद्रो मेइतेई के एक निजी गोदाम को शुक्रवार (23 जून) रात जला दिया गया.

एल. सुसिंद्रो मेईतेई.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, रात करीब 10:40 बजे भीड़ ने मंत्री के घर में घुसने की भी कोशिश की, लेकिन सुरक्षा बलों ने आंसू गैस का इस्तेमाल कर भीड़ को तितर-बितर कर दिया.

बता दें कि भाजपा विधायक और मंत्री एल. सुसिंद्रो मेईतेई बीते दिनों लूटे गए हथियारों को वापस लेने के लिए अपने घर के बाहर ‘ड्रॉप बॉक्स’ रखने को लेकर सुर्खियों में रहे थे.

3 मई को जातीय हिंसा शुरू होने के बाद से कई निर्वाचित नेता आगजनी के शिकार हुए हैं. हिंसा में शामिल दोनों गुटों ने राज्य सरकार और केंद्र सरकार की प्रतिक्रियाओं पर निराशा व्यक्त की है.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री राजकुमार रंजन सिंह, राज्य की एकमात्र महिला मंत्री नेमचा किपगेन, मणिपुर के पीडब्ल्यूडी मंत्री गोविंददास कोंथौजम, उरीपोक विधायक रघुमणि सिंह, सुगनू विधायक के. रणजीत सिंह और नाओरिया पाखांगलकपा विधायक एस केबी देवी के आवासों को अब तक जलाया गया है.

उल्लेखनीय है कि बीते 3 मई से कुकी और मेईतेई समुदायों के बीच भड़की जातीय हिंसा में अब तक 100 से अधिक लोग मारे गए हैं. लगभग 50,000 लोग विस्थापित हुए हैं और पुलिस शस्त्रागार से 4,000 से अधिक हथियार लूटे या छीन लिए गए हैं.

गौरतलब है कि मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेईतेई समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें हुई थीं.

मणिपुर की 53 प्रतिशत आबादी मेईतई समुदाय की है और ये मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं. आदिवासियों- नगा और कुकी की आबादी 40 प्रतिशत है और ये पर्वतीय जिलों में रहते हैं.

केंद्र की मोदी सरकार ने बीते 10 जून को राज्यपाल अनुसुइया उइके के नेतृत्व में 51 सदस्यीय शांति समिति का गठन किया था.

तब मेईतेई और कुकी-ज़ोमी दोनों समुदायों का प्रतिनिधित्व करने वाले समूहों ने कहा था कि वे शांति समिति में भाग नहीं लेंगे.

दरअसल इस समिति में मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह को शामिल किया गया है, जिनका विरोध किया जा रहा है. कई संगठनों पर राज्य में वर्तमान में जारी हिंसा के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया है.